वीडियो एडिटर: वीरू कृष्ण मोहन
देसराज ज्योत सिंह अपने परिवार को 'असली घर' देने के लिए खुद 24 साल से ऑटो को ही अपना घर बनाकर रह रहे हैं. देसराज पिछले 35 साल से ऑटो चला रहे हैं और उनका कहना है कि उन्हें ऑटो में रहने में कोई दिक्कत नहीं होती. वजह?
मुंबई में देसराज को एक घर में रहने के लिए हर महीने किराए के लिए 2000-3000 रुपये देने होंगे. उनका मानना है कि वो ये पैसे बचाकर अपने नातियों के लिए रखना चाहते हैं ताकि उन्हें अच्छी शिक्षा मिल सके.
देसराज के 4 बच्चे थे, 3 लड़के और एक लड़की. उनके सबसे बड़े बेटे की मौत 2016 में हो गई और उसके दो साल बाद उन्होंने अपने दूसरे बेटे को भी खो दिया. देसराज के पास शोक मानाने का भी वक्त नहीं था क्योंकि उन्हें अपने परिवार का पेट पालना था वो भी अकेले. अगले ही दिन वो फिर काम के लिए निकल गए और इस सोच के साथ निकले कि जो भी कमाएंगे वो परिवार के हर सदस्य में बराबर बांटा जाएगा. देसराज के सबसे छोटे बेटे एक सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करते थे लेकिन लॉकडाउन के चलते उनकी नौकरी चली गई.
मेरा दिल भारी हो जाता है जब में उन दिनों के बारे में सोचता हूं, वो दोनों बहुत तंदरुस्त थे, जब भी मैं उनके बारे में सोचता हूं उदास हो जाता हूं. लेकिन इन सब के बावजूद मैंने काम करना बंद नहीं किया, मैं अपने परिवार के लिए हर कोशिश करता हूं ताकि उन्हें ये न लगे कि वो अकेले हैं. मैं अब भी कम करता हूं, खाली नहीं बैठता.देसराज ज्योत सिंह, ऑटो चालक
देसराज का मानना है कि वो एक दिन की भी छुट्टी नहीं ले सकते क्योंकि उनके परिवार की आर्थिक हालत उतनी अच्छी नहीं है और उनके परिवार को उनकी सबसे ज्यादा जरूरत है. जितना भी देसराज कमाते हैं उसमे से अपने खर्च के लिए वो न के बराबर ही पैसे रखते हैं. बाकी बचे पैसे अपने परिवार को देते हैं.
देसराज कहते हैं-
‘मेरी नातिन अभी 10वीं कक्षा में है और वो आगे भी पढ़ेगी. मैं चाहता हूं कि वो B.Ed करे, जब उसका B.Ed पूरा हो जाएगा तब वो एक शिक्षक बन जाएगी और अपने पैरों पर खड़ी हो सकेगी. मैं बस यही चाहता हूं, यही मेरी इच्छा है. मैं नहीं चाहता कि मेरे नाती मेरे बच्चे वो जिंदगी जिएं . जब तक मैं काम करने के लायक हूं मैं तब तक काम करूंगा.’
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