क्रिकेट (Cricket) के क्षेत्र में किसी भी विशेष दौर का सबसे चर्चित भारतीय बल्लेबाज कौन रहा? अगर आपको इस सवाल का जवाब ढूंढना है तो बस आपको सेंचुरी के उस खिलाड़ी की सनक को ट्रैक करना होगा.
1983 के दौर में पूरा देश सुनील गावस्कर से यह सवाल करता रहा कि वे सर डॉन ब्रैडमैन के 29 टेस्ट शतकों के विश्व रिकॉर्ड को कब तोड़ेंगे. इस तथ्य के बावजूद कि 1983 के विश्व कप में कमजोर आंकी जा रही टीम इंडिया ने अनोखे ढंग से पलटवार करते हुए दिग्गज टीम वेस्टइंडीज पर जीत हासिल की थी, गावस्कर पर फोकस काफी समय तक रहा. आखिरकार जब वे इस मुकाम तक पहुंचे तब अटकलों पर विराम लगा.
2010 के अंत से 2012 की शुरुआत तक भारतीय क्रिकेट फैंस इस उम्मीद के साथ बंधे हुए थे कि आखिर कब सचिन अपना 100वां अंतर्राष्ट्रीय शतक बनाएंगे. इस दौरान कई बार सचिन 100 के आंकड़े के नजदीक आए और भारत ने 2011 का वर्ल्ड कप भी जीता लेकिन तब भी वही सवाल बना रहा आखिर सचिन अपना सैंकडा पूरा करेंगे?
हमें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ा कि भारत इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया में दो टेस्ट सीरीज 0-8 से बुरी तरह से हार गया. यहां तक कि जब तेंदुलकर आखिरकार अपने 100वें शतक तक पहुंच गए तब मेजबानी करते हुए एक बड़ा स्कोर बनाने के बाद भी भारत को बांग्लादेश के हाथों बुरी हार का स्वाद चखना पड़ा था. लेकिन जैसे ही सचिन 100 शतकों के आंकड़े पर पहुंचे तब सारे परिणाम कोई खास मायने नहीं रख रहे थे.
गावस्कर और तेंदुलकर अपने-अपने दौर के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज थे, जबकि उनके समय में कई अन्य उत्कृष्ट बल्लेबाज मौजूद थे.
और फिर इनके बाद आते हैं विराट कोहली
2022 और अब तक सभी इस बात को लेकर उम्मीद लगाए बैठे हैं कि आखिर आज के दौर का सुपरस्टार विराट कोहली कब किसी भी फॉर्मेट में सेंचुरी लगाएगा. वनडे, टेस्ट, टी-20 और आईपीएल में अबतक 100 मैच हो चुके हैं लेकिन अबतक कोहली 100 के आंकड़े को छूने में नाकाम रहे हैं.
आखिरी बार उनके बल्ले से शतक नवंबर 2019 में बांग्लादेश के खिलाफ टेस्ट मैच में निकला था.
तब से लेकर अब हमने 2020 में कोविड-19 का एक लंबा ब्रेक देखा. ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड व साउथ अफ्रीका जैसे तीन मुख्य टेस्ट दौरों को देखा और एक टी-20 वर्ल्ड कप के भी साक्षी रहे. इन सबके अलावा भारत ने अपनी जमीं पर इंग्लैंड, न्यूजीलैंड, वेस्ट इंडीज और श्रीलंका की मेजबानी भी की. इस टैली में शतक जोड़ने के लिए पर्याप्त अवसर मिले, लेकिन शतकों का सूखा काफी लंबा चला आ है.
अब बात यहां तक पहुंच गई है कि कोहली के दोस्त और उनके चाहने वाले उनके फॉर्म को लेकर चिंतित होने लगे हैं. कोहली रन तो बना रहे हैं लेकिन उसे बड़े स्कोर में तब्दील नहीं कर पा रहे हैं, इस वजह से उनके फैंस परेशान हैं. कोहली के शतकों की कमी को लेकर अलग-अलग एक्सपर्ट्स ने अलग-अलग थ्योरी दी है. जब वह स्पिन का सामना कर रहे होते हैं तो वे झिझक रहे होते हैं और कई बार अंपायर ने उनके साथ न्याय नहीं किया. कभी-कभी किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया. दरअसल जो कुछ भी गलत हो सकता था वह कोहली के साथ गलत हो गया है.
