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UP:मुख्तार के बेटे से लेकर दारा सिंह चौहान तक,मऊ में BJP के लिए कौन बड़ी चुनौती?

UP election: क्या मऊ सदर विधानसभा सीट से मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी अपने पिता की सियासी विरासत बचा पाएंगे?

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उत्तर प्रदेश चुनाव 2022 के 7वें और आखिरी चरण का मतदान सोमवार को होगा. मऊ सहित 9 जिलों की 54 सीटों पर वोटिंग होगी. मऊ जिले की 4 विधानसभा सीट, मधुबन (Madhuban), घोसी (Ghosi), मुहम्मदाबाद गोहना (Mohammadabad Gohna), मऊ सदर (Mau Sadar) में भी वोट डाले जाएंगे. 2017 में बीजेपी ने यहां की तीन सीटों पर कब्जा जमाया था, तो मऊ सदर पर मुख्तार अंसारी को जीत मिली थी. चलिए समझने की कोशिश करते हैं कि मऊ में इस बार किस ओर हवा बह रही है. क्या है वहां का जातीय समीकरण?

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मऊ सदर: क्या अब्बास संभाल पाएंगे पिता मुख्तार की विरासत ?

7वें चरण में मऊ सदर विधानसभा हॉट सीट में से एक है. ढाई दशक से इस सीट पर बाहुबली मुख्तार अंसारी का कब्जा रहा है. जेल में रहते हुए भी मुख्तार अंसारी ने इस सीट पर जीत हासिल की है.

इस चुनाव में मामला कुछ अलग है. मुख्तार अंसारी खुद चुनाव नहीं लड़ रहे हैं. उन्होंने अपने बेटे अब्बास अंसारी को मैदान में उतारा है. अब्बास सपा और सुभासपा गठबंधन के उम्मीदवार हैं. तो वहीं बीजेपी अकेले ही चुनावी मैदान में है. बीजेपी की ओर से मुख्तार के कट्टर विरोधी अशोक सिंह ताल ठोक रहे हैं. बीएसपी ने भीम राजभर और कांग्रेस ने माधवेंद्र सिंह को प्रत्याशी बनाया है.

मऊ सदर से मुख्तार अंसारी 5 बार से विधायक हैं. 2017, 2012, 2007, 2002, 1996 में जीत हासिल की. जेल में बंद रहते हुए मुख्तार ने चुनाव जीते. 2017 में मुख्तार को महेंद्र राजभर ने कड़ी टक्कर दी थी. कड़े मुकाबले में मुख्तार 8,698 वोट से जीते.
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मऊ सदर में मुस्लिम वोटर की संख्या ज्यादा

मऊ में मुस्लिम और अनुसूचित जाति के वोटर ज्यादा संख्या में हैं. आमतौर पर यादव-मुस्लिम वोटरों को एसपी का कोर वोटर माना जाता है. वहीं अनुसूचित जाति के वोटर बंट जाते हैं. तो क्षत्रिय वोट बीजेपी के पाले में जाते दिखे हैं. मऊ में करीब 1.15 लाख मुस्लिम वोटर हैं. 1.20 लाख अनुसूचित जाती के वोटर हैं. यादव वोटर्स की संख्या 45 हजार हजार है तो चौहान 40 हजार हैं. भूमिहार 5 हजार और ब्राह्मण 18 हजार हैं.

मऊ सदर में मतदाताओं की संख्या

कुल मतदाता- 4,77,298

पुरुष- 2,51,781

महिला- 2,25,487

थर्ड जेंडर- 30

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मधुबन विधानसभा सीट पर दिलचस्प लड़ाई

मऊ जिले की मधुबन विधानसभा सीट पर तगड़ी नाकेबंदी से चतुष्कोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है. इस बार भी बीजेपी को एसपी, बीएसपी और कांग्रेस के चक्रव्यूह को तोड़ने की चुनौती है. सभी पार्टियां अपना-अपना जोर लगाए हुए है.

पिछली बार बीजेपी से चुनाव जीतने वाले दारा सिंह चौहान ने इस बार सीट के साथ पार्टी भी बदल ली है. वे अब साइकिल पर सवार होकर घोसी चले गए हैं. वहीं, तीसरी बार विधायक बनने के लिए उमेश पांडेय एसपी तो अमरेश चंद्र पांडेय कांग्रेस से भाग्य आजमा रहे हैं. बीजेपी ने यहां से नए चेहरे रामविलास चौहान को तो बीएसपी ने नीलम कुशवाहा को मैदान में उतारा है.

2017 में बीजेपी को पहली बार जीत मिली थी. दारा सिंह ने करीब 20 हजार वोटों के अंतर से कांग्रेस के अमरेश चंद को हराया था. दारा सिंह को 86 हजार 238 वोट मिले थे तो वहीं अमरेश चंद को 56 हजार 823 वोट मिले थे.
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मधुबन में किसके हाथ में सत्ता की चाबी ?

