भारत में फिलहाल रणजी ट्रॉफी का शुरुआती दौर चल रहा है और भारतीय क्रिकेट टीम के कई नियमित सदस्यों के साथ ही घरेलू क्रिकेट के कई बड़े खिलाड़ियों पर भी नजरें बनी है. लेकिन जैसे हर सीजन में एक युवा खिलाड़ी सबका ध्यान खींचता है, ऐसा ही कुछ इस बार भी हो रहा है.
ये खिलाड़ी भारतीय क्रिकेट के जाने पहचाने अड्डों से नहीं बल्कि एक ऐसी जगह से है, जो राजनीतिक कारणों से पूरे साल चर्चा में रहता है.
18 साल के अब्दुल समद ने जम्मू और कश्मीर की रणजी टीम के युवा सदस्य हैं. लेकिन अब तक हुए सिर्फ 4 मैचों में ही समद ने ऐसा प्रदर्शन किया है कि उनका नाम अब क्रिकेट फैंस की जुबान पर आने लगा है.
जरा इन आंकड़ों पर नजर डालिए-
- समद ने अभी झारखंड के खिलाफ सिर्फ 75 गेंदों में 128 रन की धुआंधार पारी खेली. इस पारी में उन्होंने 11 छक्के और 10 चौके जड़े थे. नतीजा J & K की जीत.
- इससे ठीक पिछले मैच में समद ने असम के खिलाफ भी समद ने सिर्फ 72 गेंदों में 103 रन की तूफानी पारी खेली थी. उससे पिछले 2 मैचों में भी 2 अर्धशतक.
इस तरह, पहली बार फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेल रहे समद ने अभी तक सिर्फ 6 पारियों में ही 74 की औसत से 370 रन बना लिए हैं. इसमें 2 शतक और 2 अर्धशतक शामिल हैं. सबसे खास बात स्ट्राइक रेट है, जो 125 का है.
जम्मू और कश्मीर का ये नया नाम इस साल इंडियन प्रीमियर लीग में भी अपना जलवा बिखेरता दिख सकता है, क्योंकि सनराइजर्स हैदराबाद ने इस युवा बल्लेबाज को अपनी टीम में शामिल किया है.
लेकिन कश्मीर के माहौल के बीच समद का क्रिकेट सीखना और फिर उसे पहचानने और तराशने की भी एक कहानी है और उसका एक अहम हिस्सा हैं पूर्व भारतीय ऑलराउंडर इरफान पठान.
मोहल्ला क्रिकेट से शुरुआत
भारत के हर हिस्से में मोहल्ला क्रिकेट की अपनी खास जगह है. हर छोटे से बड़ा क्रिकेटर अपने मोहल्ले में ही पहली बार बल्ला घुमाना या गेंद को टप्पा देना सीखता है. फिर कोई आजाद मैदान की कोचिंग में जाता है, तो कोई शहर के क्रिकेट क्लब्स में जाकर खुद को निखारता है.
समद की शुरुआत भी कुछ ऐसी ही रही. समद ने अपने भाई के साथ गली क्रिकेट खेलना शुरू किया और फिर वहीं से कदम आगे बढ़ाए.
क्रिकट्रैकर को एक दिए एक इंटरव्यू में समद ने बताया,
“मेरा सफर काफी अच्छा रहा है. मैंने अपने भाई के साथ गली क्रिकेट से शुरुआत की. उसके बाद मैं एमए स्टेडियम कोचिंग सेंटर में गया, जहां स्पोर्ट्स काउंसिल के क्रिकेट कोच रणधीर सिंह मन्हास और उनके असिस्टेंट रमन थपलू के तहत मैंने ट्रेनिंग शुरू की.”
इसके बाद समद ने जम्मू और कश्मीर की टीम के लिए U-16 और U-19 क्रिकेट भी खेला.
