शाकिब अल हसन ने बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड के खिलाफ खिलाड़ियों की हड़ताल शुरू की और सिर्फ एक हफ्ते बाद ICC ने एक बिल्कुल अलग मामले में उन्हें बैन कर दिया. दुनिया के नंबर एक ऑलराउंडर शाकिब के पास 13 साल का अनुभव है और फिर भी उन्होंने ICC की एंटी करप्शन गाइडलाइन को तोड़ा, जिससे उनका करियर दांव पर लग गया.
शाकिब को एक बुकी यानी सट्टेबाज ने 3 अलग-अलग मौकों पर मैसेज किए, लेकिन शाकिब ने इसकी रिपोर्ट नहीं की और अब शाकिब कम से कम 1 साल के लिए बैन हो गए हैं. इसके साथ ही कई ऐसे बड़े सवाल भी खड़े हो गए हैं, जिनका कोई जवाब नहीं मिल पाया है.
खासतौर पर ICC के बैन की टाइमिंग. वो भी ऐसे वक्त में जब शाकिब बांग्लादेश बोर्ड के खिलाफ मोर्चा खोले हुए थे और कई तरह की मांग रख रहे थे. साथ ही ऐसे बड़े कॉन्ट्रैक्ट्स भी साइन कर रहे थे, जो BCB के मुताबिक उनके प्रॉफिट को नुकसान पहुंचा रहा था.
ये इसलिए खास है, क्योंकि शाकिब के खिलाफ इस साल जनवरी में जांच शुरू हुई थी और बैन ऐसे वक्त लगा, जब BCB शाकिब के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने जा रहा था.
खुद शाकिब के इस फैसले पर भी सवाल खड़ा होता है, जिससे उनका करियर, नाम और इज्जत खतरे में पड़ गए. शाकिब ने खुद माना कि वो आदमी ‘चालाक’ लग रहा था. इसके बावजूद उसकी रिपोर्ट करने के बजाए शाकिब ने उसे मिलने को कहा.
फिलहाल शाकिब के टीममेट सोशल मीडिया पर इमोशनल पोस्ट किए जा रहे हैं और कह रहे हैं कि वो 2023 का वर्ल्ड कप शाकिब की कप्तानी में खेलना चाहते हैं. शाकिब के फैंस ने भी सजा पर हंगामा खड़ा किया हुआ है. उनको लगता है कि ये छोटा मामला है और सजा बड़ी दी गई है.
लेकिन यहां एक बात साफ करनी जरूरी है- शाकिब को ICC के नियमों के बारे में अच्छे से पता है. कुछ साल पहले भी शाकिब ने ऐसे ही एक मामले की शिकायत की थी, जिसके बाद बांग्लादेशी क्रिकेटर मोहम्मद अशरफुल पर बैन लगा था.
ऐसे में बांग्लादेश क्रिकेट का सबसे बड़ा स्टार होने के नाते उन्हें इस मामले की भी शिकायत करनी चाहिए थी. बुकी ने एक बार नहीं बल्कि 3 बार उनसे संपर्क किया.
अब कोई वॉर्नर-स्मिथ के बॉल टेंपरिंग बैन की बात करे या फिर मोहम्मद आमिर के स्पॉट फिक्सिंग बैन की, लेकिन एक साल के बैन और एक साल के suspended ban को देखते हुए एक बात साफ है- ICC ने शाकिब पर नरम रुख अपनाया है.
क्रिकेट में करप्शन खत्म करने के लिए ICC और फैंस सिर्फ खिलाड़ियों पर ही भरोसा कर सकते हैं और उनकी ईमानदारी बेहद जरूरी है. हर टूर्नामेंट से पहले खिलाड़ियों को इन नियमों के बारे में बताया जाता है और उनका पालन करना जरूरी है.
इसके बावजूद आखिर शाकिब ने शिकायत क्यों नहीं की? क्या उन्हें ये नहीं समझ आया कि एक बुकी उनको मैसेज कर रहा है? ICC की रिपोर्ट में शाकिब और बुकी के बीच की बातचीत का जिक्र है और उसे देखने के बाद शाकिब को बेगुनाह मानना मुश्किल है.
