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सुमित जोश, मेरे दोस्त, पता होता तो मैं कुछ ड्रिंक्स और मंगा लेता

मेरे लिए वह हमेशा एक दोस्त, भाई और मेहनती साथी पत्रकार रहेगा.

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(द क्विंट के पूर्व स्पोर्ट्स जर्नलिस्ट सुमित जोश ने 18 मई को कोविड-19 के साथ लंबे संघर्ष के बाद दम तोड़ दिया. उनके साथी और दोस्त उन्हें याद कर रहे हैं. वह एक प्यारे बेटे, भाई और पति थे. उनके परिवार में उनकी पत्नी, बहन और माता-पिता हैं.)

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किसी दूसरी दुनिया में, सुमित, मैं और हमारे कई दोस्त शिमला में छुट्टियां बिता रहे हैं. इसकी प्लानिंग हम 2020 से कर रहे थे.

इसी साल फरवरी में, मैं, सुमित और उसकी पत्नी देबदत्ता से कोलकाता में बार-बी-क्यू में मिला था. तब क्या मालूम था कि यह हमारी आखिरी मुलाकात होगी. अगर मुझे इस बात का एहसास होता तो शायद मैं कुछ ड्रिंक्स और मंगा लेता. कुछ घंटे और रुकता. शायद इन पलों को सहेजने के लिए अपने काम से छुट्टी भी ले लेता. लेकिन शायद यही जिंदगी है. है ना? अप्रत्याशित... जिसकी कभी उम्मीद भी न की गई हो.

तुमने सब कुछ छोड़ दिया, सिवाय अपने चेहरे की हंसी के.

...और हम तुम्हें हमेशा इसी तरह याद करेंगे.
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एक ईमानदार पत्रकार जिसका मिजाज हमेशा शांत रहता था. मैंने देखा है कि सबसे व्यस्त दिनों में भी तुम हमेशा स्थिर बने रहते थे. अकेले तीन-तीन स्पोर्टिंग इवेंट्स को कवर करना, फिर भी थोड़ी गपशप के लिए समय निकाल लेना. मुझे याद है कि जब मैं तुमसे कहता था कि पहले अपना काम खत्म कर लो, तो तुम मुस्कुराकर कहते थे- “ओ तो होय जाबे!” (मैं वह संभाल लूंगा).

हम कभी कलीग्स नहीं रहे, हम तो हमेशा दोस्त से रहे. फिर हमारा रिश्ता परिवार जैसा गहरा हो गया.

फीफा वर्ल्ड कप 2018 के साथ हमने एक नया ट्रेंड शुरू किया था. राहुल, अनुभव और मैं आधी रात को ऑफिस पहुंच जाते. फिर खाना मंगाते और पूरी रात अपनी पसंदीदा टीम्स को चियर करते. और तुम, और पूरी स्पोर्ट्स डेस्क काम से जूझते रहते. इसके बाद आईपीएल के दौरान भी यही दोहराया जाता.

...और हम तुम्हें हमेशा इसी तरह याद करेंगे.
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मैं उन अनगिनत रातों को कभी नहीं भूल सकता, जब हम साथ बैठकर सुबह तक पीते रहे. किस पहलू पर हमने बात नहीं की- जिंदगी के मंसूबों पर, बॉलीवुड की अटपटी फिल्मों पर, कैसे अगले दिन हम ऑफिस में काम कर पाएंगे (जोकि कुछ घंटों बाद ही शुरू होने वाला होता था). वे खट्टे मीठे पल कैसे थे... जैसा कि फिल्म ‘द पर्क्स ऑफ बीइंग अ वॉलफ्लावर’ में चार्ली कहता है, ‘अनंत’.

“कलीग के तौर पर सुमित हमेशा सबकी मदद करता रहता था. मेंटर के तौर पर वह हमेशा लोगों के पीछे खड़ा होता था- जब भी किसी को उसकी जरूरत हो. राजनीति, फिल्में, खेल- वह सब पर नए नजरिए से सोचता था और ऐसा बहुत कुछ था, जो उससे सीखा जा सकता था. जब मैं यह सब लिख रही हूं तो यही सोच रही हूं कि क्या शानदार बंदा था वह. स्पोर्ट्स डेस्क पर जिस तरह वह चमका, काम के साथियों को दोस्त और फिर परिवार का हिस्सा बनाया. सुमित ने कितनी ही जिंदगियों को बेहद करीब से छुआ.”
मेंड्रा दोरजे साहनी, सुमित की पूर्व बॉस और दोस्त
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मेरे लिए वह हमेशा एक दोस्त, भाई और मेहनती साथी पत्रकार रहेगा.

