साउथैम्पटन के मैदान में इस वर्ल्ड कप में बड़े स्कोर नहीं बने हैं, शनिवार को भारत-अफगानिस्तान के मैच में एक बार फिर ये बात साबित हुई. लेकिन इस एक पक्ष को छोड़ दें तो इस मैच से क्रिकेट पंडितों और फैंस के कई भ्रम दूर हुए.
जिस अफगानिस्तान की टीम को सबसे कमजोर माना जा रहा था उसने भारतीय टीम की नाक में दम कर दिया. जिस भारतीय टीम को सबसे ताकतवर टीम माना जा रहा था उसकी कई कमियां एक साथ उजागर हुईं.
इसी अफगानिस्तान के खिलाफ इंग्लैंड ने 397 रन बनाए थे इसलिए ऐसा कहा जा रहा था कि टीम इंडिया तो अफगानिस्तान के खिलाफ 400 रनों का आंकड़ा पार कर देगी. टॉस जीतकर जब टीम इंडिया ने पहले बल्लेबाजी का फैसला किया तो ये उम्मीद और बढ़ गई. लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं.
यूं तो इस मैच में हार जीत का कोई असर वर्ल्ड कप में भारत के अभियान पर नहीं पड़ने वाला था. भारतीय टीम ने गिरते पड़ते ये मैच जीतकर दो अंक भी हासिल कर लिए, लेकिन अब उसके सामने इतने सवाल खड़े हो गए हैं जिनका जवाब खोजना बहुत जरूरी है.
अफगानिस्तान के खिलाफ मैच आने वाले मैचों से पहले भारतीय टीम के लिए ख़तरे की घंटी है. लीग मैचों में तो अब मुश्किल मुकाबले के नाम पर सिर्फ इंग्लैंड के खिलाफ मैच बचा है, लेकिन सेमीफाइनल जैसे बड़े मुकाबले के लिहाज से देखें, तो शनिवार का प्रदर्शन आंखें खोल देने वाला है. टीम की साख के लिहाज से हैरान कर देने वाला है.
बल्लेबाजी पर उठे सवाल
सबसे पहला सवाल तो यही है कि क्या भारतीय टीम ने अफगानिस्तान के गेंदबाज़ों को हल्के में लेने की गलती की, क्योंकि भारतीय बल्लेबाजों ने शुरुआत में फंसने के बाद अफगानिस्तान के गेंदबाजों को जरूरत से ज्यादा घातक बना दिया.
अच्छा खासा आक्रामक बैटिंग ऑर्डर टेस्ट क्रिकेट की तरह बल्लेबाजी करने लगा. ये आँकड़े देखिए-
इस कदर धीमी बल्लेबाजी क्यों?
- केएल राहुल ने 53 गेंद पर सिर्फ 30 रन बनाए
- विजय शंकर ने 41 गेंद पर सिर्फ 29 रन बनाए
- धोनी ने 52 गेंद पर सिर्फ 28 रन बनाए
धोनी तो क्रीज पर टिकने के बाद बड़े शॉट्स लगाने से पहले समय लेते ही हैं. विजयशंकर और केएल राहुल ने किस रणनीति से सुस्त बल्लेबाजी की वो समझ से परे है.
अगर इस पक्ष को ध्यान में रखें कि पिच पर बड़े शॉट्स लगाना मुश्किल था तो भी इन दोनों बल्लेबाज़ों ने स्ट्राइक रोटेट क्यों नहीं की? अगर इन बल्लेबाजों ने रन-ए-बॉल की रणनीति भी बनाई होती तो भारत के स्कोर में कम से कम 25-30 रन और जुड़ गए होते. इस मैच के बाद टीम मैनेजमेंट को ऋषभ पंत को टीम में शामिल करने के बारे में गंभीरता से सोचना होगा.
स्पिनर्स के खिलाफ इतने कमजोर क्यों ?
इस सवाल का जवाब भी भारतीय कप्तान को तलाशना होगा. भारतीय कप्तान खुद इस कमजोरी का शिकार हैं. अव्वल तो इस वर्ल्डकप में ये तीसरा मौका है जब वो अर्धशतक बनाने के बाद आउट हुए. आमतौर पर विराट के अर्धशतक का मतलब ही होता है शतक बनना. लेकिन इस वर्ल्ड कप में तीसरी बार विराट कोहली अर्धशतक बनाने के बाद उसे शतक में तब्दील नहीं कर पाए.
अफगानिस्तान के खिलाफ कोहली स्पिन गेंदबाज का ही शिकार हुए. मोहम्मद नबी की ऑफ ब्रेक में हल्का सा उछाल ज्यादा था और विराट कोहली उस गेंद को पढ़ने में चूक गए. हाल फिलहाल में स्पिन गेंदबाजों के खिलाफ विराट कोहली की असहजता कई बार देखने को मिली है.
विराट के अलावा बाकि बल्लेबाजों ने भी अफगानिस्तान के स्पिनर्स को जरूरत से ज्यादा सम्मान दिया. वही राशिद खान जो इंग्लैंड के खिलाफ वर्ल्ड कप के इतिहास का सबसे महंगा स्पेल फेंककर आए थे वो भारत के खिलाफ बेहद किफायती गेंदबाज साबित हुए.
उनके साथ-साथ बाकि स्पिनर्स के आंकड़े देखिए
स्पिनर्स के खिलाफ इतने कमजोर !
- मुजीब उर रहमान ने 10 ओवर में सिर्फ 26 रन दिए
- मोहम्मद नबी ने 9 ओवर में सिर्फ 33 रन दिए
- राशिद खान ने 10 ओवर में 38 रन दिए
- रहमत शाह ने भी 5 ओवर में सिर्फ 22 रन दिए
दिलचस्प बात ये है कि रहमत शाह पार्ट स्पिनर हैं लेकिन उन्होंने भी भारतीय बल्लेबाजों को खूब छकाया. भारतीय टीम फिलहाल जिस स्थिति में है उससे लीग मैच में तो इस तरह की गलतियां भारी नहीं पड़ती लेकिन सेमीफाइनल जैसे बड़े मैच में अगर इनमें से आधी गलतियां भी हो गईं तो फिर वर्ल्ड कप के लिए चार साल का इंतजार करना होगा.
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