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23 मार्च: टीम इंडिया की ‘कभी खुशी कभी गम’ वाली तारीख

‘23 मार्च’ के साथ भारतीय क्रिकेट टीम के दो ऐसे लम्हे जुड़े हैं, जिन्हें कोई भी क्रिकेट फैन कभी भी नहीं भुला सकता

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23 मार्च... ये वो तारीख है, जो भारतीय क्रिकेट में खुशी और गम, दोनों के लिए याद की जाती है. इस तारीख के साथ भारतीय क्रिकेट टीम के दो ऐसे लम्हे जुड़े हैं, जिन्हें कोई भी क्रिकेट फैन कभी भी नहीं भुला सकता. इत्तेफाक ये कि ‘कभी खुशी कभी गम’ वाले लम्हे वर्ल्ड कप के साथ जुड़े हैं. वनडे वर्ल्ड कप और वर्ल्ड टी-20.

दरअसल, इसी तारीख को टीम इंडिया ने दो अद्भुत मैच खेले. एक मैच आज से ठीक 14 साल पहले 2003 में खेला गया, तो दूसरा पिछले साल यानी 2016 में.

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भारत Vs ऑस्ट्रेलिया, वर्ल्ड कप फाइनल, 23 मार्च 2003


ऊपर की हेडिंग देखकर ही आपको अंदाजा हो गया होगा कि हम किस मैच के बारे में बात करने जा रहे हैं. 1983 में विश्व विजेता बनने के 20 साल बाद भारतीय क्रिकेट टीम वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंची थी. मुकाबला दक्षिण अफ्रीका के खूबसूरत जोहांसबर्ग के मैदान पर था.

सौरव गांगुली की अगुवाई में टीम इंडिया जीत की बड़ी दावेदार मानी जा रही थी, लेकिन रिकी पॉन्टिंग की ऑस्ट्रेलियाई टीम ने फाइनल में ऐसा मजा चखाया कि उस दिन पूरा भारत रोया था. फाइनल में रिकी पॉन्टिंग ने टीम इंडिया के गेंदबाजों की जमकर धुनाई की. पॉन्टिंग ने 140 रनों की शानदार पारी खेली और अपनी टीम को 359 रनों के स्कोर पर पहुंचाया



‘23 मार्च’ के साथ भारतीय क्रिकेट टीम के दो ऐसे लम्हे जुड़े हैं, जिन्हें कोई भी क्रिकेट फैन कभी भी नहीं भुला सकता
2003 वर्ल्ड कप फाइनल में रिकी पॉन्टिंग ने 140 रनों की शानदार पारी खेली थी

जवाब में टीम इंडिया के लिए उस पूरे टूर्नामेंट में बल्ले से धमाल मचाने वाले सचिन तेंदुलकर से काफी उम्मीद थी, लेकिन वो ग्लेन मैक्ग्रा की गेंद पर सिर्फ 4 रन बनाकर आउट हो गए. यहीं से टीम इंडिया की वर्ल्ड कप जीतने की उम्मीद भी टूट गई.



‘23 मार्च’ के साथ भारतीय क्रिकेट टीम के दो ऐसे लम्हे जुड़े हैं, जिन्हें कोई भी क्रिकेट फैन कभी भी नहीं भुला सकता
सचिन तेंदुलकर 2003 वर्ल्ड कप फाइवल में 4 रन बनाकर आउट हो गए थे (फोटो: Twitter/Cricket Australia)

वीरेंद्र सहवाग (82 रन) ने जरूर कुछ कोशिशें की, लेकिन आखिरकार भारत हार गया. उस दिन पूरे देश में और यहां तक की विदेशों में रहने वाले भारतीयों के घरों में मातम जैसा माहौल था.

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भारत Vs बांग्लादेश, 2016 टी20 वर्ल्ड कप


ये टी-20 क्रिकेट इतिहास के सबसे दिलचस्‍प मैचों में से एक है. आज भी इस मैच के बारे में सोचकर गजब का रोमांच पैदा हो जाता है.

