भारत में इंटरनेट का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन इस बात में भी कोई दो राय नहीं है कि देश में पब्लिक वाई-फाई की पहुंच बेहद कम है. अभी इसका काफी विस्तार होना बाकी है.
पर एक्सपर्ट का कहना है अभी जितना पब्लिक वाई-फाई हमें इस्तेमाल करने को मिल रहा है, उसमें भी काफी सावधानी बरतने की जरूरत है. अगर ध्यान न दिया गया, तो सिक्योरिटी प्रॉब्लम हो सकती है, यहां तक कि फिशिंग अटैक भी हो सकते हैं.
हाल के एक सर्वे के मुताबिक, 70% भारतीय ईमेल चेक करने और डॉक्यूमेंट चेक करने के लिए पब्लिक वाई-फाई का इस्तेमाल करना पसंद करते हैं.
सर्वे की सारी बातें नॉर्टन सिक्योरिटी रिपोर्ट 2016 में दी गई हैं. इसमें शहरों के 18 से 29 साल के वर्ग को शामिल किया गया है.
भारत में एयरपोर्ट, सिनेमाहॉल, कैफे और कुछ पब्लिक पार्क में पब्लिक वाई-फाई की सर्विस मिलती है. आप पब्लिक वाई-फाई को ब्लूटुथ, वाई-फाई हॉटस्पॉट या अपने मोबाइल के फोन डेटा कनेक्शन से कनेक्ट कर सकते हैं.
एक्सपर्ट कहते हैं कि इंडियन यूजर पब्लिक वाई-फाई का इस्तेमाल करते वक्त भूल जाते हैं कि ये एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जिसमें काफी खतरे भी हैं.
पब्लिक वाई-फाई इस्तेमाल करते वक्त होने वाली परेशानियां
सिमेंटेक कंज्यूमर बिजनेस यूनिट के कंट्री मैनेजर रितेश चोपड़ा का कहना है कि लोगों को लगता है कि पासवर्ड होने से नेटवर्क सेफ है, लेकिन हैकर्स के लिए पब्लिक वाई-फाई से डेटा और अन्य जानकारियों चुराना काफी आसान होता है.
एक लीनक्स बेस्ट ओपन सोर्स टूल से किसी व्यक्ति के डिवाइस पर सेंध लगाई जा सकती है. इससे डिवाइस की एक्टिविटी को मॉनिटर किया जा सकता है और यहां तक पताया लगाया जा सकता है कि आप कौन सी ऐप इस्तेमाल कर रहे हैं.
चोपड़ा कहते हैं कि भारत में लोग जितना वायरस अटैक से डरते हैं, उससे ज्यादा उन्हें फिशिंग अटैक के बारे में सोचना चाहिए.
नॉर्टन सिक्योरिटी रिपोर्ट 2016 के मुताबिक 49% से ज्यादा लोग फ्री वाई-फाई पाने के लिए अपनी पहचान उजागर कर देते हैं. रिपोर्ट यह भी कहती हैं.
पब्लिक वाई-फाई का सुरक्षित इस्तेमाल कैसे करें?
फ्री वाई-फाई नेटवर्क इस्तेमाल करने से पहले एक बार जरूर सतर्क हो जाएं कि कहीं यह आपके डिवाइस पर कब्जा तो नहीं कर लेगा. इसका कोई एक उपाय तो नहीं है, लेकिन बचाव के लिए आप वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (VPN) का इस्तेमाल कर सकते हैं.
VPN के फायदे:
- जानकारी सुरक्षित रहेगी (डिवाइस में एक VPN बना लीजिए)
- नेटवर्क पर प्राइवेसी रहेगी
- डिवाइस मास्किंग लोकेशन से डिवाइस ट्रेस नहीं किया जा सकेगा
- एड ब्लॉक रहेंगी
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