इसमें उनकी कप्तानी का ड्रामा, बीसीसीआई अध्यक्ष सौरभ गांगुली से उनकी अनबन और उनके द्वारा उठाए गए अन्य कदमों को इसमें जोड़ दें तो इसकी वजह से भी कोहली पर हर समय सबका ध्यान गया है.
ब्रेक (एक बार फिर) लेने का समय?
टीम इंडिया के पूर्व कोच और कप्तान रवि शास्त्री ने अब कोहली से गेम से ब्रेक लेने का अह्वान किया है. वहीं कोहली के अच्छे दोस्त और इंग्लैंड के पूर्व कप्तान केविन पीटरसन का भी कहना है कि कोहली को छह महीने के लिए खेल से दूर जाने की जरूरत है!
दरअसल शास्त्री और पीटरसन दोनों ही कोहली के शांत बल्ले का दोष बायो-सिक्योर बबल को दे रहे हैं. लेकिन हकीकत तो यह है कि कोहली पहले से ही काफी ब्रेक ले चुके हैं.
आइए नजर डालते हैं ब्रेक पर :
2020 : मार्च 2020 से सितंबर 2020 तक COVID-19 की वजह से ब्रेक
2020-21: ऑस्ट्रेलिया दौरे के दौरान पिता बनने के दौरान ब्रेक लिया
2020-21: COVID की वजह से IPL 2021 एक महीने पहले ही समाप्त हो गया
2021: वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के बाद इंग्लैंड में तीन हफ्ते का ब्रेक
2021-22: T20 विश्व कप के बाद, न्यूजीलैंड के खिलाफ कोहली T20I सीरीज और न्यूजीलैंड के खिलाफ भारत में पहला टेस्ट नहीं खेले
2021-22: दक्षिण अफ्रीका दौरे पर बैक इंजरी की वजह से दूसरा टेस्ट नहीं खेल पाए
2021-22: वेस्टइंडीज के खिलाफ आखिरी T20I और श्रीलंका के खिलाफ पूरी T20I सीरीज से दूर रहे
इन सबको देखते हुए कोहली के ब्रेक लेने की बात करना कुछ ज्यादा ही हो जाएगा क्योंकि पिछले दो वर्षों में वे पहले से काफी ब्रेक ले चुके हैं. कुछ मजबूरी में तो कुछ जबरन.
स्पॉटलाइट से ब्रेक की जरूरत है
आदर्श रूप से कोहली को जिस चीज की सख्त जरूरत है वह है सुर्खियों से दूर कुछ खेल समय की. उन्हें अपने खेल पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कुछ समय चाहिए, खासतौर पर इसे रीसेट करने के लिए. यह तभी संभव है जब वह अब से लेकर और एशिया कप और टी 20 विश्व कप तक के बीच भारत की कई व्हाइट बॉल वाली द्विपक्षीय श्रृंखलाओं में से कुछ को छोड़ दें. उनके पास इतनी क्षमता है कि वे आसानी से उन सबको छोड़ सकते हैं. इस संदर्भ में एकमात्र महत्व का जो मैच है वह इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट मैच था, जो पिछले साल के दौरे की निरंतरता है.
इस परिदृश्य में सबसे अच्छा यह होता कि कोहली इंग्लैंड जाएं, काउंटी सर्किट में रेड बॉल क्रिकेट खेले और कुछ महत्वपूर्ण खेल अनुभव प्राप्त करें. यह उनके लिए बेहद फायदेमंद होगा क्योंकि इससे उन्हें काफी मदद मिलेगी. कोहली कुछ काउंटी क्रिकेट खेलने के लिए जून 2022 में दक्षिण अफ्रीका और आयरलैंड के खिलाफ T20I श्रृंखला को आसानी से छोड़ सकते हैं. कोहली के लिए उन चुनौतियों से निपटने का यह सबसे अच्छा अवसर होगा, जिनका वह सामना कर रहे हैं.
