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चीन के Red Echo ने 10 भारतीय पावर स्टेशन, 2 पोर्ट को निशाना बनाया

‘सिविलियन इंफ्रा को निशाना बनाए जाना चिंताजनक’

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अमेरिका स्थित साइबरसिक्योरिटी कंपनी Recorded Future ने 4 मार्च को कहा कि भारत में पूरे 2021 के दौरान इंफ्रास्ट्रक्चर और संस्थानों पर चीन की सरकार समर्थित समूह जैसे कि Red Echo से हमला होने की आशंका है.

साल 2020 में LAC पर भारत और चीन के बीच सीमा विवाद के दौरान Red Echo ने भारत के महत्वपूर्ण पावर सेक्टर की कम से कम 10 संपत्तियों और दो पोर्ट्स को निशाना बनाया था. ये जानकारी अमेरिकी कंपनी Recorded Future ने दी.

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निशाना बनाई गईं सभी 12 संस्थाओं को नेशनल क्रिटिकल इंफॉर्मेशन इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोटेक्शन सेंटर (NCIIPC) ने क्रिटिकल इंफ्रास्ट्रक्चर की श्रेणी में रखा है.  

इनमें भारत के पांच में से चार रीजनल लोड डिस्पैच सेंटर शामिल हैं. ये सेंटर भारत के पावर ग्रिड के इंटीग्रेटेड ऑपरेशन के लिए जिम्मेदार होते हैं. इन सेंटर में इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई और डिमांड को बैलेंस कर ग्रिड फ्रीक्वेंसी स्थिर रखी जाती है.

निशाना बनाई गईं यूनिट्स में मुंबई पोर्ट ट्रस्ट, तमिलनाडु में वीओ चिदंबरनर पोर्ट समेत दिल्ली, महाराष्ट्र, तेलंगाना, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल और असम जैसे हिस्सों में फैली संस्थाएं शामिल हैं.

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सिविलियन इंफ्रा को निशाना बनाए जाना 'चिंताजनक': साइबर फर्म के सीईओ

कंपनी Recorded Future ने 4 मार्च को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "भारत में महत्वपूर्ण संस्थानों को निशाना बनाए जाने का सिलसिला 2021 में जारी रह सकता है."

कंपनी के सीईओ क्रिस्टोफर अहल्बर्ग ने चीन समर्थित समूहों के भारतीय सिविलियन इंफ्रास्ट्रक्चर को निशाना बनाए जाने की घटना को 'असामान्य' और 'चिंताजनक' बताया.

उन्होंने साफ किया कि इस बात को साबित करने के लिए पर्याप्त डेटा नहीं है कि 2020 का पावर आउटेज Red Echo के साइबर हमले की वजह से हुआ था.  

महाराष्ट्र सरकार ने इस मामले में जांच शुरू कर दी है. हालांकि, केंद्र ने कहा है कि इस मामले में चीन की भूमिका को लेकर कोई सबूत नहीं है.

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हमलों को सार्वजानिक करे सरकारें: साइबर फर्म के सीईओ

कंपनी के सीईओ क्रिस्टोफर अहल्बर्ग ने कहा कि साइबर गतिविधि पैसे या जानकारी चुराने के लिए नहीं, बल्कि 'द्विपक्षीय तनाव के दौरान एक चेतावनी या ताकत दिखाने के तौर' पर की गई थीं.

उन्होंने सरकारों से इन गतिविधियों को पारदर्शी बनाने की सलाह दी. अहल्बर्ग ने कहा कि मालवेयर हमलों को सार्वजानिक करें जिससे ऐसे हमले रोके जा सकें.

अहल्बर्ग ने कहा, “पारदर्शिता यहां महत्वपूर्ण है. ऐसे समूह पारदर्शिता न होने का फायदा उठाते हैं. चीन समर्थित समूहों के लिए सबसे खराब स्थिति उनकी मालवेयर गतिविधियों का सार्वजानिक होना होगा. मैं सरकारों से इन्हें सार्वजानिक करने की अपील करूंगा.”
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चीन के साइबर ऑपरेशन्स चलते रहेंगे!

2020 में इन 12 संस्थानों पर हमला हुआ था:

  • पावर सिस्टम ऑपरेशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड
  • NTPC लिमिटेड
  • NTPC कुडगी STPP
  • वेस्टर्न रीजनल लोड डिस्पैच सेंटर
  • सदर्न रीजनल लोड डिस्पैच सेंटर
  • नॉर्थ ईस्टर्न रीजनल लोड डिस्पैच सेंटर
  • ईस्टर्न रीजनल लोड डिस्पैच सेंटर
  • तेलंगाना स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर
  • दिल्ली स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर
  • DTL टिकरी कलां (मुंडका) ऑफ दिल्ली ट्रांस्को लिमिटेड
  • वी.ओ चिदंबरनर पोर्ट
  • मुंबई पोर्ट ट्रस्ट

अहल्बर्ग ने इस संभावना से इनकार किया कि भारतीय संपत्तियों को किसी फायदे या साइबर जासूसी के लिए निशाना बनाया गया था. उन्होंने कहा, "भारतीय पावर ग्रिड को निशाना बनाने से सीमित जासूसी गतिविधि हो सकती है."

अहल्बर्ग के मुताबिक, ये गतिविधि किसी खास फायदे के लिए नेटवर्क पोजिशनिंग हासिल करने के लिए की गई थी. ये खास फायदा हो सकता है:

  • भविष्य में साइबर गतिविधि के लिए इंटेलिजेंस जुटाना
  • मालवेयर प्लांट करना
  • ताकत का दिखावा करना
  • भारतीय लोगों को परेशान करने के लिए संभावित इंफॉर्मेशन ऑपरेशन

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