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जब कमेंटेटर ने कहा-हम दोनों बुजुर्ग हैं, आखिरी 6 सेकंड में हार्ट अटैक आ सकता था

Tokyo Olympic 2020 में 41 साल बाद भारतीय हॉकी टीम ने मेडल जीतकर इतिहास रचा

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दो मशहूर कमेंटेटर. अनुपम गुलाटी और कुलविंदर सिंह कंग. Tokyo Olympic क्वॉर्टर फाइनल का मैच. मैदान में भारत और जर्मनी के खिलाड़ी. भारत को कांस्य पदक दिलाने वाले इस मैच के बाद जो पहली चीज कुलविंदर सिंह ने जो कही, वो थी. हम दोनों बुजुर्ग हैं. आखिरी के 6 सेकंड में हार्ट अटैक आ सकता था. जब कुलविंदर सिंह जैसे दिग्गज कमेंटेटर कह रहे हैं हार्ट अटैक आ सकता था तो समझ लीजिए कि इस मैच में किस लेवल का रोमांच रहा होगा.

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स्नैपशॉट

4 क्वॉर्टर में तीन पर भारत रहा हावी

4 कार्ड मैच में दिए गए. भारत को एक यलो, जर्मनी को दो ग्रीन, एक यलो

24 में से 4 मौके भुना पाई जर्मनी की टीम

11 में से 5 मौकों पर भारत ने दागा गोल

7 में से 2 गोल को ही विफल कर पाए जर्मनी के अलेक्जेंडर

13 में से 1 पेनाल्टी कॉर्नर भुना पाई जर्मनी

6 में से 2 पेनाल्टी कॉर्नर को भारत ने किया कैश

पिछड़ गई थी टीम, फिर जर्मनी को पछाड़ा

टोक्यो ओलंपिक के क्वॉर्टर फाइनल में भारत की शुरुआत अच्छी नहीं रही. 1-3 से हम पिछड़ चुके थे लेकिन फिर भारत ने ऐसा खेल दिखाया कि मौसम बन गया. हालांकि बिजलियां कड़कती रहीं, दिल धड़कता रहा लेकिन आखिर में छाई टीम इंडिया. 41 साल से ओलंपिक हॉकी में चल रहा मेडल का सूखा खत्म हुआ. लेकिन ये मैच जिसने भी देखा वो मैच खत्म होने तक नहीं कह सकता था कि कौन जीतेगा. कुलविंदर सिंह ने मैच के बाद ये कहा-

आखिरी छह सेकंड में पेनाल्टी कॉर्नर मिला था तो सांसें रुकी हुई थीं, गोल हो जाता तो कमेंटेटर को भी शायद हार्ट अटैक हो सकता था, हम दोनों ही उम्रदराज हैं. भारत की दीवार..पीआर श्रीजेश. मनप्रीत सिंह रो रहे हैं मैदान पर. मनप्रीत की कप्तानी में भारत ने कांस्य पदक जीता. जर्मनी के खिलाड़ी मातम मना रहे हैं. माथा पकड़ कर बैठे हैं. मैदान पर लेट गए हैं.
कुलविंदर सिंह कंग, मशहूर कमेंटेटर
Tokyo Olympic 2020 में 41 साल बाद भारतीय हॉकी टीम ने मेडल जीतकर इतिहास रचा

Tokyo Olympic क्वॉर्टर फाइनल हॉकी मैच की कमेंट्री करते कुलविंदर सिंहकंग और अनुपम गुलाटी.

(डीडी यूट्यूब से साभार)

दरअसल खेल समाप्ति की ओर था. भारत ने जर्मनी पर 5-4 से लीड बना रखा थी. घड़ी सुईयां तेजी से 60 मिनट पूरे होने की तरफ बढ़ रहीं थी, अभी भी 6.8 सेकेंड बाकी थे तभी रेफरी ने पेनाल्टी कॉर्नर का इशारा किया. ये पेनाल्टी जर्मनी को दी गई. अब सभी हॉकी प्रेमियों की धड़कने तेज हो गई थीं. बहरहाल भारत ने एक बार फिर जर्मनी के पोनाल्टी को ध्वस्त कर दिया और मैच अपने नाम किया. ये कोई एक मौका नहीं था जब भारतीय समर्थकों की सांसे थम सी गई हों. इससे अलावा इन मौकों पर भी दिल बैठ सा गया था, ऊंगलियों के नाखून चबा-चबा कर खत्म हो रहे थे.

  • चौथे क्वॉर्टर के दौरान 60वें मिनट में जर्मनी के लुकास के पेनाल्टी को भारतीय गोलकीपर ने बचाया. उससे कुछ सेकेंड पहले ही भारत के सिमरनजीत को यलो कार्ड दिया गया था.

  • 58वें मिनट में जर्मनी ने दो पेनाल्टी कॉर्नर शॉट मारे लेकिन पहले गोलकीपर ने बचाया फिर फील्ड प्लेयर ने.

  • 56वें मिनट में जर्मनी ने अपने गोलकीपर को डी से बाहर बुला लिया और 11 प्लेयर के साथ अटैक करने लगी.

  • 54वें मिनट में क्रिस्टोफर और लुकास ने फिर बारी-बारी से दो पेनाल्टी कॉर्नर शूट किए लेकिन भारत ने फिर बचा लिया.

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मैच में यहां भी रोमांच

भारत ने 31वें मिनट में पेनाल्टी स्ट्रोक कर चौथा गोल दागा और बढ़त बना ली.

लेकिन जर्मनी ने खेल में वापसी की 48वें मिनट में अपना चौथा गोल कर भारत से सिर्फ एक कदम दूर आ खड़ा हुआ. 4-5 का स्कोर. धड़कने तेज.

आखिरी समय में जर्मन टीम लगातार हमले पर हमला कर रही थी. लेकिन भारतीय टीम दीवार बनकर डिफेंस के लिए मुस्तैद था. आखिरी मिनट में करीब तीन बार जर्मनी ने अटैक किया और तीनों बार ही नाकाम

कुल मिलाकर एक अच्छा मुकाबला, एक शानदार कमाकर बटोरी गई जीत. सांसें सिर्फ इन कमेंटेटर की ही नहीं 140 करोड़ भारतीयों की रुकी थीं. हार्ट अटैक आना था उन आरजुओं को भी जो दशकों से पूरी नहीं हुईं. 41 साल बाद का सूखा खत्म हुआ है. बहुत बड़ी बात है. भारतीय हॉकी के लिए ये कांस्य बहुत कीमती है.

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