- पहला मामला नवंबर 2017 का है. उस वक्त शाकिब बांग्लादेश प्रीमियर लीग में ढाका डायनामाइट्स के लिए खेल रहे थे. शाकिब को पता था कि उनका नंबर बुकी दीपक अग्रवाल को दिया गया है. दोनों के बीच व्हॉट्सऐप पर बात भी हुई.
- अब बात जनवरी 2018 की. श्रीलंका और जिम्बाब्वे के खिलाफ Tri-Series के दौरान शाकिब को एक WhatsApp मैसेज आया- क्या हम इसमें काम करें या मैं IPL तक इंतजार करूं?''. ICC के मुताबिक यहां पर ‘काम’ का मतलब inside information यानी अंदरूनी जानकारी देने से था.
- उसी महीने शाकिब को एक और मैसेज मिला, जिसमें बुकी ने लिखा था- “भाई इस सीरीज में कुछ है क्या?' शाकिब ने ICC के सामने माना कि बुकी अंदरूनी जानकारी मांग रहा था.
- फिर अप्रैल 2018 में IPL के दौरान भी शाकिब को बुकी का मैसेज आया. शाकिब सनराइजर्स हैदराबाद का हिस्सा थे और पंजाब के खिलाफ मैच से पहले बुकी ने उनसे एक खास खिलाड़ी के खेलने को लेकर जानकारी मांगी थी. इसके बाद दोनों के बीच Bitcoins और डॉलर अकाउंट्स को लेकर बात हुई और बुकी ने शाकिब के डॉलर अकाउंट की डिटेल्स मांगी. इस पर शाकिब ने कहा कि वो पहले मिलना चाहते हैं.
ICC के मुताबिक शाकिब ने कुछ WhatsApp मैसेज डिलीट भी किए थे जिसमें बुकी ‘Inside Information’ मांग रहा था.
वैसे तो ICC ने ये भी बताया कि शाकिब ने कभी भी कोई Inside Information बुकी को नहीं देने की बात कही है, लेकिन ये तो साफ है कि ये कोई सीधी और सरल बातचीत नहीं थीं. शाकिब एक बुकी से बात कर रहे थे, जिसमें Bitcoins से लेकर, टीम सेलेक्शन और मुलाकात की चर्चा भी हुई.
ICC की गाइडलाइन्स में साफ है कि इस तरह के किसी भी संपर्क की रिपोर्ट नहीं करने पर 6 महीने से लेकर 5 साल तक का बैन लग सकता है. शाकिब पर सिर्फ 1 साल का बैन है और अगर वो गाइडलाइन्स का पालन करते हैं तो और 1 साल के बैन से बच जाएंगे.
तो क्या अब भी ये लगता है कि शाकिब के साथ गलत हुआ है?
हालांकि बैन की टाइमिंग पर जरूर सवाल उठ सकते हैं. आखिर शाकिब खिलाड़ियों की हड़ताल का नेतृत्व कर रहे थे और बोर्ड के सामने कई तरह की मांग रख रहे थे. बांग्लादेश के अखबारों में जांच की खबरें लीक होने के बाद ICC का बयान आया, लेकिन ये जांच तो 10 महीनों से चल रही थी.
बांग्ला बोर्ड ने तुरंत ही बयान जारी किया और कहा कि उन्हें इस जांच के बारे में कुछ भी पता नहीं था और न ही ये पता था कि ICC ने जनवरी और अगस्त में 2 बार शाकिब से पूछताछ की थी.
लेकिन BCB के पूर्व अध्यक्ष साबीर चौधरी एक जरूरी बात की ओर ध्यान दिलाते हैं- “अगर BCB को कुछ पता नहीं था, तो फिर अध्यक्ष नजमुल हुसैन ने खिलाड़ियों की हड़ताल के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में मैच फिक्सिंग की जांच की बात क्यों कही?”
फिलहाल तो BCB के सामने शाकिब का रिप्लेसमेंट ढूंढ़ने और T20 वर्ल्ड कप के लिए टीम तैयार करने की चुनौती है. साथ ही शाकिब और खुद BCB के लिए अपने अंदर झांकने की भी जरूरत है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)