वीडियो एडिटर: आशुतोष भारद्वाज
केंद्र सरकार ने आर्टिकल 370 को हटाने का संकल्प पेश कर दिया. जम्मू-कश्मीर को दो हिस्सों में बांटने का फैसला लिया गया है. जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक लागू होने के बाद जम्मू-कश्मीर एक केंद्र शासित प्रदेश रहेगा, वहीं लद्दाख दूसरा केंद्र शासित प्रदेश होगा. केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में विधानसभा होगी, लेकिन लद्दाख में विधानसभा नहीं होगी.
बेशक, नरेंद्र मोदी सरकार ने एक बड़ा एतिहासिक फैसला लिया है. अनुच्छेद 370 ‘बेअसर’ तो कर दिया गया, हालांकि कानून की किताब में ये बरकरार है. दिल्ली और पुडुच्चेरी की तरह जम्मू कश्मीर भी अब सीमित अधिकारों वाला राज्य होगा.
आने वाले दिनों में ये राजनीतिक विवाद का मुद्दा तो बनेगा ही, साथ ही सुप्रीम कोर्ट में भी इसे चुनौती मिल सकती है. गुलाम नबी आजाद और पी. चिदंबरम सरीखे विपक्षी नेताओं ने कहा है कि संविधान की धज्जियां उड़ा दी गई हैं. उन प्रवाधानों का पालन नहीं किया गया है, जिसके तहत कश्मीर भारत का हिस्सा बना हुआ है.
चूंकि, जम्मू -कश्मीर में फिलहाल राज्य सरकार नहीं है, ऐसे में मान लिया गया है कि राज्यपाल की राय ही जनता की राय है.
इस फैसले को लेकर जो प्रक्रिया अपनाई गई, आलोचक इस पूरी प्रक्रिया पर सवाल उठा रहे हैं.
इससे पहले जम्मू-कश्मीर में फौज का अंबार लगाया गया, इंटरनेट बंद कर दिया गया, धारा 144 लगा दी गई और उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती जैसे बड़े नेताओं को नजरबंद कर दिया गया.
क्या इसका कोई इंटरनेशनल पक्ष भी है?
इसे समझते हैं.
अफगानिस्तान से अमेरिका बाहर निकलना चाहता है ऐसे में इसे पाकिस्तान की जरूरत है. पाकिस्तान अपनी वैधता बढ़ाना चाहता है. इसे रोकने के लिए भारत को एक स्ट्रैटजिक मूव की जरूरत थी ताकि पाकिस्तान कोई सेंटर स्टेज न ले ले. कश्मीर मसले पर आज तक भारत पाकिस्तान से बात कर किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाया है. तो अब पाकिस्तान से कोई बातचीत करेंगे नहीं, इसलिए भारत ने पाकिस्तान को इस मुद्दे पर डिफेंसिव में डाल दिया है.
सबसे बड़ी पहेली है कि कश्मीर की जनता इस पर क्या राय रखती है? इसकी कोई जानकारी नहीं है. भारत जैसे लोकतंत्र में ये कश्मीरियों की सहमति उनकी राय के साथ, संविधान को फॉलो करते हुए होना चाहिए था.
बीजेपी ने संख्याबल का बखूबी इस्तेमाल कर इसे पेश कर दिया. वादे पर खरी उतर गई. अब इंतजार रहेगा कि पीएम नरेंद्र मोदी आगे इसपर क्या कहते हैं. पीएम मोदी कह सकते हैं कि यहां के लोगों के साथ अन्याय होता रहा है. कुछ राजनीतिक खानदान के एजेंडे की वजह से कश्मीर के लोग गुमराह हो गए हैं. हम उन्हें मौका देंगे, कारोबार के रास्ते खोलेंगे. विकास की पहुंच बढ़ाएंगे. अगर वो ऐसा कर पाएं और कश्मीरी जनता का दिल जीत पाएं तो सारी आलोचना बेमानी हो जाएगी.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भी नजर रखनी होगी. हम एक घुमावदार राजनीति में चले गए हैं.
कश्मीर अभी भी नाजुक मुद्दा बना हुआ है. ये जनमत के साथ ‘धमक वाला फैसला’ है. आगे देखना होगा कि मोदी सरकार इस राजनीतिक चुनौती से कैसे पार पाती है.
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