सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि विधि प्रवर्तन एजेंसियों के पास अफवाह और हिंसा फैलाने वाले संदेशों के स्रोत तक पहुंच होनी चाहिए। हालांकि, इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भारत कूटेलखन या एन्क्रिप्शन का सम्मान करता है।
इंडिया मोबाइल कांग्रेस-2019 को संबोधित करते हुए सोमवार को प्रसाद ने कहा, ‘‘हम एन्क्रिप्शन का सम्मान करते हैं लेकिन जब अफवाह फैलाने के संदेश एक ही समय, एक ही क्षेत्र और एक ही मुद्दे पर बार-बार आगे बढ़ाएं जाएं, तो निश्चित रूप से इसके स्रोत का पता लगना चाहिए ताकि इनसे निपटा जा सके।’’
मंत्री ने कहा, ‘‘इंटरनेट स्थिर और सुरक्षित होना चाहिए। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए।’’
संदेश तक पहुंच या पहचान सरकार और मैसेजिंग कंपनी व्हॉट्सएप के बीच विवाद का प्रमुख मुद्दा है। फेसबुक की इकाई व्हॉट्सएप अभी तक संदेश के मूल स्रोत तक पहुंच की भारत की मांग पूरी नहीं कर रही है। व्हॉट्सएप की दलील है कि इससे गोपनीयता की नीति और कूटलेखन प्रभावित होगा।
सूत्रों ने कहा कि फेसबुक के वैश्विक मुख्य कार्यकारी निक क्लेग ने पिछले महीने प्रसाद के साथ बैठक में संदेशों तक पहुंच के विकल्प रखे थे। इसमें इस मुद्दे से निपटने का ‘मेटा डेटा’ और मशीन इंटेलिजेंस का इस्तेमाल शामिल है। यहां तक कि उन्होंने विधि प्रवर्तन एजेंसियों को सहयोग के लिए व्हॉट्सएप, इंस्टाग्राम और फेसबुक के संपर्क उपलब्ध कराने की पेशकश की थी।
अपने संबोधन में प्रसाद ने कहा कि भारत दुनिया में सबसे अधिक आंकड़ों का सृजन कर रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं चाहता हूं कि भारत डेटा के विश्लेषण, शोधन और उसे परिष्कृत करने का बड़ा केंद्र बन सके।’’
मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि डेटा गोपनीयता, डेटा नवोन्मेष और डेटा उपयोग के बीच संतुलन कायम किया जाए।
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