अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा (NASA) को एक बार फिर अपने सबसे पावरफुल रॉकेट Artemis I के लॉन्च को टालना पड़ा है. NASA ने अपने ट्वीट में जानकारी दी कि रॉकेट में फ्यूल भरने के दौरान एक लीक का पता चला जिसे कई बार की कोशिश के बाद भी नहीं भरा जा सका. इसका अर्थ है कि मिशन मून के लिए 29 अगस्त की पहली नाकाम कोशिश के बाद शनिवार, 3 सितंबर को की गयी दूसरी कोशिश ही नाकाम रही है. NASA अब इसके लॉन्च के लिए एक नई तारीख का एलान करेगा.
बता दें कि आज 3 सितंबर को स्पेस लॉन्च सिस्टम (SLS) रॉकेट को भेजने के लिए NASA के पास दो घंटे का विंडो था, जो स्थानीय समयानुसार 14:17 (भारत में रात 11:47 बजे) से शुरू होना था.
Artemis-1 का लॉन्च पहली कोशिश में क्यों टला था?
Artemis I के लॉन्च को मूल रूप से 29 अगस्त के लिए निर्धारित किया गया था लेकिन स्पेस लॉन्च सिस्टम (SLS) रॉकेट के चार RS-25 इंजनों में से एक टैंकिंग चरणों के दौरान खराब हो गया था और वह पर्याप्त रूप से ठंडा नहीं हो पा रहा था. इस तकनीकी खामी को बुधवार,31 अगस्त तक ठीक किया गया और अगले ही दिन गुरुवार को एक और लॉन्च की कोशिश करने के लिए अंतिम मंजूरी दी गई. हालांकि, अगली लॉन्च विंडो केवल शनिवार यानी आज की रात (भारत समय) पर उपलब्ध थी.
Artemis I, Artemis II और Artemis III- तीनों चरणों में क्या-क्या करेगा NASA?
Artemis I के साथ, नासा चांद की सतह पर किसी भी इंसान को नहीं भेज रहा है, बल्कि इसके बजाय ओरियन स्पेसक्राफ्ट में Helga, Zohar और Commander Moonikin Campos नाम के तीन पुतलों को भेजा जा रहा है. तीनों पुतलों में विकिरण-संवेदनशील / रेडिएशन सेंसिटिव अंगों के प्लास्टिक मॉडल लगे होंगे. इनमें गर्भाशय/यूट्रस और फेफड़े शामिल हैं. इससे NASA के वैज्ञानिकों को अंतरिक्ष में इंसानों पर रेडिएशन के प्रभावों का अध्ययन करने में मदद मिलेगी.
Artemis II : दूसरे मिशन में NASA चंद्रमा की परिक्रमा करने और फिर धरती पर लौटने के लिए एक चार अंतरिक्षयात्रियों का दल भेजेगा. इसमें चंद्रमा पर कोई लैंडिंग नहीं होगी लेकिन इस मिशन में मनुष्यों द्वारा देखी गई अंतरिक्ष में सबसे दूर की दूरी को देख पाने का लक्ष्य है. यह अपने चरम पर चंद्रमा के अंधेरे पक्ष (डार्क साइड) से लगभग 4600 मील दूर होगा.
Artemis III : इस मिशन में NASA के वैज्ञानिकों का लक्ष्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर SpaceX के एक स्पेसक्राफ्ट को भेजने का है. यहां वे चंद्रमा की सतह पर जमे हुए क्रेटरों का अध्ययन करेंगे, जिन्होंने अरबों सालों से सूरज की रोशनी नहीं देखी है.
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