बुधवार को शाम करीब साढ़े पांच बजे का वक्त था जब व्हाट्सएप पर धोनी की तस्वीर के साथ एक चुटकुला बड़ी तेजी से वायरल हुआ. इस चुटकुले में धोनी की हंसती हुई तस्वीर पर लिखा था- “अब मेरी तरफ क्या देख रहे हो सब? मैं तो स्लो खेलता हूं ना”.
दरअसल इस चुटकुले में सेमीफाइनल में हार और जीत का अंतर है. दो दिन तक चले सेमीफाइनल मैच में न्यूजीलैंड ने भारतीय टीम के सामने सिर्फ 240 रनों का लक्ष्य रखा था.
भारतीय टीम के बल्लेबाजी क्रम को देखकर कोई भी नहीं सोच सकता था कि ये 240 रन टीम को भारी पड़ने वाले हैं. लेकिन भारतीय बल्लेबाजी की शुरुआत बहुत खराब रही.
विश्व कप में पांच शतक लगा चुके रोहित शर्मा सिर्फ एक रन बनाकर आउट हो गए. इसके बाद कप्तान विराट कोहली ने भी एक रन बनाकर विकेट खो दिया. केएल राहुल ने भी एक ही रन बनाया और पवेलियन लौट गए. स्कोरबोर्ड पर पांच रन जुड़े थे जब ये तीनों बल्लेबाज पवेलियन लौट चुके थे.
विराट कोहली ने इसके बाद भी धोनी को बल्लेबाजी के लिए नहीं भेजा. उस वक्त कॉमेंट्री कर रहे टीम इंडिया के पूर्व दिग्गज कप्तान सौरव गांगुली ने भी साफ कहा कि ऐसे मौके पर धोनी को बल्लेबाजी के लिए ना भेजकर विराट किस बात का इंतजार कर रहे हैं.
आखिरकार टीम इंडिया के दो यंगस्टर्स ऋषभ पंत और हार्दिक पांड्या ने क्रीज पर आंख जमाने और वक्त बिताने के बाद अपना विकेट गंवाया और जब धोनी क्रीज पर आए तब मैच भारत के हाथ से निकल चुका था.
अगर धोनी पहले आते तो...
धोनी अगर पहले बल्लेबाजी करने आते तो वो मैच पर बेहतर नियंत्रण कर सकते थे. वो विकेट पर टिककर दूसरे बल्लेबाज को गाइड कर सकते थे. ये बात हर कोई कह रहा है कि धोनी अगर बल्लेबाजी के लिए आते तो विकेटों के गिरने का सिलसिला रूक सकता था.
वो भले ही स्पिन गेंदबाज के खिलाफ रन ना बनाते लेकिन इतना तय था कि वो मिचेल सैंटनर को अपना विकेट ना देते. चूंकि लक्ष्य ज्यादा नहीं था इसलिए धोनी की सुस्त बल्लेबाजी ही इस मैच में जीत की वजह बन सकती थी.
आपको बता दें कि इस विश्व कप में धोनी स्पिन गेंदबाजों के खिलाफ अपनी सुस्त बल्लेबाजी को लेकर आलोचनाओं का जमकर शिकार हुए थे. सोशल मीडिया में इस बात को लेकर खूब हो-हल्ला था कि स्पिन गेंदबाजों के खिलाफ धोनी को आखिर हुआ क्या है, जिस चुटकुले का हमने शुरू में जिक्र किया वो भी दरअसल इसी आलोचना से जुड़ा हुआ था.
मैच में ऋषभ पंत और हार्दिक पांड्या जिस तरह के गैर जिम्मेदार शॉट्स को खेलकर आउट हुए वो धोनी के रहते रोका जा सकता था. धोनी मैच की रफ्तार से चलने वाले खिलाड़ी हैं. वो पंत और पांड्या को किसी भी तरह के जोखिम से दूर रखते.
सेमीफाइनल मैच में ही उन्होंने ऐसा किया भी. मैच में कुछ देर के लिए जब टीम इंडिया ने वापसी की तो उसका श्रेय रविंद्र जडेजा को जाता है. जिन्हें क्रीज के दूसरी तरफ मौजूद धोनी लगातार गाइड कर रहे थे. जडेजा ने 59 गेंदों पर 77 रन बनाए.
इस दौरान धोनी उन्हें स्ट्राइक देते रहे. जडेजा ने लंबे शॉट्स भी लगाए लेकिन बहुत सोच-समझकर. जो परिपक्वता ऋषभ पंत और हार्दिक पांड्या ने नहीं दिखाई.
प्लान बदलना पड़ा महंगा
इंग्लैंड से हारने के बाद टीम इंडिया ने अपना प्लान बदला. टीम ने अपनी बल्लेबाजी को ‘डीप’’ किया. जिसकी वजह से बाद के मैचों में टीम इंडिया सिर्फ पांच गेंदबाजों के साथ मैदान में उतरी. इसके पीछे की रणनीति यही थी कि भारतीय टीम बल्लेबाजी को और मजबूत कर ले.
विराट कोहली शायद ये नहीं समझ पाए कि इंग्लैंड की टीम पिछले डेढ़ साल से इस रणनीति पर क्रिकेट खेल रही है. इसीलिए उसके बल्लेबाज क्रीज पर आते ही विरोधी टीम के गेंदबाजों पर हमला बोलते हैं. इंग्लैंड ने पिछले कुछ महीनों में लगातार बड़े स्कोर इसी रणनीति के तहत बनाए हैं. भारतीय टीम ने इस रणनीति को अपनाने के चक्कर में तमाम प्रयोग कर दिए.
टूर्नामेंट में शानदार गेंदबाजी कर रहे मोहम्मद शमी को बाहर बिठाया. दिनेश कार्तिक को प्लेइंग 11 में जगह दी जो अपनी कोई उपयोगिता साबित नहीं कर पाए. युजवेंद्र चहल और कुलदीप यादव की जोड़ी को तोड़ दिया.
एक ही मैच के प्लेइंग 11 में चार-चार विकेटकीपर खिलाए. फिर भी इन सारे प्रयोगों का नतीजा एक ही है कि लीग मैचों के बाद प्वाइंट टेबल में टॉप की टीम टूर्नामेंट से बाहर हो चुकी है.
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