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कभी साइकिल पर रॉकेट लादने वाला ISRO अंतरिक्ष में रखेगा इंसानी कदम

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने स्वतंत्रता दिवस पर ऐतिहासिक ऐलान किया है. जानते हैं संगठन की खास बातें

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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने स्वतंत्रता दिवस पर ऐतिहासिक ऐलान किया है. ISRO 2022 तक पहली बार किसी भारतीय अंतरिक्ष यात्री को अंतरिक्ष में भेजेगा. ISRO के एक अधिकारी ने अंतरिक्ष एजेंसी के चेयरमैन के. सिवन के बयान के हवाले से कहा, " इंसानों को अंतरिक्ष पर भेजने से जुड़ी टेक्नोलॉजी डेवलप की जा रही है. हम 2022 तक किसी भारतीय अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में भेजेंगे."

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इससे पहले नई दिल्ली में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर देश को संबोधित करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत 2022 तक इंसान को अंतरिक्ष में भेज देगा. साफ है कि अगर ऐसा होता है तो भारत अंतरिक्ष में इंसान भेजने वाले दुनिया का चौथा देश बन जाएगा.

15 अगस्त को ही ISRO की स्थापना हुई थी, आइए जानते हैं इस संगठन के बारे में कुछ खास बातें

  • साल 1962 में सरकार ने भारतीय राष्‍ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति (इन्‍कोस्‍पार) का गठन किया था और इसके 7 साल बाद यानी 1969 में डॉ. विक्रम साराभाई के नेतृत्व में ISRO की स्थापना हुई.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने स्वतंत्रता दिवस पर ऐतिहासिक ऐलान किया है. जानते हैं संगठन की खास बातें
डॉ. साराभाई एवं डॉ. कलाम-भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के शुरुआती दौर की तस्वीर
(फोटो: ISRO)
  • फिलहाल, दुनिया के कई देशों का सैटेलाइट लॉन्च करता है ISRO. लेकिन शुरुआती दौर में संगठन साइकिल और बैलगाड़ी के जरिए रॉकेट्स का ट्रांसपोर्ट किया करता था.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने स्वतंत्रता दिवस पर ऐतिहासिक ऐलान किया है. जानते हैं संगठन की खास बातें
  • ISRO के पहले रॉकेट को साइकिल के जरिए लॉन्चिंग पैड तक ले जाया गया था, अगले रॉकेट की लॉन्चिंग में बैलगाड़ी का भी इस्तेमाल हुआ था, और भी हैरान करने वाली बात ये है कि पहले रॉकेट के वक्त नारियल के पेड़ को लॉन्चिंग पैड बनाया गया था.
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  • 19 अप्रैल 1975 को इसरो ने देश का अपना पहला उपग्रह 'आर्यभट्ट' लॉन्च किया था. इसका वजन 360 किलोग्राम था. ‘आर्यभट्ट’ को यह नाम प्राचीन भारत के जाने-माने खगोलविद् से मिला.
  • साल 1983 में इसरो ने कम्युनिकेशन और ब्रॉडकास्ट के उद्देश्य से 9 सैटेलाइट लॉन्च किए. इसे INSAT के रूप में जाना जाता है.
  • साल 1993 में PSLV ने 40 अलग-अलग देशों से 40 से ज्यादा सैटेलाइट लॉन्च किए
  • 22 अक्टूबर 2008 को इसरो ने चांद पर 'चंद्रयान' भेजकर इतिहास रचा. इससे पहले ऐसा सिर्फ छह देश ही कर पाए थे.
  • साल 2014 में इसरो ने सफलतापूर्वक मंगल ग्रह पर मंगलयान भेजा. 67 करोड़ किमी का सफर तय करके इसरो ने पहली बार में ही मंगलयान सीधे मंगल ग्रह की कक्षा में पहुंच दिया. इसरो ने इस मिशन पर सिर्फ 450 करोड़ रुपए खर्च किए. जो नासा के मावेन मिशन के खर्च का महज 10वां हिस्सा था.
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साल 2017 में इसरो ने भारत का सबसे भारी रॉकेट GSLV MK3 लॉन्च किया
(फोटोः PTI)
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  • साल 2017 में इसरो ने भारत का सबसे भारी रॉकेट GSLV MK3 लॉन्च किया. ये रॉकेट अपने साथ 3,136 किलो वजन का कम्युनिकेशन सैटेलाइट जीसैट-19 लेकर गया. इससे पहले 2,300 किलो से ज्यादा वजन वाले उपग्रहों के प्रक्षेपण के लिए विदेशी प्रक्षेपकों पर निर्भर रहना पड़ता था.
  • साल 2017 इसरो ने PSLV के जरिए एक साथ 104 सैटेलाइट लॉन्च करके वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया. इससे पहले ये रिकॉर्ड रूस के नाम दर्ज था, जिसने साल 2014 में सबसे अधिक एक साथ 37 सैटेलाइट लॉन्च किए थे.

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