बहुत से लोग सिर्फ यह जानते हैं कि तुम्हें खेलों का जुनून था. वे यह नहीं जानते कि तुम्हें क्विजिंग और स्पोर्ट्स ट्रिविया में भी गजब की दिलचस्पी थी.

“मुझे याद है कि शुरुआती दिनों में एक शाम, हम नोएडा के उसके अपार्टमेंट में थे. उस दिन उसने मुझे स्पोर्कल (Sporcle) के बारे में बताया (यह एक ऐसी वेबसाइट है जिस पर हजारों क्रिकेट क्विज हैं). उसके बाकी फ्लैटमेट्स बालकनी में ड्रिंक्स का आनंद ले रहे थे, मैं और सुमित घंटे-दो घंटों तक क्विज खेल रहे थे. कुछ साल बाद सुमित ने मुझे दिल्ली क्विजिंग सर्किट का हिस्सा बना लिया. 2019 में दिल्ली यूनिवर्सिटी में मैं उसका क्विज पार्टनर बन गया. 2015 में जब तुमने मुझे स्पोर्कल के बारे में बताया था, उसके बाद से हर हफ्ते वह मेरा शगल बन गया. वह वक्त कभी वापस नहीं आएगा. लेकिन मेरा वादा है दोस्त, कि मैं हमेशा इस परचम को ऊंचा रखूंगा.”
यश झा, पूर्व कलीग और दोस्त
मेरे लिए वह हमेशा एक दोस्त, भाई और मेहनती साथी पत्रकार रहेगा.
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याद करता हूं कि अपने शादी पर तुम कितने उत्साहित थे. हर ताल पर थिरक रहे थे. हर मेहमान की आवभगत कर रहे थे. हर पल को मुट्ठी में समेट रहे थे. लगता है, कल की ही बात है, जब हम सब तुम्हारी शादी में जमा हुए थे!

मेरे लिए वह हमेशा एक दोस्त, भाई और मेहनती साथी पत्रकार रहेगा.
अपनी शादी के दिन सुमित जोश
(फोटो: देबदत्ता रॉय)
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“मैं कामना करती हूं कि तुम्हारा अंतिम सफर शांति और ऊर्जा भरा हो. लेकिन इस समय मुझे सिर्फ देबदत्ता का ख्याल आ रहा है. देबदत्ता तुम्हारी संगिनी. मुझे याद है एक बार नाइटशिफ्ट में तुमने मुझे बताया था कि तुम उससे कितना प्यार करते हो. कैसे तुम्हारी जिंदगी उसी के इर्द-गिर्द घूमती है. उसकी जिंदगी की धुरी भी तुम्हीं हो. आज तुम नहीं हो. लेकिन तुम दोनों ने एक साथ जो सपने देखे होंगे, उसकी यादें तो हैं. मैं उम्मीद करती हूं कि देबदत्ता को इस त्रासदी को झेलने की शक्ति मिले. सांत्वनाओं और सहानुभूतियों के बाद ही अकेलेपन और खामोशी का वह सफर शुरू होगा. पर तुम हमेशा उसे देख रहे होगे.”
अस्मिता नंदी, पूर्व कलीग और दोस्त
मेरे लिए वह हमेशा एक दोस्त, भाई और मेहनती साथी पत्रकार रहेगा.
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काश, मैं तुम्हें फिर से बता पाता कि हम तुमसे कितना प्यार करते हैं. तुम्हारे लिए अस्पताल में बेड, दवाओं और ऑक्सीजन सिलेंडर जुटाने के लिए हमने किस तरह जमीन आसमान एक किए थे.

हमने वादा किया था कि हम तब तक हिम्मत नहीं हारेंगे, जब तक तुम्हें घर सुरक्षित नहीं ले आते. लेकिन हम नाकाम रहे, और उम्मीद करता हूं कि तुम हमें इसके लिए माफ कर दो.

तुम्हारे जैसे जुझारू शख्स को मैं सलाम करता हूं. सुमित जोश, तुम चिरंजीवी रहोगे- हमारी स्मृतियों में. हमारी जिंदगियों में.

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