हाल ही में एपल को कैलिफोर्निया की सड़कों पर अपनी सेल्फ ड्राइविंग कारों को टेस्ट करने की इजाजत दी गई है. इससे उन अटकलों पर विराम लग गया, जिनमें ये कहा जा रहा था कि एपल सेल्फ-ड्राइविंग कार विकसित कर रहा है. दरअसल, यह हकीकत ही है.
यह रोमांचक है कि एपल एक सेल्फ-ड्राइविंग कार का टेस्ट करेगा. कैलिफोर्निया के अधिकारियों से परमिट पाने के लिए एपल को उस वाहन का विवरण देना होगा, जो कैलिफोर्निया की सार्वजनिक सड़कों पर परीक्षण करेंगी.
हालांकि एपल ने खुद कोई कार नहीं बनाई है. कंपनी ने सेल्फ ड्राइविंग हार्डवेयर (सेन्सर्स) और सॉफ्टवेयर विकसित किया है, जो कि कैलिफोर्निया राज्य में सड़कों पर टेस्ट के लिए तीन मौजूदा कारों में फिट होंगे.
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, एपल अपने सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर किट तीन लेक्सस RX450H SUVs(2015) में स्थापित करेगा. टेस्ट के नियम के मुताबिक, उन्हें हर समय वाहनों में ड्राइवर को बैठाना होगा.
जब भी सेल्फ-ड्राइविंग कारों की बात आती है, तब एपल-गूगल की पैरेंट कंपनी अल्फाबेट से कुछ साल पीछे दिखाई देती है. गूगल के सेल्फ-ड्राइविंग कार प्रोग्राम (जिसे अब Waymo कहा जाता है) पर साल 2009 से ही काम होता आ रहा है. कंपनी का दावा है कि Waymo कारों का ड्राइविंग अनुभव 300 मानव वर्षों के बराबर है, जिसमे 1.6 अरब से अधिक सिम्युलेटेड किलोमीटर का टेस्ट 2016 से किया जा रहा है.
सेल्फ-ड्राइविंग कारों का परीक्षण करने के लिए 29 कंपनियों को परमिट दिए गए हैं, जिनमें Tesla, Uber, Ford, BMW, Volvo, Volkswagen और GM शामिल हैं. दरअसल, सिंगापुर स्थित एक कंपनी nuTonomy पहले से ही सड़कों पर चलने वाली सेल्फ-ड्राइविंग टैक्सियां उतार चुकी है, जो उन्हें इस दौड़ में एपल और गूगल, दोनों से एक कदम आगे है.
एपल ने अभी तक अपनी कार का निर्माण नहीं किया है और मौजूदा कारों पर तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है, जैसे लेक्सस RX450H. हालांकि टेस्ला पहले से ही अपनी इलेक्ट्रिक कारों में सेल्फ-ड्राइविंग तकनीक ला चुकी है. लेकिन नियम में मुताबिक, एक व्यक्ति को स्टीयरिंग व्हील के पीछे हर समय बैठना होगा, जिससे इमरजेंसी की हालत में वह उसे कंट्रोल कर सके.
गूगल (Waymo) ने 2015 में ही अपना सेल्फ-ड्राइविंग कार का प्रोटोटाइप विकसित कर लिया था, लेकिन वह टोयोटा Prius सेडान, लेक्सस RX450H SUVs और क्रिसलर पेसिफिक हाइब्रिड मिनी वेन्स जैसी कारों पर भी टेस्ट कर रहा है. Google की अपनी ड्राइविंग कार में स्टीयरिंग व्हील या पेडल नहीं है और यह पूरी तरह से ऑटोनोमस है, जबकि अन्य वाहन जिन पर टेस्ट हो रहे हैं, वे इमरजेंसी में किसी भी इंसान को कंट्रोल थमा सकते हैं.
अब एपल भी सेल्फ ड्राइविंग कार बनाने की दौड़ में शामिल हो चुका है, तो क्या हम इस बार सड़कों पर भी IOS बनाम एंड्रॉयड की जंग देख पाएंगे? क्या आप एक एपल iCar देखना पसंद करेंगे या Google Waymo कार?
जरा रुकिए, अगर आप सोच रहे हैं कि भारत सेल्फ ड्राइविंग कार के मामले में क्या कर रहा है, तो यहां देखिए टाटा नैनो का वीडियो.
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