वर्ल्ड कप, भारत-पाकिस्तान मुकाबला (India vs Pakistan ) और मौका-मौका की गूंज..दरअसल, पिछले कई सालों से यह क्रिकेट के सबसे बड़े मुकाबले की परंपरा का एक खास हिस्सा बन चुका है. जाहिर सी बात है कि 1992 के वर्ल्ड कप से शुरु हुआ भारतीय जीत का अश्वमेघ 2019 वर्ल्ड कप तक अनवरत चलता रहा और इसके चलते पाकिस्तान को एक नहीं, दो नहीं बल्कि दर्जनों बार अपमानित होना पड़ा.
जी हां, अब तक टी20 और वन-डे वर्ल्ड कप के मुकाबलों के नतीजों को जोड़ दिया जाए तो पाकिस्तान को 12 बार हार का सामना करना पड़ा है.
लेकिन, क्या भारत को अशुभ माने जाने वाले नंबर 13 से खतरा हो सकता है? क्रिकेट में शुभ और अशुभ तो कुछ भी नहीं होता है लेकिन अगर सिर्फ क्रिकेट के तर्कों का सहारा लिया जाए तो पाकिस्तान के पास भारत को हराने के लिए यानि हार के ऐतिहासिक सिलसिले को रोकने के लिए इससे बेहतर मौका शायद कभी और ना मिले.
पहली वजह
हर कोई यह तर्क दे रहा है कि भारत-पाक मैचों में असाधारण दबाव होता है और एक बार फिर से दबाव पाकिस्तान पर ज्यादा होगा क्योंकि उन्हें ज्यादा गरज है कि वो कैसे हार के सिलसिले को तोड़े. लेकिन, मुझे लगता है कि इसके उलट दबाव अबकी बार विराट कोहली की टीम पर ज्यादा होगा. क्योंकि हर कोई इसे तय मान कर चल रहा है कि जीतेगा तो भारत ही.
आप टीवी चैनल्स देख लें या फिर सोशल मीडिया को झांक लें, पाकिस्तान को तो कोई पूछ ही नहीं रहा है. ऐसे में पाकिस्तान के पास खोने को क्या है? कुछ भी तो नहीं. ना मान ना प्रतिष्ठा..
पाकिस्तानी युवा खिलाड़ी यह दलील हमेशा दे सकते हैं कि अगर वकार यूनिस और वसीम अकरम और पाकिस्तान के तमाम धुरंधर वर्ल्ड कप में भारत के खिलाफ कभी जीत का मुंह नहीं देख पाये तो अगर वो भी हार गये तो आसमान थोड़े ही टूट पड़ेगा.
पाकिस्तान अगर इस सोच से जाता है तो यह भारत के लिए मुश्किल खड़ी कर सकता है क्योंकि आपको पता है ना कि जब बिल्ली को एक बंद कमरे में मारने की कोशिश की जाती है और उसके पास भागने का कोई उपाय नहीं होता है तो वो शेर से भी ज्यादा खतरनाक हो जाती है..
दूसरी वजह
बाबर आजम और उनके साथी इस बात को बखूबी जानते हैं कि अगर भारत के अश्वमेघ को उन्होंने रोक दिया तो उनके सारे खिलाड़ी पाकिस्तान के इतिहास में अमर हो जायेंगे, भले ही वो वर्ल्ड कप जीतें या ना जीतें.
इतिहास इस युवा टीम को हमेशा इस बात के लिए सम्मानित करेगा कि उन्होंने भारत के खिलाफ वर्ल्ड कप में जीत की बुनियाद रखी. यानि पाकिस्तानी खिलाड़ियों को खुद को मोटिवेट करने के लिए एक बहुत बड़ी वजह मिल चुकी है.
तीसरी वजह
भारत के हर खिलाड़ी के खेल से पाकिस्तानी परिचित हैं क्योंकि हर कोई आईपीएल को गहराई से फॉलो करता है. लेकिन पीएसएल यानि कि पाकिस्तान प्रीमियर लीग या फिर उनके उभरते हुए खिलाड़ियों के बारें में बहुत ज्यादा जानकारी ना तो फैंस को है ना ही कोच या खिलाड़ियों को.. ऐसे में कोई भी गुमनाम खिलाड़ी अचानक से एक मैच में शानदार खेल दिखाकर भारत को चौंका सकता है. आपको याद है ना कि कैसे 2017 के चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल मुकाबले में हसन अली ने टीम इंडिया को हतप्रभ कर दिया था.
चौथी वजह
भारत टूर्नामेंट जीतने का प्रबल दावेदार है और उसके पास टीम भी तगड़ी है. लेकिन, अगर भारत का टॉप ऑर्डर लड़खड़ाया तो मिडिल ऑर्डर में रिषभ पंत और सूर्यकुमार यादव जैसे युवा बल्लेबाजों को इतने दबाव वाले मैच में खेलने का अनुभव नहीं है.
यही हाल गेंदबाजी में वरुण चक्रवर्ती और राहुल चाहर का है. हार्दिक पंड्या और के एल राहुल ने भी पाकिस्तान के खिलाफ दर्जनों मैच मिलकर भी नहीं खेले हैं और वो भी इस तरह का दबाव झेलने के अभ्यस्त नहीं हैं. यानि की इस तरह के महादबाव वाले मुकाबले को झेलने के अनुभव के मामले में टीम इंडिया के कुछ दिग्गज खिलाड़ियों को छोड़ दिया जाए तो मामला एक तरह से बराबरी का ही है.
दिल तो कहता है कि भारत ही जीतेगा लेकिन दिमाग जज्बाती नहीं है और ये मानने से इनकार नहीं करता है कि क्रिकेट तो वाकई में अनिश्चितताओं का खेल है जहां किसी भी दिन, कोई भी नतीजा आ सकता है!
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