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IIT-कानपुर की इस टेक्नोलॉजी से चांद पर चहलकदमी करेगा ‘चंद्रयान-2’

चांद के तमाम राज को दुनिया के सामने लाने में कानपुर आईआईटी अहम भूमिका निभाएगा.

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चंद्रयान-2 का सोमवार, 22 जुलाई को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से सफल लॉन्च हुआ. चंद्रयान-2 ठीक 23वें दिन चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव इलाके में लैंड करेगा. इसरो के इस ऐतिहासिक मिशन पर नेताओं से लेकर फिल्म और खेल जगत की हस्तियों ने टीम को बधाई दी.

चांद के तमाम राज को दुनिया के सामने लाने में कानपुर आईआईटी अहम भूमिका निभाएगा. इस मिशन में इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) के अलावा आईआईटी कानपुर की बरसों की मेहनत भी शामिल है. इस मिशन के लिए आईआईटी के दो सीनियर प्रोफेसर्स समेत 10 फैकल्टी मेंबर और स्टूडेंट्स की टीम ने काम किया है.

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मैपिंग जेनरेशन और पाथ प्लानिंग सिस्टम

आईआईटी कानपुर ने इसरो के चंद्रयान-2 मिशन के लिए मैपिंग जनरेशन सॉफ्टवेयर विकसित किया है, जिसे 15 जुलाई को लॉन्च किया गया था. इसके लिए आईआईटी कानपुर के दो सीनियर प्रोफेसर्स समेत 10 फैकल्टी मेंबर और स्टूडेंट्स की टीम ने तीन साल की मेहनत की है.

इस प्रोजेक्ट में शामिल आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर आशीष दत्ता ने बताया, "चंद्रयान-2 में कई सब-सिस्टम्स है. उनमें से 2 के लिए मैप जेनरेशन और पाथ प्लानिंग सब-सिस्टम, सॉफ्टवेयर और एल्गोरिथम डेवलपमेंट आईआईटी कानपुर ने किए. इसके लिए इसरो और आईआईटी कानपुर के बीच MoU पर साइन किए गए."

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प्रोफेसर दत्ता ने इसके प्रोटोटाइप मॉडल को दिखाते हुए बताया कि इसका स्ट्रक्चर और चंद्रयान-2 के रोवर का स्ट्रक्चर बिलकुल एक जैसा है.

इसरो का सबसे जटिल और अब तक का सबसे प्रतिष्ठित मिशन माने जाने वाले ‘चंद्रयान-2’ के साथ अपना देश रूस, अमेरिका और चीन के बाद चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने वाला चौथा देश बन जाएगा।
स्वदेशी तकनीक से निर्मित चंद्रयान-2 में कुल 13 पेलोड हैं। आठ ऑर्बिटर में, तीन पेलोड लैंडर ‘विक्रम’ और दो पेलोड रोवर ‘प्रज्ञान’ में हैं। पांच पेलोड भारत के, तीन यूरोप, दो अमेरिका और एक बुल्गारिया के हैं.

चांद की सतह पर रोवर अच्छे से काम करे, इसके लिए उसमें 6 पहिये लगाए गए है और इसमें एल्युमीनियम का प्रयोग किया गया है. साथ ही वहां के हिसाब से रोवर में जॉइंट भी दिए गए हैं. इसके पहियों में खास बात ये है कि ये सतह के हिसाब से काम करेंगे. इससे पहिया नीचे धंसने से काफी हद तक बच जाएगा.

चंद्रयान-2 का वजन 3.8 टन है, जिसको देखते हुए इस रोवर का वजन 25 किलो का रखा गया है. लॉन्चिंग के करीब 16 मिनट बाद जीएसएलवी-एमके 3 चंद्रयान-2 को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित करेगा. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद श्रीहरिकोटा में प्रक्षेपण देखेंगे.

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