भारत के 5 राज्यों उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में विधानसभा की कुल 690 सीटों पर चुनाव के लिए आयोग ने तारीखों का ऐलान कर दिया. इन राज्यों में विधानसभा चुनाव 7 चरणों में होंगे और नतीजे 10 मार्च को आएंगे.
लेकिन तारीखों के ऐलान के साथ चुनाव आयोग (Election Commission) के सामने ये चुनौती भी है कि तेजी से बढ़ते कोरोना मामलों के साथ किस तरह से सुरक्षित चुनाव करवाएं जाए. इस चुनौता से निपटने के लिए चुनाव आयोग ने कई बड़े फैसले किए. हम आपको बताते हैं कि वो फैसले क्या हैं.
कोरोना की विस्फोटक गति को देखते हुए इलेक्शन कमीशन ने जो सबसे बड़ा फैसला लिया वो है चुनावी रैलियों पर रोक. भारत के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि चुनाव से पहले रैलियों पर ही रोक लग गई हो.
चुनाव आयोग ने अपने फैसले में रैलियों के अलावा रोड शो, साइकिल रैली, बाइक रैली और नुक्कड़ सभाओं पर भी रोक लगा दी. हर प्रकार की फिजिकल जनसभा पर 15 जनवरी तक रोक रहेगी. इसके बाद आयोग स्थिति की समीक्षा करेगा.
चुनावों में शामिल हर कर्मचारी और अधिकारी को कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लगा होना जरूरी है. सभी पार्टियों से वर्चुअल सभाएं करने का आग्रह किया गया है. हर पोलिंग स्टेशन और बूथ पर मास्क, सैनिटाइजर और थर्मल स्क्रीनिंग की व्यवस्था की जाएगी. इस बार कोविड प्रभावित मरीजों के लिए भी पोस्टल बैलेट की सुविधा.
इसके अलावा चुनाव आयोग की गाईडलाइन में कहा गया है कि हर पोलिंग स्टेशन को वोटिंग से पहले पूरी तरह सैनिटाइज किया जाएगा. पोलिंग स्टेशन की संख्या भी इस बार पहले की अपेक्षा कुल 16 प्रतिशत ज्यादा होगी.
हालांकि रैलियों पर रोक है लेकिन राजनैतिक पार्टियां प्रचार करना चाहे तो 5 लोग घर-घर जाकर चुनाव प्रचार कर सकते हैं. उम्मीदवारों के पास इस बार ऑनलाइन नामांकन भरने की सुविधा भी होगी. इसके अलावा चुनाव से जुड़े अधिकारियों और कर्मचारियों को फ्रंटलाइन वर्कर की कैटेगरी में माना जाएगा.
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