रियो ओलंपिक में खेल और खिलाड़ियों के प्रति भारतीय खेल प्रशासन के उदासीन रवैये का एक उदाहरण सामने आया है.
मैराथन में भारत की नेशनल रिकॉर्ड होल्डर ओपी जैशा को मैराथन के दौरान रास्ते में पीने के लिए पानी तक की सुविधा नहीं दी इंडियन ऑफिशियल ने! डिहाइड्रेशन से जूझते हुए जैसे-तैसे जैशा ने मैराथन पूरा किया और फिनिश लाइन पर पहुँचते ही बेहोश होकर गिर पड़ीं. जैशा रियो ओलंपिक की महिला मैराथन स्पर्धा में निराशाजनक दो घंटे 47 मिनट 19 सेकेंड के समय से 89वें स्थान पर रही थी.
‘मैं वहां मर सकती थी’
जैशा ने रियो ओलंपिक में महिला मैराथन स्पर्धा को याद करते हुए कहा कि ‘मैं वहां मर सकती थी.’
ओलंपिक ऑफिशियल द्वारा ग्लूकोज के कई इंजेक्शन देने के तीन घंटे बाद होश आया. दूसरे देश अपने खिलाड़ियों के लिए हर ढाई किलोमीटर पर ड्रिंक्स का डेस्क लगाये हुए थे जबकि इंडियन डेस्क पर तिरंगा भी नहीं दिखा. जैशा ने हर 8 किलोमीटर पर पानी पिया, वो भी ओलंपिक ऑफिशियल द्वारा उपलब्ध करवाने पर.
खेल मंत्री ने पल्ला झाड़ा
इस घटना के बारे में खेल मंत्री विजय गोयल से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह भारतीय एथलेटिक्स महासंघ की जिम्मेदारी थी.
हर बार कोई छोटी घटना होती है तो हम इसका संज्ञान लेते हैं. यह एएफआई का काम था, यह महासंघ की जिम्मेदारी है, उन्हें इसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए थी.विजय गोयल
हालांकि
जैशा ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि इसके लिये कौन जिम्मेदार है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)