भारतीय क्रिकेट में इस गर्मियों के सीजन में तीन अनोखी चीजें होने जा रही हैं. पहली यह है कि कम से कम तीन या शायद उससे अधिक भारतीय खिलाड़ी इंग्लिश काउंटी क्रिकेट खेलने जा रहे हैं. हाल के वर्षों में बहुत कम भारतीय खिलाड़ी काउंटी क्रिकेट का हिस्सा रहे हैं क्योंकि इसके लिए उनके पास समय नहीं होता.
दूसरी, दो से चार भारतीय टेस्ट टीम के रेगुलर प्लेयर्स ‘इंडिया ए’ टीम का हिस्सा होंगे, जो गर्मियों के सीजन की शुरुआत में इंग्लैंड का दौरा करेगी. तीसरी, पहली बार भारतीय टीम पसंदीदा 11 खिलाड़ियों के बिना कोई टेस्ट मैच खेलेगी. यह मैच 14 जून से शुरू होगा, जिसमें भारत का मुकाबला अफगानिस्तान से है. इसमें भारतीय टीम के पांच या छह रेगुलर प्लेयर्स नहीं होंगे क्योंकि उस समय वे इंग्लैंड में 1 अगस्त से शुरू होने वाली सीरीज की तैयारी कर रहे होंगे. इनमें कैप्टन विराट कोहली भी शामिल हैं, जो उस दिन अफगानिस्तान के खिलाफ भारतीय टीम का नेतृत्व करने के बजाय सरे से खेलेंगे.
ये तीनों दिलचस्प घटनाएं हैं और क्रिकेटप्रेमियों को इनकी तारीफ करनी चाहिए. इनसे पता चलता है कि इंग्लैंड में भारतीय टीम जीत हासिल करना चाहती है. यह आसान नहीं होगा क्योंकि पिछले एक दशक से अधिक समय में भारतीय टीम ने इंग्लैंड में अच्छा खेल नहीं दिखाया है. इससे पहले भारतीय टीम 2014 और 2011 में इंग्लैंड के दौरे पर गई थी. इन दोनों सीरीज में उसे करारी हार का सामना करना पड़ा था.
2014 टेस्ट सीरीज में विराट कोहली बुरी तरह फेल हुए थे और उन्होंने 10 पारियों में 13.40 के औसत से सिर्फ 134 रन बनाए थे. 10 पारियों में 8 बार वो विकेट के पीछे या स्लिप में कैच थमाकर आउट हुए थे. क्रिकेट के हर फॉर्मट में कोहली का औसत 50 से अधिक है और आज उन्हें दुनिया के टॉप बैट्समैन की लिस्ट में शामिल किया जाता है इसलिए कोहली इंग्लैंड में अपना रिकॉर्ड जरूर सुधारना चाहेंगे.
भारतीय टीम को अगर विदेश में अच्छा प्रदर्शन करना है तो उसे सीरीज शुरू होने से पहले कुछ समय वहां की परिस्थितियों को समझने में लगाना होगा. पहले जो भारतीय टीम इंग्लैंड के दौरे पर जाती थी, वह टेस्ट सीरीज शुरू होने से पहले इंग्लिश काउंटी टीमों के खिलाफ तीन या चार फर्स्ट क्लास मैच खेलती थी. अब ऐसा नहीं होता क्योंकि क्रिकेट बोर्ड दौरे में अधिक एकदिवसीय और टी-20 मैच का आयोजन करके आमदनी बढ़ाने की कोशिश करते हैं. भारतीय टीम ने इस साल जब दक्षिण अफ्रीका का दौरा किया था, तब तैयारी के अभाव में पहले दो टेस्ट मैच में उसकी हार हुई. भारतीय टीम को वहां के ग्राउंड और मौसम के मुताबिक खुद को ढालने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिला था. दो टेस्ट मैच के बाद भारतीय टीम वहां के मुताबिक ढल चुकी थी और इसलिए तीसरे टेस्ट मैच में उसे जीत मिली. हालांकि, तब तक सीरीज उसके हाथ से निकल चुकी थी.
भारतीय टीम इंग्लैंड में यही गलती नहीं दोहराना चाहेगी. वैसे भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने टीम को अधिक प्रैक्टिस मैच ऑफर नहीं किए हैं, लेकिन उसने टेस्ट सीरीज शुरू होने से पहले प्लेयर्स को वहां खेलने की छूट दी है.
इसलिए विराट कोहली सरे की तरफ से खेलेंगे. चेतेश्वर पुजारा का प्रदर्शन भी 2014 में खराब रहा था. वह भी टेस्ट सीरीज से पहले काउंटी चैंपियनशिप में यॉर्कशायर की तरफ से मैदान में उतरेंगे. वहीं, तेज गेंदबाज ईशांत शर्मा ससेक्स की तरफ से गेंदबाजी का हुनर निखारेंगे. मुरली विजय और अजिंक्य रहाणे को इंडिया ए टीम में शामिल किया जाएगा, जिसके कोच राहुल द्रविड़ हैं. भारतीय टेस्ट टीम के एक या दो और रेगुलर प्लेयर इंडिया ए के साथ टेस्ट सीरीज से पहले इंग्लैंड जा सकते हैं. इसके लिए हार्दिक पंड्या को एक दावेदार माना जा रहा है.
इसका मतलब यह है कि अफगानिस्तान के खिलाफ (जो उसका पहला अंतरराष्ट्रीय टेस्ट मैच होगा) भारत टॉप 11 प्लेयर्स को नहीं उतारेगा. हालांकि, भारतीय क्रिकेट में जो गहराई है, उसकी वजह से अफगानिस्तान के लिए यह मैच आसान नहीं होगा. इंग्लैंड दौरे के लिए कुछ भारतीय खिलाड़ियों का वहां पहले जाना अच्छा है बजाय इसके कि उन्हें कमजोर अफगानिस्तान के खिलाफ कुछ रिकॉर्ड्स बनाने का मौका दिया जाए. अफगानिस्तान के खिलाफ घरेलू हालातों के लिए भारत ऐसी टीम चुन सकता है, जिनमें से कई प्लेयर्स को इंग्लैंड में उसके खिलाफ मैच में उतरने का मौका नहीं मिलता. इनमें हमारे यंग स्पिनर्स भी शामिल हैं.
इसलिए जिन लोगों ने कुछ खिलाड़ियों को सीरीज से काफी पहले इंग्लैंड भेजने की योजना बनाई है, उन्हें इसके लिए दाद मिलनी चाहिए. वैसे यह रणनीति कितनी कारगर होगी, यह तो सीरीज खत्म होने के बाद ही पता चलेगा, लेकिन अगर इस बार भारतीय टीम वहां अच्छा प्रदर्शन नहीं करती है तो कम से कम यह सुनने को तो नहीं मिलेगा कि उसे इंग्लैंड के खिलाफ तैयारी का पर्याप्त वक्त नहीं मिला.
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