लंबे समय तक समाज में ऐसी धारणा रही है कि महिलाएं किचन में ज्यादा अच्छी लगती हैं, न कि खेल के मैदान पर. लड़कियों से सिलाई, कढ़ाई, कुकिंग और पेंटिंग करवाओ, न कि खेल के मैदान पर उनसे जोर लगवाओ. क्योंकि किसी चैलेंजिंग स्पोर्ट्स में दिमाग के साथ-साथ शरीर की ताकत लगाने का काम होता है और उसमें तो सिर्फ पुरुष ही अच्छे हैं.
लेकिन समय बदला और थोड़ी सी सोच भी बदली. इसमें कोई शक नहीं कि हालिया सालों में रूढ़िवादी सोच में थोड़ा बदलाव आया है. आम लोगों में कहीं न कहीं ये मैसेज गया है कि हमारी बेटियां किसी भी मायने में हमारे बेटों से कम नहीं. इसके लिए हम आमिर खान की फिल्म दंगल का भी शुक्रिया कर सकते हैं.
लेकिन बड़ा शुक्रिया करना होगा उन महिला खिलाड़ियों का जिन्होंने अपने दम, अपनी मेहनत से, लगन से इस रूढ़िवादी सोच को सबसे ज्यादा चोट पहुंचाई. आज बात करेंगे उन महिला खिलाड़ियों की, जिन्होंने पिछले एक साल में विश्व स्तर पर अद्भुत प्रदर्शन किया और खेल की दुनिया में भारत को नई पहचान दिलाई.
सिंधु-साक्षी को सलाम
रियो ओलंपिक 2016 में भारत के बड़े बड़े पुरुष स्टार जैसे जीतू राय, अभिनव बिंद्रा, गगन नारंग, रोहन बोपन्ना और योगेश्वर दत्त फेल हो गए थे. लग रहा था कि दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाला देश भारत रियो से खाली हाथ ही लौटेगा. तब पहले साक्षी मलिक और फिर पीवी सिंधु ने अपना जौहर दिखाया और देश की ‘इज्जत’ को बचाया. रियो ओलंपिक में भारत को दो पदक मिले (ब्रॉन्ज और सिल्वर) और दोनों ही पदक दो लड़कियों ने दिलवाए.
दीपा मलिक और दीपा कर्माकर का जवाब नहीं
जिम्नास्टिक और पैरालंपिक, ऐसी जो जगह जहां आप किसी भारतीय महिला एथलीट के अच्छे प्रदर्शन का सोच भी नहीं सकते, वहां दीपा मलिक और दीपा कर्माकर ने अपने जोरदार प्रदर्शन से पूरी दुनिया को हैरान कर दिया.
रियो 2016 में दीपा मलिक पैरालंपिक में पदक (सिल्वर) जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनीं, वहीं जिम्नास्ट में दीपा कर्माकर ने सबसे खतरनाक मूव (प्रोडुनोवा वोल्ट) करते हुए चौथा स्थान हासिल किया. रियो ओलंपिक के जिमनास्ट फाइनल में कर्माकर कुछ प्वाॉइंट्स से ही पदक चूक गई थीं, लेकिन उन्होंने विश्व पटल पर ऐसी जोरदार दस्तक दी थी की पूरा स्टेडियम उन्हीं के लिए ताली बजा रहा था.
सानिया पर देश को नाज है!
आज की तारीख में सानिया मिर्जा भारत की सबसे बड़ी टेनिस स्टार हैं. आलम ये है कि लिएंडर पेस और रोहन बोपन्ना जैसे दिग्गज भी उनके सामने फीके लगते हैं. भारतीय महिला टेनिस को सानिया ने दुनिया में पहचान दी है.
स्कर्ट की लंबाई, पाकिस्तानी क्रिकेट खिलाड़ी शोएब मलिक से उनकी शादी जैसे कई विवादों ने इस खिलाड़ी को परेशान करने की कोशिश की, लेकिन सानिया का ध्यान हमेशा अपने खेल पर रहा. 2015-16 में सानिया लंबे समय तक दुनिया की नंबर-1 डबल्स खिलाड़ी बनी रहीं. करियर में 6 ग्रैंडस्लैम जीतने वाली सानिया रियो ओलंपिक में भी पदक जीतते जीतते रह गई थीं.
कमाल है अपनी महिला क्रिकेट टीम
भारतीय महिला क्रिकेट टीम तो लंबे समय से विश्व क्रिकेट में अपना जौहर दिखाती आई है. अंजुम चोपड़ा, मिताली राज, झूलन गोस्वामी और हरमनप्रीत कौर जैसी खिलाड़ियों ने भारत का गौरव बढ़ाया है. आईसीसी रैंकिंग में नंबर-4 भारतीय टीम ने हाल में वर्ल्ड कप क्वॉलिफायर का खिताब अपने नाम किया. 2005 वर्ल्ड कप में फाइनल तक का सफर करने वाली महिला टीम से 2017 वर्ल्ड कप में खिताबी जीत की पूरी उम्मीद है.
कबड्डी टीम तो ग्रेट है!
भारत की महिला कबड्डी टीम, पुरुषों से किसी भी लिहाज में कम नहीं है. 2016 कबड्डी टीम के लिए शानदार रहा. भारतीय महिलाओं ने थाईलैंड को हराकर लगातार 5वीं बार एशियन बीच गेम्स का खिताब जीता, वहीं लगातार तीसरी बार वर्ल्ड कप जीता. भारतीय महिला कबड्डी टीम दुनिया की सर्वश्रेष्ठ टीम है.
स्क्वॉश में भी कुछ कम नहीं
स्क्वॉश बहुत तेजी से भारत में पॉपुलर खेल बनता जा रहा है. और इसके पीछे पुरुष नहीं महिला खिलाड़ियों का हाथ है. 2016 भारत में इस खेल के लिए बहुत शानदार रहा जिसका पूरा श्रेय दीपिका पल्लीकल और जोशना चिनप्पा को जाता है. एशियन टीम स्क्वॉश चैंपियनशिप में इन दोनों खिलाड़ियों ने भारत को सिल्वर पदक दिलवाया. दोनों ही खिलाड़ी विश्व स्क्वॉश में जाना पहचाना चेहरा हैं. दीपिका पल्लीकल ने पीएसए फाइनल ऑस्ट्रेलियन ओपन भी जीता जो कि उनका 11वां पीएसए खिताब था.
अदिति अशोक से बड़ी उम्मीदें
अदिति सिर्फ 18 साल की हैं और इतनी छोटी सी उम्र में वो भारतीय महिला गोल्फ का चेहरा बन गई हैं. भारत में गोल्फ में खास रुचि रखने वाले न के बराबर हैं. लेकिन बेंगलुरु की रहने वाली अदिति ने 2016 रियो ओलंपिक में कमाल का प्रदर्शन करते हुए खूब सुर्खियां बटोरीं.
रियो में अदिति 41वें स्थान पर रहीं, लेकिन खास बात ये कि पहले राउंड के बाद वो 7वें स्थान पर थीं. ओलंपिक के बाद अदिति इंडियन ओपन जीतकर यूरोपियन टाइटल जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनीं. साथ ही उन्होंने कतर लेडीज ओपन भी जीता. सिर्फ 18 की उम्र में टॉप 100 खिलाड़ियों में शुमार अदिति अशोक से भविष्य में बड़ी उम्मीदें हैं.
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