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जडेजा का मजाक बनता था वो आज दुनिया का नंबर 1 ऑलराउंडर है

अश्विन के साथ मिलकर जडेजा ने 42 टेस्ट में 424 विकेट लिये हैं जो कुंबले-भज्जी की महान जोड़ी के बाद सबसे ज्यादा है.

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बुधवार, 9 मार्च को आईसीसी (ICC) यानी क्रिकेट की सर्वोच्च संस्था ने टेस्ट क्रिकेट में खिलाड़ियों की ताजा रैंकिंग जारी की. इसमें रविंद्र जडेजा (Ravindra Jadeja) का नाम ऑलराउंडर्स की लिस्ट में सबसे ऊपर रहा.

करीब 5 साल पहले अगस्त 2017 में भी जडेजा दुनिया में नंबर 1 ऑलराउंडर बने थे लेकिन उस दौरान वो सिर्फ 1 हफ्ते के लिए ही इस ताज पर कब्जा रख पाये. लेकिन, मोहाली टेस्ट में श्रीलंका के खिलाफ मैन ऑफ द मैच बनने वाले जडेजा से अब उम्मीद की जा सकती है कि वो नंबर 1 की रैंकिंग को लंबे समय तक अपने हाथ से जाने नहीं देंगे.

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“देखिये, जडेजा का ऑलराउंडर के तौर पर फिलहाल कोई मुकाबला नहीं है. वो ना सिर्फ गेंद और बल्ले से बल्कि अपनी शानदार फील्डिंग से भी टीम के लिए एक संपूर्ण हरफनमौला खिलाड़ी की भूमिका निभातें हैं,” ऐसा कहना है टीम इंडिया के पूर्व ऑलराउंडर इरफान पठान का जो करीब पिछले तीन दशक से जडेजा को जानते हैं.

अक्सर भारतीय पिचों पर साथी खिलाड़ी आर अश्विन के साथ लाजवाब जोड़ी बनाने के चलते बहुत लोगों का ध्यान जडेजा पर शायद नहीं जाता हो. वैसे अश्विन के साथ मिलकर जडेजा ने 42 टेस्ट मैचों में 424 विकेट लिये हैं जो अनिल कुंबले और हरभजन सिंह की महान जोड़ी के बाद सबसे ज्यादा है.

श्रीलंका के खिलाफ मोहाली टेस्ट चूंकि तीन दिनों के भीतर ही खत्म हो गया तो ऐसे में जडेजा को शायद इस बात का मलाल हो कि अगर थोड़ी देर उन्होंने और बल्लेबाजी कर ली होती तो वो शायद अपने अपने करियर का पहला दोहरा शतक भी जमा देते.

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वैसे देखा जाय तो अब तक जडेजा की बल्लेबाजी को वो सम्मान नहीं मिलता था जिसके वो हकदार हैं. जबकि पिछले 5 साल में इस खिलाड़ी ने करीब 50 की औसत से टेस्ट क्रिकेट में रन बनाए हैं.

पठान ने कहा, “मुझे निजी तौर पर ऐसा लगता है कि जिस तरह की काबिलियत उनमें है उसके साथ उन्होंने पिछले तीन साल से न्याय करना शुरू किया है. वो इससे पहले भी शानदार बल्लेबाजी शायद कर सकते थे लेकिन कोई बात नहीं है. देर भले ही आयें लेकिन वो दुरुस्त आयें हैं.”

जडेजा को शायद इन बातों की कभी परवाह नहीं रही कि आलोचक उनके बारें में क्या धारणा बनातें हैं. जब वो अपने करियर की शुरुआत में रणजी ट्रॉफी में तिहरे शतक जमा रहे थे तब उनकी तारीफ की बजाए ये कहकर मजाक उड़या जाता था कि 'अरे राजकोट की पिच पर तो कोई भी ऐसा कर सकता है.'

टेस्ट क्रिकेट में बायें हाथ के गेंदबाज के तौर पर सबसे जल्दी 200 विकेट हासिल करने वाले जडेजा को उस वक्त भी बहुत लोगों ने नहीं सराहा था. दरअसल होता ये है कि हार्दिक पंड्या जैसा तेज गेंदबाजी करने वाला ऑलराउंडर छोटे प्रदर्शन के बावजूद वाह वाही लूट लेता है जबकि जडेजा जैसे ऑलराउंडर को एक दशक से भी ज्यादा समय तक निरंतरता दिखाने के बावजूद अहमियत मिलने में मुश्किल होती है. खासकर टेस्ट मैचों में.

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दरअसल क्रिकेट का ये पक्षपात वाले रवैया सिर्फ जडेजा ही नहीं बल्कि हर स्पिन गेंदबाजी करने वाले खिलाड़ी के साथ देखने को मिलता है. आलरुंडर के साथ ही नहीं बल्कि दुनिया के तमाम बड़ें खिलाड़ियों के सथ ऐसा ही रहा है.

पठान दलील देते हैं, “नहीं, नहीं ऐसी बात नहीं है. आप किसी भी तेज गेंदबाज और स्पिन गेंदबाज वाले ऑलराउंडर की तुलना नहीं कर सकते हैं. उसकी वजह ये है कि आप जब ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड या फिर साउथ अफ्रीका जैसे देशों में टेस्ट खेलते हैं तो आपको 3 तेज गेंदबाज चाहिए ही. ऐसे में उनमें से एक तेज गेंदबाज बल्लेबाजी भी अच्छी कर ले तो टीम का संतुलन काफी बेहतरीन हो जाता है.“

उन्होंने आगे कहा, "लेकिन, ऐसा कहने का कतई मतलब नहीं है कि जडेजा किसी से कम हैं. मैं तो ये कहूंगा कि भारत में जहां आपको हर मैच में 2 स्पिनर खिलाने ही पड़ते हैं वहीं अगर जडेजा जैसा बल्लेबाज भी मिल जाए बोनस में तो कप्तान के पास मौका होता है कि वो प्लेइंग इलवेन में एक अतिरिक्त तेज गेंदबाज को खिला लें."

वड़ोदरा के पठान खुद टीम इंडिया के लिए एक धाकड़ ऑलराउंडर की भूमिका निभा चुके हैं और उम्मीद की जा सकती है कि जब जडेजा क्रिकेट को अलविदा कहेंगे तो उन्हें भी भारतीय टेस्ट इतिहास का शानदार ऑलराउंडर माना जायेगा.

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