बच्चन के को-स्टार पुनीत इसरार ने गलत समय पर उन्हें नकली घूसा मार दिया, जिससे वो एक लोहे की एक टेबल के कोने से टकरा गए और उनके पेट में चोट आ गई. इस एक्सीडेंट में अमिताभ बच्चन को गहरी चोटें आई थीं.
अमिताभ को गंभीर हालत में सेंट फिलोंमीना अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उनकी इमरजेंसी सर्जरी कराई गई. इसके बाद उन्हें मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. कई हफ्तों तक उनके ठीक होने की दुआ करने के लिए अस्पताल के बाहर प्रशंसकों, शुभचिंतकों की भारी भीड़ थी.
ब्रीच कैंडी अस्पताल के डॉक्टर 2 अगस्त को बच्चन को ठीक करने में सक्षम थे, और इस तारीख को बिग बी के फैंस उनके दूसरे जन्मदिन के रूप में मनाते हैं.
लंबे इलाज के बाद, हादसे के दो महीने बाद बच्चन 24 सितंबर को घर लौट आए.
बच्चन ने जनवरी 1983 में कुली की शूटिंग फिर से शुरू की. कुली की ओरिजिनल स्क्रिप्ट के मुताबिक, बच्चन को अंत में मरना था, लेकिन डायरेक्टर मनमोहन देसाई ने फिल्म की एंडिंग को बदल दिया, क्योंकि उन्हें लगा कि उनके हीरो ने असल जिंदगी में मौत से लड़ाई लड़ी और उसे मात दी, इसलिए उन्हें फिल्म में भी जिंदा रहना चाहिए.
कुली 2 दिसंबर 1983 को रिलीज हुई और उस साल की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म बन गई.
जब कुली सिनेमाघरों में रिलीज हुई, तो जिस सीन में अमिताभ बच्चन को चोट लगी थी, उस सीन को फ्रीज फ्रेम के तौर पर दिखाया गया.