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लालू ट्व‍िटर पर लाठी लिए और नीतीश हेलमेट पहने क्‍यों नजर आते हैं?

ट्वि‍टर पर नीतीश और लालू की बोलियों में इतना अंतर क्‍यों?

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ट्व‍िटर पर सियासतदानों का अपने विरोधियों पर जुबानी हमला करना कोई नई बात नहीं. पर मामला तब काफी दिलचस्‍प हो जाता है, जब कोई राजनेता सत्ता से बंधकर खुलकर 'तीर' नहीं चला पाता. दूसरी ओर सत्ता से बस 'थोड़ा-सा' किनारा कर लेने वाले सियासतदान का ट्वीट इतना आक्रामक होता है कि उस बयान से गर्द-गुबार ऊपर उठता नजर आता है.

क्‍या आपने कभी बिहार सीएम नीतीश कुमार और पूर्व सीएम लालू प्रसाद के ट्वीट की बोलियों पर गौर किया है? एक सत्ताधारी जेडीयू के अध्‍यक्ष हैं, तो दूसरे सत्ताधारी गठबंधन के सबसे बड़े घटक आरजेडी के मुखिया हैं. चर्चा आगे बढ़ाने से पहले इन दोनों के कुछ हालिया ट्वीट देखते हैं:

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लालू का 'हल्‍लाबोल' अंदाज

ट्वि‍टर पर नीतीश और लालू की बोलियों में इतना अंतर क्‍यों?
(स्‍क्रीनग्रैब: twitter.com/laluprasadrjd)
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(स्‍क्रीनग्रैब: twitter.com/laluprasadrjd)
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(स्‍क्रीनग्रैब: twitter.com/laluprasadrjd)
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धीरे चलें, विकास का काम जारी है!

ट्वि‍टर पर नीतीश और लालू की बोलियों में इतना अंतर क्‍यों?
(स्‍क्रीनग्रैब: twitter.com/NitishKumar)
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(स्‍क्रीनग्रैब: twitter.com/NitishKumar)
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(स्‍क्रीनग्रैब: twitter.com/NitishKumar)
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(स्‍क्रीनग्रैब: twitter.com/NitishKumar)
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(स्‍क्रीनग्रैब: twitter.com/NitishKumar)
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लालू और नीतीश के ट्वीट से कुछ बातें एकदम साफ हो जाती हैं. लालू अपने पुराने आक्रामक और चुटीले अंदाज से थोड़ा भी बदलते नजर नहीं आते हैं. दूसरी ओर नीतीश के ट्वीट में पहले जैसी शालीनता और 'विकास गाथा' की झलक दिख जाती है.

लालू जानते हैं, पब्‍ल‍िक को क्‍या पसंद है

दरअसल, लालू पब्‍ल‍िक का मूड भांपने के खेल के काफी पुराने और पक्‍के खिलाड़ी रहे हैं. उन्‍हें मालूम है कि कौन-सी बात बोलकर वे तुरंत गली-नुक्‍कड़ तक चर्चा में छा जाएंगे. वे यह भी अच्‍छी तरह जानते हैं कि लोग उनसे कुछ चुटीला सुनना चाहते हैं. अगर उनकी बातों में थोड़ी आक्रामकता और मसखरेबाजी नहीं होगी, तो वह लोगों के बीच असर छोड़ने में नाकाम ही रहेगी. आप चाहें, तो उनकी आक्रामकता को 'लाठी' से जोड़ सकते हैं.

एक बड़ा तथ्‍य यह भी है कि लालू प्रसाद कानूनी बाध्‍यताओं की वजह से सरकार में खुद कोई पद नहीं ले सकते. इस वजह से भी उनका अंदाज ज्‍यादा बेबाक और बिंदास होता है.
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नीतीश को है इमेज चमकाने की फिक्र

दूसरी ओर नीतीश के राजनीतिक करियर का ग्राफ लगातार ऊपर की ओर जा रहा है. चाहे वे मानें या न मानें, पर उनकी नजर साल 2019 के लोकसभा चुनाव और पीएम पद की दावेदारी पर जरूर होगी. यही वजह है कि वे 'सुशासन बाबू' की इमेज बरकरार रखते हुए इसे ज्‍यादा से ज्‍यादा चमकाने को लेकर फिक्रमंद नजर आते हैं.

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