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CSK Vs SRH: आधी रेस में ही हैदराबादी घोड़े का दम क्यों फूल गया?

सनराइजर्स हैदराबाद की टीम के पास 6 मैच खेलने के बाद सिर्फ 1 जीत है.

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क्या किसी रेस के आधा भी होने से पहले ही हारने वाला का नाम साफ हो सकता है? मुश्किल है लेकिन असंभव नहीं. आईपीएल जैसे टूर्नामेंट में जहां हर टीम लगभग एक तरह से मजबूत होती है और हर मैच में अमूमन आखिरी गेंद तक जंग दिखती है, वहां किसी टीम को आधा सफर पूरा होने से पहले खत्म करार दिया जा सकता है? हां, अगर वो टीम मौजूदा समय में सनराइजर्स हैदराबाद की टीम हो. 6 मैच खेलने के बाद इस टीम के पास सिर्फ 1 जीत है और बचे हुए 8 मैचों में उन्हें कम से कम 6 जीतने होंगे और शायद वो भी कम पड़ जाये अंतिम चार में पहुंचने के लिए.

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हैदराबाद के लिए ये बेहद शर्मसार करने वाला सीजन रहा है. चेन्नई सुपर किंग्स ने उन्हें बुधवार को ना सिर्फ 7 विकेट से करारी मात दी, बल्कि उनकी उम्मीदों को कुचल डाला. हैरानी की बात है कि 2016 में चैंपियन बनने वाली हैदराबाद की टीम पिछले 4 साल हर बार प्ले-ऑफ में पहुंचने में कामयाब हुई थी. कम-बैक टीम के नाम से मशहूर ये टीम अब वापसी करते-करते थक चुकी है. इस टीम के खिलाड़ियों के पास ना तो हौसला है ना ही प्रदर्शन.

आईपीएल के इस सीजन के टॉप 15 बल्लेबाजों में सिर्फ दो खिलाड़ी हैदराबाद के हैं. जॉनी बेयरस्टो और कप्तान डेविड वार्नर. वार्नर का 110 का स्ट्राइक रेट इन सभी बल्लेबाजों में न्यूनतम है जो ये बात चीख चीख के बताने के लिए शायद काफी हैं कि वार्नर के रन उन्हीं के काम आये हैं.

टीम के लिए नहीं. सबसे ज्यादा छक्के लगाने वाली टॉप 15 वाली लिस्ट में तो टीम का एक भी खिलाड़ी नहीं है. गेंदबाजी में हाल तो और बुरा है. अगर राशिद खान के अपवाद को छोड़ दिया जाए(जो नंबर 3 पर हैं) तो इस टीम का कोई और गेंदबाज सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले टॉप 15 क्या टॉप 25 वाली सूची में भी नहीं है! किफायती गेंदबाजी वाले टॉप 15 गेंदबाजों में राशिद के अलावा कोई नहीं है इस टीम से.

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क्या अनुभवी और क्या युवा, सब हैं पस्त

रिद्धीमान साहा जैसे अनुभवी बल्लेबाज से लेकर अब्दुल समद जैसे होनहार को जोड़ दें, केदार जाधव, विराट सिंह और विजय शंकर जैसे अनुभवी खिलाड़ियों के साथ युवा प्रतिभा को भी मिला दें तो भी ये सात खिलाड़ी बड़ी मुश्किल से मिलकर 6 मैचो में सैकड़ा पार करते हैं. ये क्रूर आंकड़े हैं जो हैदरबाद के संघर्ष की नग्नता को दिखा रहें हैं.

मनीष पांडे ने भी कहने को 162 रन बनाए हैं, अब तक लेकिन पिछले एक दशक से ये खिलाड़ी प्रतिभा को प्रदर्शन में ही तब्दील करने के लिए जूझ रहा है. एक दौर वो भी था जब पांडे और विराट कोहली का नाम भविष्य के खिलाड़ी के तौर पर साथ साथ लिया जाता था.

भुवनेश्वर कुमार, संदीप शर्मा और सिद्दार्थ कौल की भारतीय तिकड़ी वो गेंदबाजी आक्रमण हुआ करती थी जिसने हैदराबाद को एक खास पहचान दी. इस टूर्नामेंट में तीनों ने मिलकर करीब उतने ही विकेट लिए हैं जितने कि राशिद खान ने. यानि बात सिर्फ बल्लेबाजं की नाकामी की ही नहीं गेंदबाजों की असफलता की है.

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विरासत का अचानक से खत्म होना झकझोरता है

खेल में किसी विरासत का अचानक से खत्म होना झकझोर देता है. हैदराबाद की टीम के पास ना तो मुंबई इंडियंस की तरह 5 बार चैंपियनशिप जीतने का रिकॉर्ड है और ना ही चेन्नई सुपर किंग्स वाली निरंतरता, सीजन दर सीजन. बावजूद इसके पिछले आधे दशक में इस टीम ने सीमित संसाधनों के बावजूद बड़े- बड़े से विरोधी को चकमा दिया लेकिन 2021 में इनका पेट्रोल अब पूरी तरह से खत्म हो लगता है. आईपीएल के बचे मैच कुछ खिलाड़ियों के लिए या तो औपचारिकता, कुछ के लिए बोझिल मुकाबले और सिर्फ कुछ के लिए शायद अब कुछ नहीं खोना बस सिर्फ पाना जैसा होगा. ये तीसरे कैटोगिरी वाले खिलाड़ी ही 2022 में नई टीम और नई शुरुआत का अहम हिस्सा होंगे.

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