आज के दौर में इंटरनेट एक्सेस करना 3 साल के बच्चे के लिए भी आसान है. हमारे रोजमर्रा की जिंदगी को वेब एक्सेस डिवाइस ने बेहद आसान बना दिया है. आजकल 10 साल के बच्चों के पास मोबाइल होना नॉर्मल-सी बात है, लेकिन सवाल ये उठता है कि क्या वो इंटरनेट पर फैली उस दुनिया से वाकिफ हैं, जो उन पर निगेटिव असर डाल सकती है?
इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए कुछ ऐसे ऐप और सॉफ्टवेयर डिजाइन किए गए हैं, जिनसे पेरेंट्स अपने बच्चों द्वारा यूज किए जाने वाले फोन को अपने हिसाब से कंट्रोल कर सकते हैं.
ये ऐप और सॉफ्टवेयर इंटरनेट पर दिखाए जाने वाले ऐसे कंटेंट को कंट्रोल करते हैं, जो वो नहीं चाहते कि उनके बच्चे इसे देखें. यही नहीं, ये ऐप और सॉफ्टवेयर आपत्तिजनक कंटेंट को ब्लॉक भी कर सकते हैं.
डिवाइस से इंटरनेट पर बच्चों द्वारा बिताए जाने वाले वक्त को भी पेरेंट्स अपने मन मुताबिक सेट कर सकते हैं. बच्चों की बेहतर दिनचर्या बनाने के लिए ऐसे ऐप बहुत कारगर सबित हो रहे हैं.जो बच्चों की इंटरनेट से जुड़ी सारी गतिविधियों को मॉनिटर कर सके.
बच्चों के मोबाइल को मॉनिटर करने के लिए पैरेंटल ऐप
अगर आप अपने बच्चे को स्मार्टफोन दे रहे हैं, तो उससे पहले फोन के उपयोग के बारे में सारी बातें समझाएं और बच्चों की सहमति के साथ उनके मोबाइल में पैरेंट ऐप इंस्टॉल करें.
यह बच्चे और पेरेंट्स के बीच विश्वास बनाए रखने में मदद करता है. बच्चों को यह बताएं कि यह उनकी खुद की सुरक्षा के लिए है. यह 13 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए सबसे महत्वपूर्ण है.
निश्चिंत, इकावच, सिक्योरिटीन और स्क्रीन टाइम जैसे ऐप आप अपने बच्चे के मोबाइल में इनस्टॉल कर सकते हैं, जिसके बाद आप अपने बच्चे के फोन को पूरी तरह कंट्रोल कर सकेंगे.
ये ऐप एक डिवाइस मैनेजर की तरह काम करते हैं, जो ऐसे इंटरनेट कंटेंट को ब्लॉक करने में मदद करेगा, जो आप नहीं चाहते कि आपका बच्चा देखे. इनमें से कुछ ऐप आपको यह भी सुविधा देते हैं कि आप कॉन्टेक्ट लिस्ट भी मनमाफिक सेट कर सकते हैं.
बच्चों के अनुशासन में भी करे मदद
ये ऐप बच्चों को उनके अनुशासन में भी मदद करता है, क्योंकि ज्यादातर बच्चे इंटरनेट के आदी होते जा रहे हैं. ऐसे में इन ऐप के जरिए एक निर्धारित वक्त पर फोन में सेट किया जा सकता है कि बच्चे कितना वक्त इंटरनेट यूज करें.
इन ऐप में ऐसे फीचर भी होते हैं, जो बच्चे की लोकेशन ट्रेस कर आपको यह इन्फॉर्मेशन देता है कि आपका बच्चा कहां है. जियो-फेंसिंग टूल के जरिए आप यह भी निर्धारित कर सकते हैं कि आपका बच्चा उस दायरे से बाहर न जाए, जो आपने तय किया है. इन ऐप में पासवर्ड होता है, जो आसानी से अनइंस्टॉल नहीं किया जा सकता.
कुछ पेरेंटल ऐप SOS फैसिलिटी के साथ भी आते हैं, जिन्हें बच्चे इमरजेंसी के वक्त यूज कर सकते हैं. एक बटन दबाते ही पहले से निर्धारित नंबर पर एसएमएस पहुंच जाएगा.
लैपटॉप के लिए पेरेंटल ऐप
बच्चे जिस लैपटॉप या डेस्कटॉप यूज करते हैं, यह बहुत जरूरी है कि उन सिस्टम में मॉनिटरिंग सॉफ्टवेयर हो. बहुत सी एंटी वायरस कंपनी ‘नेट नैनी’ जैसी एप्लीकेशन बनाती हैं, जिनसे आपत्तिजनक कंटेंट को बंद किया जा सकता है.
कैस्परस्काई, मैककैफी, नॉर्टन जैसे कई एंटी वायरस सॉफ्टवेयर हैं, जो सिस्टम को मॉनिटर करने में मदद करते हैं. यह सॉफ्टवेयर आपत्तिजनक कंटेंट को ब्लॉक करते हैं और सिस्टम को नुकसान पहुंचाने वाले वायरस को रोकते हैं.
माइक्रोसॉफ्ट फैमली सेफ्टी
हालांकि, माइक्रोसॉफ्ट फैमली सेफ्टी, जैसे सॉफ्टवेयर (जो आपके माइक्रोसॉफ्ट अकाउंट का एक हिस्सा है), आपको विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम एक्सेस करने की पूरी परमिशन देते हैं. यह विंडोज 10 के साथ सबसे अच्छा काम करता है. आपको अपने बच्चे के लिए लैपटॉप या डेस्कटॉप पीसी पर एक अलग लॉगिन सेट करना होगा. इसके जरिए आप अपने बच्चों के लिए एक निर्धारित वक्त तय कर सकते हैं कि वो कितना वक्त सिस्टम यूज करे.
हालांकि, इस बात की पुष्टि नहीं की जा सकती कि ये ऐप किस हद तक कारगर होंगे, क्योकिं आज के जमाने में बच्चे इतने स्मार्ट हैं कि उन्हें ऐसे सॉफ्टवयर को अनइंस्टॉल करना भलीभांति आता है.
यह एक ऐसा निर्णय होना चाहिए, जो आप अपने बच्चों के साथ मिलकर ले सकते हैं. बच्चों को सॉफ्टवेयर से जुड़ी सुरक्षा के बारे में समझाया जा सकता है. यह भी याद रहे कि यह सॉफ्टवेयर बच्चों की सेफ्टी के लिए यूज होने चाहिए, न कि उनकी आजादी रोकने के लिए.
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