ऋषभ पंत को ये पारी बहुत परेशान करेगी. आलोचक उन्हें घेरेंगे. ये कैसा सिक्सर-मास्टर है जो आखिर लम्हें तक टिका रहा, अर्धशतक भी बनाया लेकिन टीम को मैच नहीं जीता पाया. और तो और उसने स्ट्राइक भी अपने साथी बल्लेबाज शिमरन हेटमायर को नहीं दी जो बेहद आसानी से लंब-लंबे छक्के लगा रहे थे.
लेकिन, क्या यह आलोचना सही होगी? पंत की पहचान ही तो बनी है नाउम्मीद वाले लम्हों में टीम को उम्मीद देना. IPL से सौ गुणा ज्यादा दबाव वाले हालात में भारत के लिए टेस्ट क्रिकेट में मैच जिताना.
लेकिन, ऐसा भी नहीं है कि आप पंत को घेर नहीं सकते हैं. अगर वो यंग हैं और उनके पास सारे शॉट्स हैं तो वो टी20 में अपने स्वभाव के इतने विपरीत क्यों खेलते हैं. मंगलवार को बैंगलोर के खिलाफ मुकाबला कोई अपवाद नहीं है. 20 टेस्ट में 33 छक्के और करीब 72 का स्ट्राइक रेट. 18 वन-डे में सिर्फ 21 छक्के और 33 टी20 इंटरनेशनल में भी 21 छक्के.
पंत के साथ आखिर मसला है क्या?
मतलब टेस्ट मैच में छक्के मारना जोखिम वाला खेल है तो वहां पंत हर किसी को दंग करते हुए दनादन छक्के लगातें हैं और टी20 फॉर्मेट में जहां हर कोई ऐरा-गैरा नथ्थू खैरा दिग्गज से दिग्गज गेंदबाज़ों को खिलाफ छक्के जड़ देता है ,वहां पर पंत बिल्कुल रक्षात्मक हो जाते हैं?
ये एक दिन, 1 मैच या एक साल की बात नहीं है. ये पंत के करियर का ऐसा पहलू है जिस पर उन्हें ग़ौर करना होगा. आईपीएल में भी वो 74 मैच खेल चुके हैं बल्ले से निकले है केवल 105 छक्के!
पंत जैसे खिलाड़ी की छवि ऐसी है कि हर मैच में उनसे कम से कम 3 छक्के की उम्मीद तो आप कर ही सकते हैं.
पंत अनजाने में ही कहीं वीरेंद्र सहवाग की राह पर तो नहीं चलते जा रहे हैं. सहवाग भी दिल्ली से आते हैं और पंत की तरह उन्हें भी एक क्रांतिकारी मूड वाला बल्लेबाज़ बताया जाता था. लेकिन, अक्सर जानकार सहवाग की टेस्ट मैच वाली छवि से सफेद गेंद में भी उनको एक धाकड़ बल्लेबाज़ मान लेते थे.
लेकिन, हकीकत कुछ और थी. सहवाग ने भी 104 टेस्ट में 91 छक्के लगाये. आक्रामक और बेफिक्र बल्लेबाज की उनकी ऐसी छवि बनी कि उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में दोहरा और तिहरा शतक भी छक्के मारकर पूरा किया. लेकिन, सफेद गेंद में वीरु का बल्ला शांत हो जाता. 251 वन-डे में सिर्फ 136 छक्के और 19 टी20 मैचों में सिर्फ 16 छक्के. अब सहवाग की शैली को देखेंगे तो ऐसा लगेगा कि ये बल्लेबाज तो टी20 में आग लगा देता. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. 104 मैचों के आईपीएल करियर में कुल 106 छक्के.
सहवाग से तुलना करने की वजह सिर्फ ये है कि पंत भी कहीं उसी थ्योरी का शिकार तो नहीं हो रहें हैं. पंत को सहवाग की तरह ऐसा तो नहीं लगता है कि मैं कभी भी किसी भी हालात में छक्के लगा सकता हूं.
टेस्ट मैच का व्याकरण अलग है और चुनौतियां निसंदेह ज्यादा मुश्किल लेकिन टी20 में कामयाबी का फॉर्मूला अलग है.
पंत के पास सबसे अच्छा विकल्प?
इसके लिए पंत को कहीं और नहीं बल्कि बैंगलोर की टीम में बैठे दिग्गज एबी डिविलियर्स से सीखना होगा. आईपीएल में ये खिलाड़ी निचले क्रम में आकर बेधड़क 360 डिग्री वाला खेल दिखाता है. टेस्ट मैच जरुरत पड़े तो कई घंटे और सैकड़ों गेंदो खेलकर वो 10 रन भी नहीं बनाता है.
यानि फॉर्मेट और मौके के हिसाब से गियर बदलना ही आपको महानतम बनायेगा. पंत में वो काबिलियत है कि वो भारतीय क्रिकेट के महानतम विकेटकीपर बल्लेबाज बन सकते हैं.
ऐसा करने के लिए उन्हें एम एस धोनी की तरह हर मैच को आखिरी गेंद तक ले जाने की ज़रुरत नहीं है. वो धोनी का स्टाइल था, पंत की अपनी शैली होना चाहिए.
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