एम एस धोनी के भविष्य को लेकर जब टीम इंडिया के पूर्व ओपनर वीरेंदर सहवाग से सवाल किया गया तो उनका जवाब थाः “वो कभी भी किसी युवा क्रिकेटर का रास्ता नहीं रोकेंगे. टीम को इस वक्त उनकी जरूरत है, टी20 में भी. लेकिन उन्हें पहली गेंद से ही खुलकर खेलना होगा.”
यही सवाल जब क्लासिकल वी. वी. एस. लक्ष्मण से पूछा गया तो उनका जवाब थाः “विराट कोहली 160 के स्ट्राइक रेट से बैटिंग कर रहे थे और धोनी 80 से, जब भारत एक बड़े स्कोर का पीछा कर रहा था. ये काफी नहीं है और मुझे लगता है कि अब धोनी को टी20 प्रारूप में युवाओं को मौका देना चाहिए.”
क्या धोनी उपयोगी हैं?
जब भी धोनी का नाम आता है, ‘लिजेंड’, ‘स्टार’, ‘फिनिशर’, ‘वंडर ऑफ क्रिकेट’ जैसे शब्द और मुहावरे दिमाग में आते हैं, लेकिन आज सभी लोग टीम इंडिया के लिए इसी धोनी की ‘उपयोगिता’ की चर्चा करने लगे हैं.
उनकी उम्र- 36 साल- और अगले वर्ल्ड टी20 को- ऑस्ट्रेलिया में 2020 में – देखते हुए ये कहना बड़ा आसान लगता है कि उन्हें तुरंत टीम से हट जाना चाहिए.
लेकिन सवाल उठता है कि क्या टीम इंडिया तीन साल बाद के इन टूर्नामेंट की तैयारी कर रही है?
जवाब है नहीं.
टीम इंडिया इंग्लैंड में 2019 में होने वाले वनडे वर्ल्ड कप की तैयारी में लगी है. अगर श्रीलंका, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के खिलाफ भारत की श्रृंखलाओं के स्कोर कार्ड देखें तो इसके सबूत साफ दिखेंगे.
मध्य क्रम में टीम इंडिया ने 13 वनडे मैचों में नंबर 4 पर पांच बल्लेबाजों का इस्तेमाल किया - के. एल. राहुल, हार्दिक पंड्या, मनीष पांडे, केदार जाधव और दिनेश कार्तिक. टी20 को मिला लें तो श्रेयस अय्यर और केदार जाधव के नाम भी इसमें जुड़ जाते हैं.
इन बदलावों का सीधा असर बैटिंग ऑर्डर में धोनी की जगह पर दिखा है. ध्यान दें- इस साल नंबर 5 पर बैटिंग करते हुए धोनी ने 13 वनडे मैचों में 56.85 के औसत से 398 रन बनाए हैं. इसमें एक शतक और तीन अर्धशतक शामिल हैं.
लेकिन श्रीलंका दौरे के बाद से, जब से टीम में मध्य क्रम में प्रयोगों का दौर शुरू हुआ, धोनी ने सिर्फ एक मैच में नंबर 5 पर बल्लेबाजी की है- कानपुर में न्यूजीलैंड के खिलाफ जिसमें उन्होंने 25 रन बनाए. धोनी को वनडे बैटिंग ऑर्डर में नंबर 6 या 7 पर भेजा जा रहा है, और एक बार भी उन्होंने नंबर 4 पर बैटिंग नहीं की है.
टीम धोनी की बैटिंग नंबर 5 पर चाहती है
दो चीजें साफ हैं. टीम मैनेजमेंट चाहता है कि वो नंबर 5 पर आएं, लेकिन नंबर 4 की बढ़ रही दिक्कतें ऐसा होने नहीं दे रहीं. धोनी को उनकी पसंदीदा जगह से नीचे आना पड़ रहा है और इससे उनके आलोचकों को मौका मिला है.
लंबे समय से टीम इंडिया में टी20 में बड़े हिट लगाने वाला कोई खिलाड़ी नहीं है. इसकी एक वजह है वनडे और टी20 दोनों में करीब-करीब एक जैसी टीम उतारना. हो सकता है कि इससे टीम को 2019 के वर्ल्ड कप की तैयारी के लिए मदद मिले, लेकिन सवाल तब उठने लगते हैं जब कोई चीज गड़बड़ा जाती है. जैसे, राजकोट में धोनी का योगदान कसौटी पर खरा नहीं माना गया.
नंबर 6 पर बैटिंग करते हुए धोनी ने 37 गेंदों में 49 रन बनाए, जब भारत 197 रनों का पीछा कर रहा था. धोनी 10वें ओवर में जब क्रीज पर आए थे तो स्कोर था 67-4 और उनके बाद कोई बल्लेबाज नहीं था. फिर किस पैमाने पर ये प्रदर्शन ‘काफी नहीं’ था?
विराट ने न्यूजीलैंड के साथ टी20 सीरीज खत्म होने के बाद धोनी का बचाव किया है. उन्होंने कहा-
उस गेम में हार्दिक भी रन नहीं बना सके। अगर मैं तीन बार नाकाम रहता हूं तो कोई मुझ पर उंगली नहीं उठाता क्योंकि मैं 35 से ज्यादा नहीं हूं. हमें ये देखना होगा कि जब वो आते हैं, तो रन रेट 8 या 9 को पार कर चुका होता है. हम सिर्फ एक आदमी को निशाना बना रहे हैं जो उचित नहीं है. वो फिट हैं, सारे फिटनेस टेस्ट पास कर रहे हैं, और हर तरीके से टीम में योगदान दे रहे हैं, मैदान में रणनीति से, और बैट से भी.
विराट के शब्दों से साफ है कि टीम इंडिया के ड्रेसिंग रूम में क्या सोचा जा रहा है. सिर्फ जज्बाती होकर टीम मैनेजमेंट किसी अनुभवी खिलाड़ी को खारिज नहीं कर सकता. कोहली और टीम मैनेजमेंट ऐसे खिलाड़ी की अहमियत जानते हैं, नंबर 5 पर बैटिंग करने से लेकर डीआरएस फैसलों और मुश्किल हालातों में उनकी रणनीतिक सूझ-बूझ तक.
शायद, ये समय है टीम इंडिया को 2019 के लिए अपनी रणनीति बनाने देने और धोनी को अभी थोड़ा और वक्त देने का.
(चेतन नरूला खेल पत्रकार हैं, और क्रिकेट और फॉर्मूला वन पर उन्होंने दो किताबें लिखी हैं. उनसे @chetannarula पर संपर्क कर सकते हैं. इस आर्टिकल में छपे विचार उनके अपने हैं. इसमें क्विंट की सहमति होना जरूरी नहीं है)
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