टी-20 वर्ल्ड कप में ये मैच भारत के लिए बेहद अहम था. टीम इंडिया लीग चरण के दो में से सिर्फ एक मैच जीत पाई थी और सेमीफाइनल में पहुंचने के लिए बाकी बचे दो मैच जीतने जरूरी थे. बांग्लादेश की टीम को कमजोर मानते हुए और बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम के हालात देखते हुए टीम इंडिया की जीत यहां बिल्कुल तय मानी जा रही थी. लेकिन उस बांग्लादेशी टीम ने कमाल कर दिया और टीम इंडिया को लगभग हरा ही दिया था.



‘23 मार्च’ के साथ भारतीय क्रिकेट टीम के दो ऐसे लम्हे जुड़े हैं, जिन्हें कोई भी क्रिकेट फैन कभी भी नहीं भुला सकता
बांग्लादेश के खिलाफ विराट कोहली सिर्फ 24 रन बनाकर आउट हो गए थे (फोटो:Twitter)

बांग्लादेश ने टॉस जीतकर भारत को पहले बल्लेबाजी का न्योता दिया. बल्लेबाजी का स्वर्ग कहे जाने वाली बेंगलुरु की पिच पर बांग्लादेशी गेंदबाजों ने बेहद कसी हुई गेंदबाजी की और विराट कोहली, युवराज सिंह, एमएस धोनी और रोहित शर्मा जैसे धुरंधरों को कोई मौका नहीं दिया. टीम इंडिया 20 ओवर में सिर्फ 146 रन बना पाई.

यहां से टीम इंडिया के गेंदबाजों ने भी जानदार गेंदबाजी की और मैच आखिरी ओवर में आकर रुक गया. बांग्लादेश को 6 गेंद में 11 रनों की जरूरत थी. गेंद हार्दिक पांड्या के हाथों में थी और सामने विरोधी कप्तान मुश्फिकुर रहीम और मंजे हुए बल्लेबाज महमुदुल्लाह थे.



‘23 मार्च’ के साथ भारतीय क्रिकेट टीम के दो ऐसे लम्हे जुड़े हैं, जिन्हें कोई भी क्रिकेट फैन कभी भी नहीं भुला सकता
हार्दिक पांड्या ने फेंका था आखिरी ओवर (फोटो: BCCI/ICC/Twitter)

पहली गेंद - 1 रन

दूसरी गेंद- 4 रन

तीसरी गेंद - 4 रन

अब 3 गेंद पर सिर्फ 2 रन की जरूरत, स्टेडियम में बैठा हर शख्स टीम इंडिया की हार तय मान रहा था. धोनी की सेना अपने ही घर में वर्ल्ड टी-20 से बाहर होने वाली थी. लेकिन फिर चमत्कार हुआ.

लगातार तीन गेंदों में भारत को तीन विकेट मिले और टीम इंडिया ये मैच जीत गई. आखिरी गेंद पर कप्तान एमएस धोनी ने विकेट के पीछे से भागकर बल्लेबाज को रनआउट किया, जो उस मैच का ट्रेडमार्क मोमेंट बन गया.

इस बेहद खास मैच के साथ मेरी भी एक बेहद दिलचस्प याद जुड़ी हुई है. दरअसल मैं इस मैच को कवर करने गया था और आखिरी 3 गेंद से पहले भारत की हार तय मानकर बीच मैच में से ही उठकर बाहर जाने लगा. मुझे अपने न्यूज चैनल के लिए LIVE देना था. मुझे देखकर कुछ और लोग भी उठकर चलने लगे. जैसे-जैसे मैं बाहर आ रहा था, तीन बार तेज आवाज हुई.

पहली आवाज तब तेज हुई जब मैं स्टेडियम की सीढ़ि‍यां उतर रहा था. मुझे लगा कोई अपील होगी. दूसरी तेज आवाज तब हुई जब मैं स्टेडियम के EXIT गेट पर था, मुझे लगा शायद कुछ हुआ होगा. तीसरी आवाज (जो सबसे तेज थी) वो तब हुई, जब मैं स्टेडियम के बाहर खड़े अपने कैमरापर्सन के पास पहुंचा. हम दोनों में से किसी को नहीं पता था कि अंदर हुआ क्या है.

थोड़ी देर बाद जब रेडियो पर सुना कि भारत जीत गया है, तो खड़े-खड़े मेरे पांव कांपने लगे. खुशी इतनी थी जिसे बयां नहीं कर सकता. अद्भुत पल था वो!

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