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क्या डगआउट में बैठे दिग्गज लेंगे दिल्ली की हार की जिम्मेदारी?

आईपीएल के इतिहास में दिल्ली सबसे बुरी किस्मत वाली टीम रही है. दिल्ली की टीम अब तक एक बार भी फाइनल तक नहीं पहुंची.

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पिछले मैच में सुपर ओवर में रोमांचक जीत हासिल करने वाली दिल्ली की टीम सोमवार को अप्रत्याशित तरीके से किंग्स इलेवन पंजाब से हार गई. ऐसा नहीं कि आईपीएल में इससे पहले कभी ऐसा हुआ ही नहीं है. लेकिन ऐसी हार देखकर चौंकना स्वाभाविक है. वो भी तब, जबकि पिछले मैच में कोलकाता को सांस रोक देने वाले मुकाबले में इसी दिल्ली की टीम ने सुपर ओवर में हराया था.

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167 रन के लक्ष्य का पीछा कर रही दिल्ली की टीम 16वें ओवर तक 137 रन बना चुकी थी. उसके सिर्फ तीन विकेट गिरे थे. जीत के लिए उसे 24 गेंद पर 30 रन चाहिए थे. ऋषभ पंत क्रीज पर थे इसलिए दिल्ली के फैंस निश्चिंत थे कि किसी भी तरह के जोखिम को लेने की जरूरत नहीं है. वो आराम से मैच जिताएंगे.

लेकिन इसी के बाद मैच में ड्रामा शुरू हुआ. मोहम्मद शमी ने सत्रहवें ओवर में पंत को आउट किया और उसके बाद पवेलियन लौटने वाले बल्लेबाजों की झड़ी लग गई. 17वें और 18वें ओवर में दिल्ली के 2-2 विकेट गिरे. इसके बाद सैम करन के कमाल ने बाजी पूरी तरह पलट दी. उन्होंने हैट्रिक लेकर दिल्ली कैपिटल्स को 152 रन पर ही समेट दिया. पंजाब की टीम ने मैच 14 रन से जीत लिया.

दिल्ली की इस सीजन में ये दूसरी हार है. इससे पहले उन्हें चेन्नई सुपरकिंग्स के खिलाफ मैच में हार का सामना करना पड़ा था. अब बड़ा सवाल ये है कि दिल्ली की टीम से जुड़े एक से बढ़कर एक दिग्गज क्रिकेटर्स क्या इस हार की जिम्मेदारी लेंगे?

अलग-अलग क्षमताओं में जुड़े दिग्गजों का रोल क्या है?

आप दिल्ली की टीम के डग-आउट को देखिए. रिकी पॉन्टिंग, सौरभ गांगुली, प्रवीण आमरे और मोहम्मद कैफ जैसे खिलाड़ी नजर आएंगे. रिकी पॉन्टिंग की कप्तानी में ऑस्ट्रेलिया की टीम दुनिया की नंबर एक टीम थी. उन्होंने अपनी टीम को विश्व कप जिताया.

सौरभ गांगुली को भारत के महानतम कप्तानों में गिना जाता है. उन्होंने विदेशी पिचों पर भारतीय टीम को जीतना सिखाया. प्रवीण आमरे और मोहम्मद कैफ भी अनुभवी खिलाड़ी रहे. मोहम्मद कैफ की बल्लेबाजी से जीता नेटवेस्ट टूर्नामेंट भारतीय क्रिकेट की सुनहरी यादों में दर्ज है. सौरभ गांगुली तब कप्तान हुआ करते थे. इसमें से प्रवीण आमरे को छोड़ दिया जाए, तो बाकी तीनों खिलाड़ियों को आईपीएल का भी अच्छा खासा तजुर्बा है. तीनों अच्छे खासे समय तक आईपीएल में खेल चुके हैं.

बावजूद इसके इन दिग्गजों ने मौजूदा खिलाड़ियों को शायद ये नहीं समझाया कि मैच के हालात को काबू में कैसे किया जाता है. दिल्ली कैपिटल्स फ्रेंचाइजी के मालिकों के लिए भी ये संदेश है कि टीम चुनते वक्त खिलाड़ी अच्छे और अनुभवी चुनें, डगआउट में एकाध दिग्गज कम भी होंगे तो कोई दिक्कत नहीं है.

संदेश ये भी है कि टीम का नाम बदलने से टीम की किस्मत नहीं बदलती. टीम की किस्मत खिलाड़ियों के प्रदर्शन से बनती बिगड़ती है. आपको बता दें कि इस सीजन में दिल्ली डेयरडेविल्स का नाम दिल्ली कैपिटल्स किया गया था.

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दिल्ली की टीम की बुरी किस्मत

आईपीएल के इतिहास में दिल्ली सबसे बुरी किस्मत वाली टीम रही है. दिल्ली की टीम अब तक एक बार भी फाइनल तक नहीं पहुंची. आईपीएल के शुरुआती दोनों सीजन में टीम ने सेमीफाइनल तक का सफर जरूर तय किया था, लेकिन उसके बाद से टीम की हालत खराब है.

पिछले सीजन में दिल्ली की टीम 8वीं पायदान पर थी. इससे पहले 2014 में भी टीम ने आखिरी पायदान पर ‘फिनिश’ किया था. 2015 में सातवें, 2016 में छठे और 2017 में भी छठे पायदान पर रहकर दिल्ली की टीम ने अपने फैंस को निराश ही किया था. फिलहाल इस सीजन में अब तक चार मैचों में दिल्ली के खाते में 2 जीत और 2 हार है. इसके बाद से ही प्लेऑफ के रास्ते की चुनौतियां कड़ी होती जाएंगी.

दिल्ली कैपिटल्स को अगर लीग में बेहतर करना है, तो मैदान के बाहर बैठने वाले दिग्गज खिलाड़ियों को मैदान में उतरने वाले कुछ खिलाड़ियों को दिग्गज बनाना होगा.

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