एंटी इंडिया यानी भारत विरोधी ताकतों द्वारा प्रोपेगेंडा फैलाने के लिए ट्विटर (Twitter) का दुरूपयोग किया जा रहा है. ये बातें केंद्र सरकार ने कर्नाटक हाई कोर्ट में कही है. दरअसल, केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MEITY) ने कई ट्वीटर हैंडल को लेकर ब्लॉकिंग ऑर्डर जारी किया था, जिसे ट्विटर ने कर्नाटक हाई कोर्ट में चुनौती दी है. इसी याचिका का विरोध करते हुए केंद्र सरकार ने अदालत में अपना जवाब दाखिल किया है.
केंद्र सरकार ने हाई कोर्ट को बताया कि ट्विटर जैसे प्लेटफॉर्म भारत विरोधी और विदेशी ताकतों द्वारा राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर भारत के खिलाफ प्रचार कर रहे हैं.
केंद्र की ओर से दायर हलफनामे में कहा गया है कि कुछ ट्विटर अकाउंट को ब्लॉक करने के निर्देश राष्ट्र और जनहित में और लिंचिंग और भीड़ की हिंसा की घटनाओं को रोकने के लिए जारी किए गए थे. सरकार ने इस बात पर जोर दिया कि वह अपने नागरिकों को एक ओपन, सुरक्षित, भरोसेमंद और जवाबदेह इंटरनेट प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है, और सूचना को रोकने की उसकी शक्तियों का दायरा सीमित है.
हलफनामे में कहा गया है,
"इसलिए जारी किए गए ऐसे निर्देश राष्ट्रीय और सार्वजनिक हित में हैं, ताकि देश में किसी भी तरह के खतरे या सार्वजनिक व्यवस्था के मुद्दों या देश भर में हिंसा को रोका जा सके, जिसमें लिंचिंग या भीड़ की हिंसा की घटनाएं भी शामिल हैं."
हलफनामे में यह भी कहा गया है कि ट्विटर जैसे प्लेटफॉर्म फर्जी खबरों या जानबूझकर गलत सूचना के प्रसार को रोकने के लिए प्रभावी कदम नहीं उठा रहे हैं. आगे लिखा है, "संप्रभुता और अखंडता, राष्ट्रीय सुरक्षा या सार्वजनिक व्यवस्था से जुड़े मुद्दों पर गलत सूचना बढ़ रही है."
सरकार ने तर्क दिया है कि प्रारंभिक चरण में ऐसी गलत सूचनाओं का पता लगाना और उन्हें रोकना जरूरी है.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, माइक्रो ब्लॉगिंग कंपनी ट्विटर (Twitter) ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से सामग्री को हटाने को लेकर भारत सरकार के कुछ आदेशों को कानूनी चुनौती दी है. केंद्र सरकार ने ये हलफनामा ट्विटर की उस याचिका के जवाब में दायर किया है जिसमें सरकार द्वारा फरवरी 2021 और फरवरी 2022 के बीच करीब दस ब्लॉकिंग ऑर्डर निकाले गए थे, ऑर्डर में ट्विटर से कई अकाउंट और ट्वीट को हटाने का आदेश दिया गया था. ये आदेश नए आईटी एक्ट के तहत दिया गया था. इन ऑर्डर के खिलाफ ट्विटर ने कर्नाटक हाईकोर्ट में याचिका दायर की.
हाई कोर्ट में दायर अपनी याचिका में, ट्विटर ने कहा कि अकाउंट लेवल ब्लॉकिंग एक गलत तरीका है और संविधान के तहत यूजर्स के अधिकारों का उल्लंघन करता है. हाई कोर्ट ने 26 जुलाई, 2022 को याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा था.
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