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उत्तराखंड चुनाव: पलायन की दर्दनाक कहानी, शहीद CDS रावत के गांव की जुबानी

पौड़ी जिले के इस गांव की जनसंख्या 31 से घटकर मात्र पांच रह गई है.

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वीडियो एडिटर: राजबीर सिंह

"मैंने भी यहां से बाहर निकलने का सोचा था. लेकिन मेरे भतीजे, जनरल बिपिन रावत ने मुझे यहीं रुकने के लिए मना लिया."

ये कहना है उत्तराखंड के सैण गांव में रहने वाले भरत सिंह रावत का.

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उत्तराखंड के बहादुर बेटे, शहीद CDS जनरल बिपिन रावत (General Bipin Rawat) की जन्मस्थली सैण गांव वीरान होने की चुनौती झेल रहा है. यहां से सबसे नजदीकी सड़क भी 15 से 20 मिनट की दूरी पर है. इस गांव में नौकरी न होना भी पलायन के पीछे एक बड़ा कारण है. इसका बड़ा परिणाम ये है कि अब पौड़ी जिले के इस गांव की जनसंख्या 31 से घटकर मात्र पांच रह गई है.

"पहले यहां परिवार खेती करते थे और भेड़-बकरी पालते थे. लेकिन धीरे-धीरे लोग पलायन करने लगे. यहां अच्छे स्कूल और आसपास अस्पताल नहीं थे. अभी भी नहीं हैं."
भरत सिंह रावत, शहीद CDS जनरल बिपिन रावत के चाचा
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उत्तराखंड में सैण इकलौता गांव नहीं है जहां से लोग पलायन कर गए हैं. पिछले दस सालों में इस राज्य से पांच लाख लोग पलायन कर चुके हैं. इस कारण उत्तराखंड में करीब 700 गांव भूतिया बन गए हैं, जहां कोई नहीं रहता.

पौड़ी जिले के इस गांव की जनसंख्या 31 से घटकर मात्र पांच रह गई है.

सैण का इकलौता आबाद घर, जहां दिवंगत CDS के चाचा भरत सिंह रावत रहते हैं

(फोटो: क्विंट हिंदी)

भरत रावत की बहू, कुसुम लता रावत ने बताया कि स्वास्थ्य सेवा के नाम पर पांच किलोमीटर दूर एक सरकारी अस्पताल है. उन्होंने कहा, "एक दूसरा अस्पताल 15 किलोमीटर दूर है. यहां बेसिक स्वास्थ्य सुविधाएं मिलती हैं. यहां स्कूल के भी ज्यादा ऑप्शन नहीं है."

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शहीद CDS रावत ने सैण में पक्की सड़क को लेकर उत्तराखंड सरकार को कई लेटर लिखे थे. रिटायरमेंट के बाद बिपिन रावत यहीं बसना चाहते थे.

9 दिसंबर 2021 को तमिलनाडु के नीलगिरी में हेलिकॉप्टर क्रैश में CDS बिपिन रावत, उनकी पत्नी और सेना के कई अधिकारी शहीद हो गए.

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