भारतीय सेना में सूबेदार आनंदन गुणासेकरन जब हाल ही में बेंगलुरु में मद्रास सैपर्स के मुख्यालय लौटे, तो उनका जबरदस्त स्वागत हुआ. सेना की खुली जीप में उन्हें बैठाया गया और साथ साथ जोश बढ़ाता रहा मिलिट्री का बैंड.
32 साल के आनंदन ने कुछ दिनों पहले ही चीन के वुहान में हुए वर्ल्ड मिलिट्री गेम्स में 3 गोल्ड मेडल जीते और साथ ही नया एशियन रिकॉर्ड भी बना दिया.
लेकिन सबसे खास बात ये है कि आनंदन ने ये मेडल पैरा गेम्स कैटेगरी में जीते हैं. आनंदन ने 100 मीटर, 200 मीटर और 400 मीटर दौड़ में गोल्ड मेडल जीते.
आनंदन ने 11 साल पहले जम्मू कश्मीर में नियंत्रण रेखा के पास अपनी ड्यूटी के दौरान हुए लैंड माइन धमाके में अपना पैर गंवा दिया था.
“मैं 4 जून 2008 में नौगाम सेक्टर (जम्मू और कश्मीर) के तुंगवाली पोस्ट में LoC पर फेंसिंग क्लियरेंस के लिए गया था. काम से वापस आते समय माइन ब्लास्ट हो गया. ब्लास्ट के बाद मैं बाईं तरफ गिर गया. वैसे तो 200 फीट की गहराई पर गिरता लेकिन बर्फ से मेरा कंधा लगने के कारण शरीर सीधी तरफ पलट गया.”आनंदन गुणासेकरन, पैरा-एथलेटिक्स रनर
आनंदन बताते हैं कि इसके बाद उनके श्रीनगर के अस्पताल ले जाया गया, लेकिन वहां से सब बदल गया.
“उसके बाद मेरी टांग अलग हो गई और काफी खून बहा. बाद में मेरे दोस्त मुझे दूसरी पोस्ट पर ले गए. पोस्ट पर हेलीकॉप्टर आया और वो वहां से श्रीनगर लेकर गया जहां मेरे पैर का ऑपरेशन हुआ. उसके एक महीने के बाद मुझे कृत्रिम अंग केंद्र पुणे भेजा गया जहां डॉक्टर ने कहा कि घुटने के नीचे का ऑपरेशन करना होगा.”आनंदन गुणासेकरन, पैरा-एथलेटिक्स रनर
हालांकि इस हादसे के बाद भी काफी वक्त तक आनंदन ने इसके बारे में अपने घर में मां-पिता को नहीं बताया. वो कहते हैं, “जब मैं स्कूल मे था तब 800 और 1500 मीटर में भागता था. फिर आर्मी में आया, 4 किलोमीटर भागा. 6 महीने तक घर में नहीं बताया था. दिमाग में ये था कि अच्छे से चलना है ताकि कुछ पता ना चले,
उन्होंने धीरे-धीरे खुद ही प्रैक्टिस शुरू की और फिर उनका आत्मविश्वास बढ़ता रहा.
“दो स्टिक से प्रैक्टिस की. फिर स्टिक छोड़ी, फिर ट्रेडमिल पर वॉक और जॉगिंग की. रोड पर भागा, फिर उसके बाद धीरे-धीरे शुरू किया. 2.5 किलोमीटर 9 मिनट मे भागा. मैंने अच्छे से रिकवरी की, जिससे आत्मविश्वास भी बढ़ा.”आनंदन गुणासेकरन, पैरा-एथलेटिक्स रनर
आनंदन ने अपने प्रदर्शन से टोक्यो में होने वाले 2020 के पैरालंपिक के लिए भी क्वालीफाई किया है. उनका अगला लक्ष्य टोक्यो में भारत के लिए मेडल जीतना है और इसके लिए वो लगातार प्रैक्टिस भी कर रहे हैं.
“मेरा लक्ष्य है ओलंपिक में मेडल जीतना और भारत का झंडा ऊंचा करना. डेढ़ साल से अच्छे से तैयारी कर रहे हैं. पूरे कमिटमेंट और फोकस के साथ प्रैक्टिस की थी. उसके कारण भारत के लिए 3 मेडल मिले. अच्छा लगा मुझे, सेना की वजह से इतना आगे गया.”आनंदन गुणासेकरन, पैरा-एथलेटिक्स रनर
आनंदन फिलहाल रुकने को तैयार नहीं हैं और आगे भी ऐसा ही प्रदर्शन जारी रखना चाहते हैं. उनके लिए सेना उनका परिवार है, जिसकी मदद से वो इस स्तर तक पहुंच पाए हैं.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)