आखिरकार वही हुआ जिसका डर था. दिल्ली की टीम का पहली बार आईपीएल फाइनल खेलने का सपना टूट गया. लीग मैचों में मुंबई इंडियंस और चेन्नई सुपरकिंग्स की तरह ही 9-9 मैच जीतकर और 18 अंक लेकर प्लेऑफ में पहुंची दिल्ली की टीम शुक्रवार को एक औसत टीम की तरह खेली. नतीजा उसे आईपीएल के इस सीजन से भी खाली हाथ बाहर होना पड़ा. चेन्नई ने दिल्ली को 6 विकेट से हराकर फाइनल में जगह बनाई. इस सीजन के दोनों लीग मैचों को मिलाकर चेन्नई के खिलाफ दिल्ली कैपिटल्स की ये तीसरी हार थी.
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दिल्ली की टीम ने पहले बल्लेबाजी करते हुए चेन्नई सुपरकिंग्स को 148 रनों का लक्ष्य दिया था. जो लक्ष्य चेन्नई ने 4 विकेट खोकर हासिल कर लिया. अब रविवार को फाइनल में मुंबई इंडियंस और चेन्नई सुपरकिंग्स का मुकाबला होगा. चेन्नई सुपरकिंग्स और मुंबई इंडियंस ही प्वाइंट टेबल में लीग मैचों के बाद टॉप की दो टीमें थीं. यानी सीजन की दो ‘बेस्ट डिसर्विंग’ टीमें ही फाइनल में टकराएंगी.
ये दोनों ही टीमें अब तक तीन-तीन बार आईपीएल चैंपियन बन चुकी हैं. इस बात को समझना होगा कि आखिरी दिल्ली की टीम पूरे टूर्नामेंट में चेन्नई का चक्रव्यूह क्यों पार नहीं कर पाई.
बड़े स्कोर के लिए चेन्नई थी तैयार
अगर आप ऐसा सोचते हैं कि दिल्ली की टीम ने 10-15 रन कम बनाए तो भूलिएगा नहीं कि चेन्नई ने ये मुकाबला 19वें ओवर में ही जीत लिया था. यानी 10-15 रन और बनाने होते तो वो भी बन जाते. मैच में उतरने से पहले चेन्नई की टीम ने जो रणनीति बनाई थी वो बिल्कुल साफ थी कि उन्हें स्कोरबोर्ड पर 180 रनों के आस-पास बनाना है. पहले बल्लेबाजी करें तो भी और लक्ष्य का पीछा करें तो भी इस स्कोर के लिए तैयार रहें. आप सुरेश रैना, अंबाती रायडू और महेंद्र सिंह धोनी की बल्लेबाजी का तरीका देखें- तीनों बल्लेबाजों ने एक भी छक्का नहीं मारा, क्योंकि इसकी जरूरत ही नहीं थी. इन तीनों बल्लेबाजों का स्ट्राइक रेट देखिए-
- सुरेश रैना ने 13 गेंद पर 11 रन बनाए. कोई छक्का नहीं
- रायडू ने 20 गेंद पर 20 रन बनाए. कोई छक्का नहीं
- धोनी ने 9 गेंद पर 9 रन बनाए. कोई छक्का नहीं
ये बात भी समझनी चाहिए कि ये स्थिति बनी कैसे कि इन बल्लेबाजों को किसी तरह का जोखिम नहीं लेना पड़ा. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि चेन्नई के दोनों सलामी बल्लेबाजों ने हाफ सेंचुरी बनाई. फाफ ड्यूप्लेसी ने 39 गेंदों पर अर्धशतक लगाया. जबकि शेन वॉटसन ने 32 गेंदों पर. इन दोनों बल्लेबाजों की बदौलत चेन्नई की टीम ने 11.5 ओवर में ही 100 रन पूरे कर लिए थे. इसके बाद जोखिम उठाने की जरूरत ही नहीं थी.
अब दिल्ली की टीम पर आते हैं. निश्चित तौर पर दिल्ली की टीम में प्रतिभाशाली युवा खिलाड़ियों की कमी नहीं है. लेकिन बड़े मैचों को जीतने के लिए जो रणनीति बनानी चाहिए उससे ये टीम अभी दूर है. दिल्ली की टीम को ये समझना होगा कि फॉर्मेट भले ही 20 ओवर का है लेकिन इन 20 ओवरों में भी बल्लेबाजी करनी होती है. बड़ी टीमों की कोशिश होती है कि मैच की आखिरी गेंद तक उनके बड़े बल्लेबाज क्रीज पर रहें.
यहां तो दिल्ली की स्थिति ऐसी थी कि 12.5 ओवर में 80 रन के स्कोर पर आधी टीम पवेलियन में थी. पृथ्वी शॉ, शिखर धवन और कॉलिन मुनरो के आउट होने के बाद कप्तान श्रेयस अय्यर की कोशिश होनी चाहिए थी कि वो जितनी देर तक खेल सकते हैं क्रीज पर टिकें. लेकिन उन्होंने भी 12वें ओवर में एक हवाई शॉट खेलकर पवेलियन का टिकट पकड़ लिया. ऋषभ पंत ने अपेक्षाकृत अपना तरीका बदला. इमरान ताहिर के ओवरों को संभलकर खेला लेकिन जब उन्होंने आक्रामक होने की कोशिश की तो विकेट गंवा बैठे. तारीफों के पुल पर बैठे ऋषभ पंत के लिए अब भी समय है कि वो अपने खेल पर ‘फोकस’ करें.
आक्रामक कब होना है और कब नहीं के बीच का सामंजस्य वो अभी तक बिठा नहीं पाए हैं. असल में तो अमित मिश्रा और ईशांत शर्मा ने 16 रन अप्रत्याशित तरीके से जोड़ दिए वरना दिल्ली की टीम सवा सौ रनों के आस पास सिमट गई होती. मुसीबत ये है कि अब अगर पूरी टीम इस हार से सबक ले भी ले तो भी मौका अब एक साल बाद ही आएगा.
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