वीडियो एडिटर: विशाल कुमार
“ये मायने नहीं रखता है कि क्या फैसला आता है, चाहे वो हिंदुओं या मुसलमानों के पक्ष में आए. युवा पीढ़ी नौकरी और विकास चाहती है. ”
अयोध्या के केएस साकेत पीजी कॉलेज में लॉ स्टूडेंट अंसारी दिवाली की पूर्व संध्या पर राम की पैड़ी घाट पर खड़े होकर मिट्टी के दीये में तेल डालते हुए हमसे कहते हैं. 27 साल से सुर्खियों में रहे उत्तर प्रदेश के इस शहर में बड़े हुए, अंसारी ने अक्सर लोगों को "उस मुद्दे पर चर्चा करते हुए सुना है जिसपर देशव्यापी बहस छिड़ गई है."
अयोध्या के रामजन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद की सुनवाई करने वाली 5 सदस्यीय संवैधानिक बेंच ने इस पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. इस बेंच की अध्यक्षता चीफ जस्टिस रंजन गोगोई कर रहे हैं. गोगोई अगले महीने 18 नवंबर को रिटायर होने वाले हैं, ऐसे में माना जा रहा है कि उससे पहले इस मामले में फैसला आ सकता है.
लेकिन अयोध्या की नई पीढ़ी 'मंदिर-मस्जिद ’की बहस से आगे बढ़ना चाहती है और नौकरियों और विकास की चाहत रखती है.
“जब भी लोग अयोध्या के बारे में बात करते हैं, ये हमेशा मंदिर या मस्जिद के बारे में होता है. कम से कम अगर सुप्रीम कोर्ट का फैसला जल्द ही आता है, तो लोग इस बारे में बहस करना बंद कर देंगे और विकास पर ध्यान केंद्रित करना शुरू कर देंगे.” वीरेन प्रताप कहते हैं.
उनके साथ ही खड़े अंसारी कहते हैं कि 'गंगा-यमुना' तहजीब इस शहर में जिंदा है.
वीरेन और अंसारी दिवाली पर करीब 6 लाख दीये जलाने के विश्व रिकॉर्ड बनाने के कार्यक्रम में शामिल होने आए थे.
इसी शहर के दूसरे हिस्से राम कथा पार्क में 19 साल के आर्यन सिंह यूपी मुख्यमंत्री के इस खास कार्यक्रम की तैयारी कर रहे थे.
“मैं फैजाबाद में इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नलॉजी से इंजीनियरिंग कर रहा हूं. फोर्थ ईयर के बाद मुझे बाहर जाना है क्योंकि यहां कोई नौकरी नहीं है. कोई इंजीनियरिंग कंपनी नहीं है इसलिए यहां कोई प्लेसमेंट नहीं होता है.”आर्यन सिंह
अयोध्या के ही एक हिस्से में हम मिले रमेश पांडे के 5 साल के पोते अथर से. रमेश 1992 में बाबरी विध्वंस के दौरान पुलिस फायरिंग में मारे गए थे. अथर को राम कथा याद है लेकिन वो इस बात से बेखबर है कि किस तरह 27 साल पहले एक विवाद ने उसके शहर के सामाजिक पहचान को बदलकर रख दिया.
अयोध्या की नई पौध नई सुबह का इंतजार करती नजर आती है! देखिए ग्राउंड रिपोर्ट.
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