इस सीट पर सबसे ज्यादा एससी और यादव वोटर हैं. 70 हजार SC और 60 हजार यादव वोटर चुनाव का रूख तय करते हैं. इसके अलावा 25 हजार राजभर, 24 हजार चौहान, 16 हजार ब्राह्मण वोट हैं. वहीं 22 हजार मुस्लिम वोटर्स भी हैं.

मधुबन में मतदाताओं की संख्या

कुल मतदाता- 3,92,392

पुरुष- 2,10,818

महिला- 1,81,534

थर्ड जेंडर- 41

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मुहम्मदाबाद गोहना: जिस पार्टी का विधायक, उस पार्टी की सरकार

मऊ जिले की इस सीट पर बीजेपी, एसपी और बीएसपी में त्रिकोणीय मुकाबला है. यहां की जनता ने किसी भी नेता को लगातार दो बार जिताकर विधानसभा नहीं भेजा है. पिछले 30 साल से बीजेपी, बीएसपी और एसपी के बीच वर्चस्‍व की लड़ाई चल रही है. 1991 से यह भी संयोग चला आ रह है कि इस सीट पर जिस पार्टी का विधायक बनता है, सरकार भी उसी पार्टी की बनती है.

मुहम्मदाबाद-गोहना सीट से फिलहाल बीजेपी के श्रीराम सोनकर विधायक हैं. उन्होंने पिछले चुनाव में बीएसपी के उम्मीदवार राजेंद्र कुमार मात्र 538 वोटों से हराया था. इस बार भी पार्टी ने उन पर भरोसा जताया था लेकिन आखिरी वक्त में उनका टिकट काटकर पूनम सरोज को दे दिया गया. समाजवादी पार्टी ने फिर राजेंद्र कुमार पर भरोसा जताया है तो बीएसपी ने धर्म सिंह गौतम और कांग्रेस ने बनवारी लाल को मैदान में उतारा है.

मुहम्मदाबाद गोहना विधानसभा सीट पर एसपी, बीजेपी और बीएसपी तीनों को यहां की जनता का आशीर्वाद मिला है. पिछले 8 विधानसभा चुनाव में 3 बार बीजेपी, 3 बार बीएसपी और 2 बार एसपी ने जीत हासिल की है. 2017 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर बीजेपी ने जीत दर्ज की.
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क्या है वोटों का समीकरण ?

अनुसूचित जाति और ओबीसी मतदाता बहुल इस विधानसभा क्षेत्र में वोटरों की संख्या देखें तो एक लाख से ज्यादा एससी वोटर, 58 हजार से ज्यादा यादव, 56 हजार से ज्यादा मुस्लिम, 31 हजार चौहान और 24 हजार से ज्यादा राजभर वोटर हैं. आमतौर पर यहां बीजेपी, बीएसपी और सपा में त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलता है.

मुहम्मदा गोहना में मतदाताओं की संख्या

कुल मतदाता- 3,78,685

पुरुष- 201241

महिला- 1,77,434

थर्ड जेंडर- 8

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घोसी विधानसभा सीट: क्या फिर खिलेगा कमल ?

घोसी विधानसभा सीट पर बीजेपी का कब्जा है. 2017 में फागू चौहान ने इस सीट से रिकॉर्ड छठी बार जीत हासिल की. इसके बाद उन्हें बिहार का राज्यपाल बना दिया गया. फागू चौहान के इस्तीफे से खाली हुई सीट पर 2019 में उपचुनाव हुआ. उपचुनाव में बीजेपी के विजय कुमार राजभर जीते. इस बार भी बीजेपी ने अपने विधायक विजय राजभर पर भरोसा किया है. एसपी ने यहां से निवर्तमान वन मंत्री दारासिंह चौहान, बीएसपी ने वसीम इकबाल और कांग्रेस ने प्रियंका यादव को मैदान में उतारा है.

मऊ जिले की घोसी विधानसभा सीट से फागू चौहान ने रिकॉर्ड 6 बार जीत हासिल की है. 1985 से उनका इस सीट पर एकक्षत्र राज रहा. इस विधानसभा सीट से 1985 में लोक दल, 1991 में जनता दल, 1996 और 2002, 2017 में बीजेपी, 2007 में बीएसपी के टिकट पर फागू चौहान विधानसभा चुनाव जीते.
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क्या है वोटों का गणित ?

घोसी विधानसभा क्षेत्र में 4 लाख से अधिक वोटर्स हैं. इस विधानसभा क्षेत्र में अनुसूचित जाति के मतदाता सबसे अधिक हैं. घोसी विधानसभा सीट का चुनाव परिणाम तय करने में राजभर, चौहान के साथ ही मुस्लिम मतदाता भी निर्णायक भूमिका निभाते हैं. यहां सामान्य वर्ग के मतदाता भी अच्छी तादाद में हैं.

घोसी में मतदाताओं की संख्या

कुल मतदाता- 4,36,763

पुरुष- 2,34,126

महिला- 2,02,639

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