सौराष्ट्र ने आखिरकार पहली बार रणजी ट्रॉफी का खिताब अपने नाम करने में सफलता हासिल की. राजकोट के सौराष्ट्र क्रिकेट संघ स्टेडियम में खेले गए फाइनल में मेजबान टीम ने बंगाल को पहली पारी में हासिल की गई बढ़त के आधार पर पीछे करते हुए खिताब जीता. सौराष्ट्र ने अपनी पहली पारी में 425 रन बनाए थे, जवाब में मैच के आखिरी दिन शुक्रवार 12 मार्च को बंगाल अपनी पहली पारी में सिर्फ 381 रनों पर ढेर हो गई थी.
मैच के आखिरी और पांचवें दिन का सौराष्ट्र ने चार विकेट के नुकसान पर 105 रन बना अपनी बढ़त को और मजबूत कर लिया और अंतत: पहली बार रणजी ट्रॉफी विजेता की ट्रॉफी उठाई.
दूसरी पारी में सौराष्ट्र के लिए हार्विक देसाई ने 21, अवि बारोट ने 39, विश्वराज जडेजा ने 17, अर्पित वासवाडा ने तीन और शेल्डन जैक्सन ने नाबाद 12 रन बनाए.
सौराष्ट्र के लिए पहली पारी में वासवाडा ने 106, बारोट और जडेजा ने 54-54 रन बनाए थे. चेतेश्वर पुजारा ने 66 रनों का योगदान दिया था.
बंगाल के लिए सुदीप चटर्जी ने 81, रिद्धिमान साहा ने 64, अनुस्तूप मजूमदार ने 63 रन बनाए थे.
सौराष्ट्र तीन बार पहले भी फाइनल में पहुंची थी लेकिन एक भी बार खिताब नहीं जीत सकी थी. सौराष्ट्र को 2012-13 में मुंबई ने, 2015-16 में मुंबई ने ही और पिछले सीजन विदर्भ ने रणजी ट्रॉफी विजेता बनने से रोक दिया था.
इसी के साथ बंगाल का 30 साल बाद रणजी ट्रॉफी जीतने का सपना भी टूट गया. बंगाल ने आखिरी बार 1989-90 में खिताब जीता था. इसके बाद वो 1993-94, 2005-06, 2006-07 में भी फाइनल में पहुंची थी लेकिन खिताब नहीं जीत सकी थी. इस बार एक बार फिर वह खिताब के करीब आकर महरूम रह गई.
बंगाल ने दिन की शुरुआत छह विकेट के नुकसान पर 354 रनों के साथ की थी. मजूमदार और अर्णब नंदी के जिम्मे टीम को सौराष्ट्र के स्कोर के पार ले जाने की जिम्मेदारी थी ताकि मेजबान टीम पहली पारी में बढ़त हासिल नहीं कर सके.
सौराष्ट्र के कप्तान जयदेव उनादकट ने 361 के कुल स्कोर पर मजूमदार को आउट कर बंगाल की उम्मीदों को बड़ा झटका दिया. उन्होंने अपनी पारी में 151 गेंदों का सामना कर आठ चौके लगाए. इसके बाद नंदी अकेले खड़े रहे और सौराष्ट्र ने दूसरे छोर से बाकी के विकेट ले पहली पारी में बढ़त ले जीत पक्की कर ली.
मजूमदार के बाद आकाशदीप बिना खाता खोले रन आउट हो गए. मुकेश कुमार को धमेंद्रसिंह जडेजा ने पांच के निजी स्कोर से आगे नहीं जाने दिया.
उनादकट ने ईशान पोरेल (1) को आउट कर बंगाल की पारी का अंत किया और अपनी टीम की जीत पक्की की.
इसके बाद सौराष्ट्र अपनी दूसरी पारी खेलने उतरी और पांच विकेट भी खो दिए लेकिन दिन का अंत होते-होते उसके हाथ में पहली बार ट्रॉफी आ गई.
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