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चिकनकारी वर्करों का भविष्य खतरे में, नोटबंदी ने तोड़ी कमर

नोटबंदी के कारण चिकनकारी वर्करों को अपने पैसे समय से नहीं मिल रहे. 

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लखनऊ की चिकनकारी कला खतरे में है. इससे जुड़े वर्कर पर दोहरी मार पड़ रही है. एक तरफ चाइनीज मशीनें आ जाने से इस कला की मुश्किलें कम ना थीं कि नोटबंदी ने चिकनकारी वर्करों की कमर और तोड़ दी.

द क्विंट के लिए किए गए इंयरव्यू में बरखा दत्त ने चिकनकारी वर्करों से उनकी हालत के बारे में बात की. SEWA की सीईओ रूना बनर्जी ने बताया कि नोटबंदी के बाद बिक्री ना के बराबर रह गई है. जिस कारण वर्करों को सैलेरी नहीं दे पा रही हैं.

रूना बनर्जी ने 1984 में 31 महिलाओं के साथ संस्था SEWA की शुरूआत की थी. अब इसमें करीब 4 लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है.

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