भारत के पूर्व टेस्ट ओपनर घरेलू क्रिकेट के सबसे दिग्गज बल्लेबाजों में से एक वसीम जाफर ने क्रिकेट से संन्यास का ऐलान कर दिया. 42 साल के जाफर ने इस साल रणजी ट्रॉफी में विदर्भ की ओर से अपना आखिरी सीजन खेला और करीब 24 साल के फर्स्ट क्लास करियर पर पर्दा गिरा दिया. जाफर ने भारत के लिए 31 टेस्ट मैच और 2 वनडे मैच खेले थे.
24 साल के फर्स्ट क्लास करियर में जाफर ने 260 मैचों में 19,410 रन बनाए, जिसमें 57 शतक भी शामिल हैं. वो रणजी ट्रॉफी में 11 हजार रन बनाने वाले पहले बल्लेबाज थे और टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज के तौर पर अपना करियर खत्म किया.
जाफर ने भारत के लिए 2000 में साउथ अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू किया था. हालांकि अपनी पहली ही सीरीज में वो नाकाम रहे थे और फिर टीम से उन्हें ड्रॉप कर दिया गया.
इसके बाद जाफर ने 2002 में वेस्टइंडीज दौर पर वापसी की, जहां उन्होंने कुछ अच्छी पारियां खेलीं. हालांकि इंग्लैंड के दौरे पर ज्यादा सफलता न मिलने के कारण उन्हें फिर से ड्रॉप किया गया.
नेशनल टीम से बाहर होने के बाद जाफर ने घरेलू क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन किया और आखिर 2006 में इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज में एक बार फिर उन्होंने वापसी की और अपना पहला टेस्ट शतक लगाया. यहां से जाफर अगले 2 साल तक लगातार टीम के ओपनर बने रहे. जाफर ने 2008 में साउथ अफ्रीका के खिलाफ अपना आखिरी टेस्ट मैच खेला.
भारतीय टीम के लिए खेलते हुए जाफर ने 31 टेस्ट मैचों में 34.10 की औसत से 1,944 रन बनाए. इसमें 2 दोहरे शतक समेत 5 शतक और 11 अर्धशतक शामिल हैं. उन्होंने पाकिस्तान (202) और वेस्टइंडीज (212) के खिलाफ दोहरे शतक जड़े थे.
रणजी ट्रॉफी में सबसे ज्यादा रन
घरेलू क्रिकेट में भारत के सबसे सफल, शानदार और भरोसेमंद बल्लेबाजों में जाफर की गिनती होती रही है. जाफर ने भारत के सबसे बड़े घरेलू टूर्नामेंट रणजी ट्रॉफी में लंबे समय तक मुंबई की टीम के लिए बैटिंग की जिम्मेदारी संभाली.
जाफर के नाम रणजी ट्रॉफी में सबसे ज्यादा रन का रिकॉर्ड है. 2019-20 सीजन में जाफर ने ये रिकॉर्ड बनाया और 12,038 रन के साथ अपने करियर पर विराम लगाया. वो रणजी ट्रॉफी में 150 मैच खेलने वाले पहले खिलाड़ी भी बने.
जाफर ने 2015-16 में मुंबई छोड़कर विदर्भ की रणजी टीम का साथ चुना और जल्द ही विदर्भ को रणजी चैंपियन बनाने में मदद की. 2018 में दिल्ली के खिलाफ हुए फाइनल में जाफर ने आखिरी बाउंड्री जड़कर विदर्भ को चैंपियन बनाया.
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