माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी,
हमे पता हैं कि आपने कालाधन निकालने के लिए 500 और 1000 रुपये के नोट बन्द कर दिए हैं. अच्छी पहल है, लेकिन क्या आपने सोचा है कि इससे हम गरीबों और मजदूरों का क्या होगा? इतने दिन हो गए, इस योजना से कालाधन तो वापस आया ही नहीं.
हमारे मालिकों ने हम जैसे मजदूरों को एडवांस दे दिया. हम जैसे मजदूरों ने अपने काम से 3-4 दिनों कि छुट्टी ले ली और रुपये बदलवाने के लिए लग गए बैंकों की लाइन में. हमें काफी दिक्कत का सामना करना पड़ा. लेकिन जिनके पास कालाधन है वो तो बच गये. चारों तरफ से हम जैसे मजदूरों और गरीबों का ही नुकसान हुआ है.
आपकी इस योजना से हमें इन समस्याओं का सामना करना पड़ता है:
- बैकों की लंबी लाइनें
- 2000 रु के नोट का छुट्टा न होना
- काम से छुट्टी
- सामान न खरीद पाना
इसलिए मेरा विचार यह है कि किसी भी योजना को चालू करें, तो कृपया गरीबों की भी सोच लें, न कि सिर्फ अमीरों की. देश का भला करो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी, मुझे विश्वास है आप मेरी बातों पर गौर करेंगे.
धन्यवाद.
आपका प्रिय
आशीष कुमार
(ये खत निजी है और इसमें लेखक के अपने विचार हैं. इन विचारों से क्विंट की सहमति जरूरी नहीं है.)
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