इस साल तीन बार पॉली उमरीगर ट्रॉफी जीतने के बाद भारतीय कप्तान विराट कोहली ने बहुत सीधे शब्दों में बहुत जोरदार बात कही- “अगर मैं हर दिन अपना 120 प्रतिशत दे रहा रहूं, तो किसी को भी मेरे से सवाल करने का कोई हक नहीं है.
विराट कोहली का लगातार शानदार प्रदर्शन इसलिए भी खास है क्योंकि उनकी हर एक व्यक्तिगत सफलता एक बेहद युवा टीम की कमान संभाले हुए आई जो खुद दुनिया में अपना नाम कमाने के लिए बेताब है.
वो जिंदगी के हर मोड़ पर अपना अच्छा किरदार निभाते हैं, फिर चाहे वो एक बेटे के रूप में हो, एक भाई के रूप में हो, एक दोस्त के रूप में हो या देश के एक अच्छे नागरिक के रूप में हो.
विराट का 2016 का टेस्ट सीजन जबरदस्त बीता था लेकिन 2017 की शुरुआत में ऑस्ट्रेलियाई सीरीज उनके लिए उतनी ही खराब बीती थी. उनके कंधे में चोट भी लगी थी. उसके बाद उन्होंने खूब कोशिश की लेकिन उनकी टीम रॉयल चैंलेंजर बैंगलोर आईपीएल में अच्छा खेल नहीं दिखा पाई
तो कैसे एक युवा कप्तान इन सब परेशानियों से उभरकर टीम इंडिया को अपने कप्तानी करियर के सबसे बड़े टूर्नामेंट में लीड करेगा?
ठीक वैसे ही जैसे उसने अपनी सफलता को डील किया....
ये सब सुनने में काफी आसान लगता है, लेकिन एक खिलाड़ी के तौर पर उनके जीवन में सफलता उनके बोरिंग रूटीन की वजह से ही है. विराट की सफलता के पीछे काफी बातें होती हैं लेकिन ज्यादा लोगों को उस सफलता के पीछे का तरीका नहीं पता.
विराट में आया बदलाव
साल 2011-12 के आस-पास विराट ने अपनी दिनचर्या बदलने के बारे में कुछ बड़े डिसीजन लिए थे, जिससे की उनके खेल पर अच्छा प्रभाव पड़ा. तब से मैंने विराट के जीवन में बहुत से लाजवाब बदलाव देखे. विराट ने अपने लिए कुछ टार्गेट सैट किए थे, उनके टार्गेट में ये नहीं था कि उन्हें कितने रन बनाने हैं या कितने शतक लगाने हैं. बल्कि उनके टार्गेट में ये था कि उन्हें कितनी मेहनत करनी है, कितना आराम करना है, किस तरह का खाना खाना है और जिम में कितना समय बिताना है.
छुट्टी वाले दिन विराट
जिस दिन मैच नहीं होता, विराट उस दिन डाइनिंग टेबल पर बैठ कर टेस्टलैस फूड का मजा लेते थे. हम सब भारतीय तले हुए और मिर्च-मसाले वाला खाना खा कर बड़े होते हैं पर विराट ने टिपिकल भारतीय खाने की जगह हाई प्रोटीन और हाई फाइबर फूड लेना शुरु कर दिया.
प्रेक्टिस सेशन में विराट ही ऐसे खिलाड़ी होते हैं जो ग्राउंड पर सबसे पहले पहुंचते हैं और सबसे बाद में बाहर आते हैं. आम तौर पर ये एक रूटीन कहलाता है पर विराट हर सेशन में एक लक्ष्य निर्धारित करते हैं. कई बार सुबह की नैट-प्रेक्टिस के बाद वो लंबा आराम करते हैं और फिर शाम को उनके जिम सेशन शुरू हो जाते हैं.
बाकी खिलाड़ियों के लिए कड़ी मिसाल हैं कोहली
मैच के दिन विराट की दिनचर्या में परिस्थिति के हिसाब से बदलाव आते हैं. लेकिन उनकी सोच और काम करने का तरीका वैसा ही रहता है.
जिस दिन वो लंबी बैटिंग करके वापस आते हैं जिसमें उन्होंने शतक लगाया होता है, वो ही पहले खिलाड़ी रहते हैं जो गेंद उठाकर फुट-वॉली गेम शुरू करते हैं.
मैच के दिन वो हमेशा चुस्त रहते हैं और कभी मोटिवेशनल स्पीच से तो कभी हंसी-मजाक से ड्रैसिंग रूम का माहौल हल्का रखते हैं. विराट अपनी फिटनेस और प्रदर्शन से टीम में मिसाल कायम करते हैं. अब हर कोई उनकी प्रेक्टिस को फॉलो करता है.
भारत और इंग्लैंड के बीच विशाखापटनम में हुए मैच में पाकिस्तानी लेजेंड सकलैन मुश्ताक जो कि इंग्लैंड की टीम के स्पिन कोच थे, उनका सामना विराट से हुआ. मुश्ताक ये देख कर चौंक गए कि पूरा दिन ग्राउंड पर बिताने के बाद भी शाम को विराट जिम गए. मुश्ताक विराट से लगातार पूछते रहे कि उनको इतनी प्रेरणा कहां से मिलती है कि वो इतनी मेहनत कर पाते हैं. मुश्ताक बोले कि वो चाहते हैं कि पाकिस्तान के युवा खिलाड़ी विराट के पदचिन्हों पर चलें.
विराट ने अपने आपको एक उदाहरण के तौर पर पूरी दुनिया के सामने रखा है. उनकी मेहनत और जिस रास्ते पर वो चल रहे हैं वो सोच से परे है. उनकी सोच बिल्कुल साफ है- अपना काम अच्छे से करते रहो, बाकी सब अपने आप होता जाएगा .
वो अपने सिस्टम, अपनी तैयारी और ट्रेनिंग को कंट्रोल करने की कोशिश करते हैं. प्रदर्शन और नतीजे उनके हाथ में नहीं हैं लेकिन अगर आप तरीके से चलेंगे तो सब कुछ ठीक होगा. विराट के आस-पास की हर चीज और उनका लाइफ-स्टाइल बिलकुल बोरिंग है पर विराट के लिए बोरिंग शब्द शानदार और बेहद जरूरी है.
(निशांत अरोड़ा अवॉर्ड विनिंग क्रिकेट पत्रकार, और टीम इंडिया के पूर्व मैनेजर हैं. युवराज सिंह के की किताब के को-ऑथर भी रहे हैं.)
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