इरफान ने पहचानी प्रतिभा
जूनियर स्तर पर तो समद लगातार रन बना रहे थे लेकिन सीनियर लेवल पर खेलने के लिए उनका सेलेक्शन जरूरी था. करीब 2 साल पहले जम्मू-कश्मीर टीम के लिए हो रहे ट्रायल के दौरान इरफान ने समद को पहली बार खेलते देखा.
इरफान ने समद के बारे में और जानकारी जुटाई और फिर उन्हें सीनियर टीम में प्रमोट करते हुए टी10 और लिस्ट ए मैचों में मौका दिया. इरफान उस वक्त जम्मू कश्मीर टीम के मेंटॉर बने थे.
इरफान ने समद की बल्लेबाजी का बेहतर इस्तेमाल करने के लिए लिमिटेड फॉर्मेट में उन्हें ओपनिंग के लिए कहा, जबकि रणजी ट्रॉफी के लिए उन्हें मिडिल ऑर्डर में बैटिंग के लिए भेजा.
इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए इरफान ने कहा,
“हमने छोटे फॉर्मेट में उसे ओपनिंग के लिए कहा क्योंकि हमने सोचा कि उसके आक्रामक रुख का फायदा अच्छी शुरुआत के लिए कर सकते हैं. लेकिन रणजी ट्रॉफी के लिए हमने परंपरागत रुख अपनाया और तय किया कि 3-4 विकेट गिरने के बाद ही उन्हें भेजा जाए.”
इरफान ने समद की तारीफ करते हुए कहा कि सिर्फ 4 मैचों में उसने 70 गेंदों में शतक जड़कर अपनी काबिलियत दिखा दी है.
इंडियन प्रीमियर लीग में एंट्री
बीते साल 19 दिसंबर को कोलकाता में हुई IPL 2020 की नीलामी में समद को सनराइजर्स हैदराबाद ने उनके बेस प्राइस 20 लाख रुपये में ही खरीद लिया. इसके बाद से ही समद का नाम फैंस की जुबान पर आ गया था.
खास बात ये है कि IPL नीलामी के बाद ही समद ज्यादा खतरनाक दिखे. शायद एक अच्छे अवसर के भरोसे से उनका आत्मविश्वास और बढ़ गया. 19 दिसंबर की नीलामी के बाद ही जम्मू-कश्मीर की टीम ने असम और झारखंड के खिलाफ रणजी मैच खेले और दोनों में ही समद ने धुआंधार शतक जड़े.
समद ने भी इस बात को माना और कहा भी कि IPL के लिए चुने जाने से उनका आत्मविश्वास बढ़ा और जिस तरह से उन्होंने असम और झारखंड के खिलाफ खेला उसमें नए IPL कॉन्ट्रेक्ट की भी भूमिका है.
समद के पिता खुद क्लब लेवल के क्रिकेटर रह चुके हैं और साथ ही वॉलीबॉल भी खेल चुके हैं. समद फीजिकल एजुकेशन के टीचर हैं. उन्होंने हमेशा अपने बेटे के सपने को पूरा करने में मदद की.
IPL के लिए समद के चुने जाने पर पिता मोहम्मद फारुख ने कहा,
“मैं बहुत खुश हूं. मुझे हमेशा उम्मीद थी कि मेरा बेटा इस स्तर तक पहुंचे. वो अब वहां पहुंच गया है. मुझे खुशी है कि उसे IPL में खेलने का मौका दिया गया है.”
उन्होंने कहा कि अगर अब्दुल इस स्तर तक पहुंच सकता है तो कश्मीर के कई और बच्चे भी यहां तक पहुंच सकते हैं.
वहीं समद की मां फरजाना कौसर IPL में चुने जाने की खुशी बयान करते हुए कहती हैं कि सब लोग उस दिन टीवी पर नीलामी देख रहे थे और उम्मीद कर रहे थे कि उसे चुन लिया जाए.
फरजाना कौसर की एक ख्वाहिश तो पूरी हो गई है, अब उनको दूसरी ख्वाहिश के पूरा होने का इंतजार है और वो है- ‘समद एक दिन भारतीय टीम के लिए खेले.’
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