अमेरिकी तैराक माइकल फेल्प्स ने रियो ओलंपिक में जीता अपने करियर का 21वां गोल्ड मेडल.
ये एक खबर है. पर ये एक दस्तक भी है, उस शख्सियत की, जो इंसानियत की सीमाओं के परे उपजे गोल्ड मेडलों से जगमगा रही है.
रियो ओलंपिक में लगातार दो मेडल जीतने के बाद फेल्प्स ने मंगलवार को इस ओलंपिक में चार गुणा 200 मीटर इवेंट में तीसरा मेडल जीत लिया है. इस मेडल को जीतने के साथ ही माइकल के खाते में कुल 21 गोल्ड मेडल शामिल हो गए हैं.
ओलंपिक में भाग लेने वाले 160 देशों के गोल्ड मेडल्स को मिला भी दिया जाए, तो भी वे माइकल के अकेले के गोल्ड मेडल्स की बराबरी नहीं कर सकते.
31 साल के माइकल ने अपने करियर में जो कर दिखाया है, उसे करने का सपना हर तैराक देखता है. इस तरह माइकल कई पीढ़ियों के लिए आदर्श बन चुके हैं.
माइकल का ‘लार्जर देन लाइफ’ कैरेक्टर कुछ ऐसा है कि आने वाले बरसों में हॉलीवुड की म्यूटेंट वाली फिल्मों में माइकल की सफलता को ह्यूमन म्यूटेंसी से जोड़ा जा सकता है. जैसे एक फिल्म में अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ केनेडी की हत्या को म्यूटेंट से जोड़कर दिखाया गया है.
तो क्या ये संभव है कि कल के बच्चे अपने दोस्तों के साथ स्कूल में लंच करते हुए माइकल को एक म्यूटेंट मानने लगें?
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