नवंबर 2016 की बात है. ऑस्ट्रेलिया की टीम लगातार पांच टेस्ट मैच हार चुकी थी. इसमें तीन मैच उसने श्रीलंका में गंवाए थे. इसके बाद ऑस्ट्रेलिया की टीम को अपने ही घर में साउथ अफ्रीका के खिलाफ दो मैच में हार झेलनी पडी. स्टीव स्मिथ उन दिनों टीम के कप्तान हुआ करते थे.
एक रोज क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के अधिकारियों ने कप्तान से कहा कि वो खिलाड़ियों को मैच खेलने के लिए नहीं बल्कि मैच जीतने के लिए पैसा देते हैं. ये बात स्टीव स्मिथ ने 2018 में बताई.
उस वक्त उनकी आंखों में आंसू थे. आंसू इसीलिए थे क्योंकि करीब डेढ़ साल बाद अधिकारियों की कही गई बात को ही जेहन में रखकर स्टीव स्मिथ अपने करियर की सबसे बड़ी भूल कर चुके थे. एक ऐसी भूल जो उन्हीं के करियर को तबाह कर सकती थी.
2018 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ सीरीज में स्टीव स्मिथ एक मैच जीते थे और दूसरा मैच हार गए थे.
तीसरे मैच में जीत की भूख ने उनसे खेल भावना और खेल के नियमों को ताक पर रखकर अपराध कराया. अपराध था गेंद के साथ छेड़छाड़ का. गेंद के साथ छेड़छाड़ करते वक्त कैमरून बैंक्रॉफ्ट कैमरे की नजर से बच नहीं पाए और नतीजा हम सभी को मालूम है. स्टीव स्मिथ पर प्रतिबंध लगा. उनका करार खत्म कर दिया गया. कप्तानी छिन गई.
करीब पंद्रह महीने बाद स्टीव स्मिथ जब दोबारा टेस्ट खेलने के लिए मैदान में उतरे तो उनके सामने सबसे बड़ी सीरीज थी-एशेज, जिसमें जीत के लिए ऑस्ट्रेलिया या इंग्लैंड के खिलाड़ी किसी भी हद तक जाते रहे हैं.
लेकिन इस बार स्टीव स्मिथ को खेलभावना की हर परिभाषा पर खरा उतरना था. उन्होंने पहले ही टेस्ट मैच में करिश्माई कमबैक किया. उन्होंने खुद कहा कि ये वापसी एक सपने की तरह है.
ऐसी बल्लेबाजी सोचना भी मुश्किल
पहली पारी में जब स्टीव स्मिथ क्रीज पर आए तो उनके दिमाग में बहुत कुछ घूम रहा होगा. उन्हें याद होगा कि पिछली बार वर्ल्ड कप में जब वो मैदान में उतरे थे तो किस तरह स्टेडियम में मौजूद फैंस ने उन्हें ’हूट’ किया था. भारतीय कप्तान विराट कोहली को फैंस को इशारा करना पड़ा था कि वो ऐसा ना करें. यहां तो मामला एशेज का था.
इंग्लैंड के फैंस के सामने स्टीव स्मिथ को उतरना था. उन्हें खुद नहीं पता रहा होगा कि मैदान में दर्शकों का व्यवहार क्या रहने वाला है. उस पर से जब वो बल्लेबाजी करने आए तो उनकी टीम की हालत बहुत ज्यादा खराब थी.
पूरा का पूरा टॉप और मिडिल ऑर्डर पवेलियन में बैठा था और अपनी टीम की दुर्गति होते देख रहा था. जब ऑस्ट्रेलियाई टीम 122 रन पर 8 विकेट गंवा चुकी थी वहां से स्टीव स्मिथ अपनी टीम को मुसीबत से निकालकर लाए.
दूसरी पारी में भी इंग्लैंड के पास 90 रनों की बढ़त थी. 75 रन पर ऑस्ट्रेलिया के टॉप तीन बल्लेबाज पवेलियन लौट चुके थे. स्मिथ ने फिर संघर्ष किया. उन्होंने दोनों पारियों में शतक ठोंका. टीम को जीत दिलाई. मैन ऑफ द मैच बने. ये सबकुछ करिश्मे से कम नहीं. आज की तारीख में वो अपने देश के और दुनिया के महानतम क्रिकेटर डॉन ब्रैडमैन के बाद खड़े हैं.
लेग स्पिनर से कामयाब बल्लेबाज बनने तक का सफर
स्टीव स्मिथ ने जिस तरह मैदान में वापसी की वो ये बताने के लिए काफी है कि वो मानसिक तौर पर कितने मजबूत है. मैदान में उनकी वापसी आईपीएल से हुई. राजस्थान रॉयल्स के लिए खेलते हुए उन्होंने 12 मैच में 319 रन बनाए.
इसके बाद अगली चुनौती थी- वर्ल्ड कप, जिससे उन्होंने इंटरनेशनल क्रिकेट में वापसी की. वर्ल्ड कप में भी उन्होंने जरूरत के मुताबिक अच्छी बल्लेबाजी की. लेकिन उनका सबसे बड़ा टेस्ट था- एशेज सीरीज. जिसका पहला इम्तिहान उन्होंने शानदार तरीके से पास कर लिया है.
आपको याद दिला दें कि स्टीव स्मिथ ने टेस्ट करियर की शुरूआत लेग स्पिनर के तौर पर की थी. जो बल्लेबाजी क्रम में आठवें नंबर पर आते थे, लेकिन इसके बाद धीरे धीरे वो दुनिया के सबसे अनऑर्थोडॉक्स बल्लेबाज बन गए.
उनकी बल्लेबाजी का स्टांस और ’ट्रिगर मूवमेंट’ उन्हें बाकि बल्लेबाजों से अलग करता है. उनमें गेंद को चुनने की क्षमता कमाल की है. उनकी ऊंची बैकलिफ्ट और जिस तरह वो क्रीज पर ’शफल’ करते हैं उसे क्रिकेट में तकनीक का पक्ष रखने वाले खारिज करते थे. लेकिन गेंद की लाइन को भांपकर पलक झपकते उसकी लाइन में आना और शॉट्स खेलना स्टीव स्मिथ की ताकत है.
क्रिकेट की भाषा में जिन शॉट्स को आड़े बल्ले से खेले जाने के लिए बल्लेबाजों की आलोचना होती है स्टीव स्मिथ उसमें भी माहिर हैं. जाहिर है उनकी बल्लेबाजी के अंदाज में तमाम खामियां निकाली जा सकती हैं लेकिन उन खामियों के बाद आपको चुप कराने के लिए उनके रिकॉर्ड्स सामने होंगे.
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