भारत सरकार की ओर से देश की सीमाओं के भीतर डेटा स्टोर करने के दबाव का सामना कर रही टिक-टॉक की बीजिंग स्थित पैरंट कंपनी बाइटडांस ने रविवार को कहा कि वह भारत में एक डेटा सेंटर स्थापित करने की योजना बना रही है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म हेलो का मालिकाना हक भी बाइटडांस कंपनी के पास है.
6 से 18 महीने का लग सकता है वक्त
कंपनी ने कहा, "एक नए डेटा प्रोटेक्शन कानून को बनाने के लिए भारत के प्रयासों को मान्यता देने के लिए बाइटडांस ऐसा करके एक महत्वपूर्ण कदम उठा रही है." कंपनी ने कहा, "अब हम भारतीय सीमाओं के भीतर अपने भारतीय यूजर्स के लिए सुरक्षित और विश्वसनीय सेवाओं के विकल्पों की जांच करने की प्रक्रिया में कार्य कर रहे हैं."
एक अरब डॉलर की लागत से डेटा सेंटर स्थापित करने में 6 से 18 महीने लग सकते हैं. यह निवेश तीन साल में भारत में 1 खरब डॉलर का निवेश करने की कंपनी की प्रतिबद्धता का हिस्सा होगा.
भारत टिक-टॉक के लिए है सबसे बड़ा बाजार
20 करोड़ से अधिक यूजर्स के साथ, भारत टिक-टॉक के लिए सबसे बड़ा बाजार है. पिछले कुछ महीनों में यहां इस एप ने कई विवादों को जन्म दिया है. इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने टिक-टॉक और हेलो के ऑपरेटरों से कई सवालों के जवाब मांगे हैं, जिसमें शामिल है कि क्या यह भारत में डेटा को स्टोर करने पर विचार कर रहा है.
इसके साथ ही वह उपाय जो 18 साल से कम आयु के यूजर्स को इस एप का इस्तेमाल करने से रोकेंगे. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को सोमवार तक इसका जवाब देना था, नहीं तो उसे प्रतिबंध का सामना करना पड़ता.
बाइटडांस ने कहा, "भारत हमारे सबसे मजबूत बाजारों में से एक है और हम 15 भारतीय भाषाओं में डिजिटल इंडिया के मुख्य भाग का हिस्सा बनकर खुश हैं."
RSS की सहयोगी संगठन ने जताई थी आपत्ति
बाइटडांस ने कहा, "भारत में हमारे प्लेटफॉर्म के लॉन्च के बाद से, हमने अपने भारतीय यूजर्स के डेटा को अमेरिका और सिंगापुर में उद्योग के अग्रणी तीसरे पक्ष के डेटा केंद्रों में संग्रहीत किया है. हमें विश्वास है कि अगली बड़ी छलांग लेने का समय आ गया है."
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की शाखा स्वदेशी जागरण मंच (एसजेएम) ने 17 जुलाई को प्रधानमंत्री को एक पत्र भेजा था जिसमें कहा गया था कि इन सोशल मीडिया प्लेटफार्मो का इस्तेमाल देश विरोधी गतिविधियों के लिए किया जा रहा है, जिसके बाद ऑपरेटरों को नोटिस भेजा गया था.
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