ऑकलैंड में टीम इंडिया जीत के लिए 159 रनों के लक्ष्य का पीछा कर रही थी. इस मैच में जीत इसलिए जरूरी थी क्योंकि हार का मतलब था सीरीज गंवाना. रोहित शर्मा और शिखर धवन ने शानदार शुरुआत की. दस ओवर के पहले पहले स्कोरबोर्ड पर 79 रन जुड़े थे, जब रोहित शर्मा आउट हुए. इसके बाद 10 रनों के भीतर ही शिखर धवन भी आउट हो गए.
अब संयम से बल्लेबाजी करने की जरूरत थी. क्रीज पर ऋषभ पंत और विजय शंकर थे. दोनों के पास अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट का अनुभव कम ही है. कुछ देर में ही विजय शंकर भी 14 रन बनाकर आउट हो गए. उस वक्त टीम का स्कोर था- 118 रन. दिलचस्प वाकया उनके आउट होने के बाद हुआ. विजय शंकर जब पवेलियन लौट रहे थे तो बल्लेबाजी करने आ रहे थे महेंद्र सिंह धोनी.
ऑकलैंड के स्टेडियम में मौजूद क्रिकेट फैंस ने दिल खोलकर धोनी का अभिवादन किया. हमेशा की तरह धोनी के चेहरे पर कोई ‘रिएक्शन’ नहीं था. वो शून्य भाव के साथ मैदान के भीतर चलते चले आए लेकिन टीवी सेट्स पर मैच देख रहे करोड़ों क्रिकेट प्रेमियों को एक बार फिर इस बात का एहसास हुआ कि धोनी का अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट का क्या जादू है और क्या जलवा है. खैर, धोनी के लिए क्रीज पर आने के बाद कोई बहुत मुश्किल चुनौती थी नहीं.
जीत के लिए 6.2 ओवर में 41 रन बनाने थे. जो धोनी और पंत ने मिलकर आसानी से बना लिए. इस जीत के साथ ही तीन टी-20 मैचों की सीरीज में दोनों टीमें अब 1-1 की बराबरी पर हैं. सीरीज का आखिरी मैच अब फाइनल सरीखा होगा. जो 10 फरवरी को खेला जाएगा. खैर, फिलहाल बात धोनी की.
क्या फर्क डालती है टीम में धोनी की मौजूदगी
मैच खत्म होने के बाद वीवीएस लक्ष्मण टीवी कार्यक्रम में अपनी बात रख रहे थे. उन्होंने कहा कि धोनी जब मैदान में बल्लेबाजी करने आए तो उन्हें उन मैचों की याद ताजा हो गई, जब राहुल द्रविड़ आउट होकर पवेलियन लौट रहे होते थे और अंदर से निकलते थे सचिन तेंदुलकर. सचिन को लेकर दुनिया के किसी भी स्टेडियम में इतनी दीवानगी थी कि लोग उनका जमकर अभिवादन करते थे. उन्हें ‘स्टैडिंग ओवेशन’ देते थे.
हालांकि, ये तो अभिवादन की बात है. इस बात को समझने की जरूरत है कि धोनी ने क्रीज पर आने के बाद क्या किया, मैच देख रहे दर्शकों ने ऋषभ पंत की बल्लेबाजी में धोनी के आने के बाद बदलाव नोटिस किया. जो ऋषभ पंत क्रीज पर जल्दबाजी में दिख रहे थे वो धोनी के दूसरे छोर पर आने के बाद बहुत संतुलित और संयमित दिखाई दिए.
धोनी के मैदान में होने का यही मतलब है. ये मतलब इन दिनों और ज्यादा अहम इसलिए है क्योंकि टीम मैनेजमेंट विश्व कप की तैयारियों के मद्देनजर कई प्रयोग कर रहा है. तेज गेंदबाजों से लेकर बल्लेबाजी क्रम में तमाम प्रयोग आजमाए जा रहे हैं. ऐसे वक्त में जरूरी है कि टीम में धोनी जैसा एक खिलाड़ी हो जो मैच की नब्ज को ना सिर्फ समझता हो, बल्कि उसके मुताबिक खेलने के लिए बाकी खिलाड़ियों को भी प्रेरित कर सकता हो.
शानदार फॉर्म में हैं महेंद्र सिंह धोनी
यूं तो चुनौती ज्यादा मुश्किल थी भी नहीं, लेकिन धोनी ने अपने रोल को बखूबी निभाया. उन्होंने 17 गेंदों पर 20 रन बनाए और टीम को जीत दिलाकर पवेलियन लौटे. 7 गेंद पहले 7 विकेट से मिली जीत का अगले मैच में मनोवैज्ञानिक लाभ टीम इंडिया के पास होगा. इससे पहले धोनी वनडे सीरीज में भी शानदार फॉर्म में थे. उन्हें वनडे सीरीज में ‘मैन ऑफ द मैच’ चुना गया था.
धोनी ने तीन वनडे मैचों की सीरीज में 193 की औसत से 193 रन बनाए थे. इसमें 3 अर्धशतक शामिल था. उनकी स्ट्राइक रेट करीब 73 की थी. बल्लेबाजी के अलावा टीम में धोनी की जो उपयोगिता है उसकी चर्चा लगातार होती रहती है. टीम के स्पिनर्स की कामयाबी में उनका जो रोल है उसकी तारीफ बड़े से बड़े दिग्गज खिलाड़ी ने की है. फील्ड प्लेसमेंट को लेकर उनके ‘इनपुट्स’ हमेशा विराट कोहली के काम आते हैं. यही वजह है कि धोनी के आलोचक भले ही उनकी बल्लेबाजी के अंदाज में आए बदलाव का रोना रोते रहें, क्रिकेट फैंस अब भी उन्हें सिर आंखों पर बिठाते हैं.
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