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सतनाम कहते थे - ‘25 साल सेना ने ख्याल रखा, ड्यूटी सबसे ऊपर’

“वो हमेशा फोन करते थे लेकिन हमें कभी नहीं बताया कि सीमा पर क्या हो रहा है”: सतनाम सिंह की पत्नी

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वीडियो एडिटर: प्रशांत चौहान

वीडियो प्रोड्यूसर: ज़िजाह शेरवानी

41 साल के नायब सूबेदार सतनाम सिंह गलवान घाटी में चीन से हुई झड़प में शहीद हो गए. वो पंजाब के गुरदासपुर के भोजराज गांव के रहने वाले थे.

नायब सूबेदार सतनाम सिंह के बेटे प्रभजोत सिंह बताते हैं कि 30 मई को उनका आखिरी मैसेज आया था.

उनकी सैलरी आई और उन्होंने मेरे अकाउंट में पैसे भेजे. मेरे पिता मुझे हर महीने जेब खर्च देते थे. इस बार जब उन्हें ड्यूटी पर वापस बुलाया गया. मैंने उनसे पूछा था कि वो थोड़ा और रुक जाए या ट्रिप कैंसिल कर दें. उन्होंने कहा कि आर्मी ने उनका 25 साल खयाल रखा है और अगर आर्मी को उनकी जरूरत पड़ती है तो वो जरूर जाएंगे क्योंकि ड्यूटी पहले आती है
प्रभजोत सिंह, नायब सूबेदार सतनाम सिंह के बेटे

'शहीद सतनाम सिंह अमर रहे' के गूंजते नारों के बीच शहीद सतनाम सिंह की 65 साल की मां ने अपनी पोती के साथ बेटे के पार्थिव शरीर को कंधा दिया था.

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उनकी पत्नी बताती हैं कि उन्होंने और बच्चों ने 30 मई को उनसे आधे घंटे तक बात की थी. उन्होंने कहा कि वो बॉर्डर पर जा रहे हैं. उन्होंने ये भी बताया था कि वहां नेटवर्क (मोबाइल का) नहीं होगा.

उन्होंने हमसे कहा कि हम चिंता न करें. वो बात करने के लिए STD का इस्तेमाल करेंगे. वो हमें हमेशा कॉल करते थे लेकिन कभी नहीं बताते थे कि बॉर्डर पर चल क्या रहा है. हमने उनसे 15 जून को भी बात की. तब भी उन्होंने हमसे स्थिति के बारे में नहीं बात की.
जसविंदर कौर,नायब सूबेदार सतनाम सिंह की पत्नी

सतनाम सिंह ने 25 साल सेना में सेवाएं दीं. उनके सेना में शामिल होने के एक साल बाद उनके भाई सेना में शमिल हुए. अपने छोटे भाई से वो डेढ़ साल बड़े थे. उनके छोटे भाई बताते हैं कि उन्होंने अपने आप को पूरा इस नौकरी में झोंक दिया और आजीवन देश की सेवा करने का निर्णय लिया था.

जब भी घर में दिक्कत होती थी वो सबसे पहले मुझे कॉल करते थे और मेरे बारे में पूछते थे ‘तू कैसा है? कोई तकलीफ?’ हम एक ही स्कूल गए और साथ ही बड़े हुए. जब मैं 10वीं में था, वो 12वीं में थे उसके बाद वो आर्मी में चले गए. 9वीं और 10वीं तक हम साथ साइकिल पर स्कूल जाते थे. अगर कभी वो लेट होते थे तो मैं उनका स्कूल के बाहर इंतजार करता था और वो भी ऐसा ही करते थे. हमने अपना बचपन साथ में बड़े अच्छे से गुजारा. बहुत अच्छी यादें हैं.
सूबेदार सुखचैन सिंह, नायब सूबेदार सतनाम सिंह के भाई

सिंह के बच्चे अपने 'बापू जान' की सिखाई बातों को याद करते हैं. प्रभजोत बताते हैं कि वो मुझे हमेशा समझाते थे कि मैं गलत लोगों के साथ न रहूं. अगर मैं कभी बैठ भी गया तो उनकी बातें कभी न सुनूं.

सतनाम सिंह की बेटी संदीप कौर कहती हैं कि वो बहुत प्रेरणादायक इंसान थे. वो कहते थे कि हमें सबसे पहले अच्छा इंसान बनना चाहिए और अच्छे से पढ़ना चाहिए. आत्मनिर्भर बन कर जिंदगी में कुछ करना चाहिए.

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