लगातार व्हाइट बॉल क्रिकेट के संपर्क में रहने से उन्हें अपना जादुई आकर्षण हासिल करने में कठिनाई हो रही है, क्योंकि वे गलती करते रहते हैं. कोहली को क्रीज पर समय चाहिए, जो लाइमलाइट से दूर रेड बॉल क्रिकेट खेलने से ही मिल सकता है.
यह संभव है कि अगर वह इंग्लैंड में एक काउंटी टीम में शामिल होते हैं, तो पूरा मीडिया एक छोटे से मैदान में आ जाएगा, लेकिन यह जांच का समान स्तर नहीं होगा. दुर्भाग्य से काउंटी सर्किट पर लाल गेंद के अधिकांश खेल अप्रैल और मई में होते हैं, या सितंबर में इंग्लिश सीजन के अंत में होते हैं. चेतेश्वर पुजारा ने इस मौके का फायदा उठाया, क्योंकि वे आईपीएल में अनसोल्ड रहे, कोहली के पास ऐसा मौका कभी नहीं हो सकता!
राष्ट्रीय कर्तव्य के बजाय काउंटी क्रिकेट?
जब कोहली ने इस बात की घोषणा की कि वह इंग्लैंड दौरे से पहले 2018 में सरे के लिए खेलेंगे, तब लोगों की इसमें बहुत रुचि थी. लेकिन चोट की वजह से वे नहीं खेल पाए. अब एक बार फिर कोहली के पास काउंटी क्रिकेट में प्रयास करने का समय आ गया है.
वह अब भारत के सभी प्रारूपों के कप्तान नहीं हैं, इसलिए उनके पास आगामी व्हाइट बॉल सीरीज को छोड़ने का विकल्प है. आगामी श्रृंखला जो पंक्तिबद्ध है उन पर एक नजर डालें तो वो कुछ ऐसी हैं :
भारतीय जमीं पर साउथ अफ्रीक के खिलाफ 5 टी20 मैचों की सीरीज
इंग्लैंड दौरे पर 3 टी20, 3 वनडे और एक टेस्ट मैच
वेस्ट इंडीज दौरा
जिम्बाब्वे दौरा
एशिया कप
साउथ अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफी भारत में घरेलू सीरीज
टी20 वर्ल्ड कप
टेस्ट और टी20 विश्व कप के अलावा इस संदर्भ में किसी और का कोई महत्व नहीं है. बड़ी तस्वीर को ध्यान में रखते हुए कुछ भी बलिदान किया जा सकता है.
बेशक, वह आईपीएल के आखिरी हफ्तों में फॉर्म में लौट सकते हैं और हममें से उन लोगों पर हंस सकते हैं, जिन्होंने उन्हें सलाह दी थी. भले ही वह बड़े रन बनाते हों लेकिन उन्हें क्रीज पर समय मिलना चाहिए लेकिन व्हाइट बॉल के खिलाफ नहीं.
अगर इंडिया A का कोई दौरा होता तो कोहली के लिए यह एक बेहतरीन मौका होता कि वह कुछ युवा आशावादियों के साथ जाते और वहां अपना अनुभव साझा करने के साथ-साथ कुछ रन भी बनाते. लेकिन दुख की बात है कि इंडिया A का कोई दौरा शुरू नहीं हुआ है, इसका मतलब यह है कि किसी भी अच्छे स्तर का क्रिकेट खेलने का एकमात्र मौका काउंटी सर्किट पर ही है.
जब वह रन बनाकर तरोताजा होकर वापस आएंगे तब उनसे उम्मीद की जा सकती है कि वे दृढता के साथ वापसी करेंगे और टी20 वर्ल्ड कप में ओपनिंग कर सकते हैं. किसी भी टीम के लिए कोहली की बेस्ट पोजिशन ओपनिंग बैट्समैन के तौर पर है.
लेकिन यह एक अलग बहस है और किसी और दिन के लिए चर्चा का एक अलग विषय है. लेकिन अभी के लिए, मिस्टर कोहली कृपया अपने शुभचिंतकों की बात सुनें और एक ब्रेक लें. ब्रेक 'रेस्ट' यानी आराम के लिए नहीं बल्कि अपने खेल को रीसेट यानी 'फिर से तरोताजा' करने के लिए.
लेकिन अंत में यह कोहली का निर्णय ही होगा.
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