एक छोटे से कमरे में करीब 100 से ज्यादा लोग, धक्का-मुक्की, शोर, हाथ में आधार कार्ड का प्रिंट आउट लेकर एक टेबल की तरफ लोगों की भीड़. टेबल की दूसरी तरफ तीन लोग हैं जो सबसे कह रहे हैं कि पीछे नहीं हटेंगे तो किसी को नहीं मिलेगा. लेकिन भीड़ कहां सुनने वाली थी. फिर आखिर में काम टेबल के उस पार वाले तीन लोग रूम से किसी तरह लोगों को धक्का देकर बाहर आ गए. ये पूरी जद्दोजेहद हो रही थी कोरोना (Corona) की वैक्सीन के लिए.
दरअसल, बिहार (Bihar) के दरभंगा में बहेड़ी के एक सरकारी स्कूल में वैक्सीनेशन कैंप लगा था. जब क्विंट की टीम वैक्सीनेशन सेंटर पर पहुंची तो अफरातफरी का आलम था. न किसी के चेहरे पर मास्क, न कोई सोशल डिस्टेंसिंग. मानो कोरोना से बचने के लिए नहीं कोरोना को दावत देने के लिए लोग आए हों.
बुजुर्गों के लिए नहीं है अलग से इंतजाम
इसी दौरान हमारी मुलाकात एक 72 साल की बुजुर्ग कालो देवी से हुई. कालो देवी जमीन पर बैठी हुई थीं, जब हमने वजह पूछी तो उन्होंने कहा,
"बहुत वक्त लग रहा है, बहुत देर से लाइन में लगे थे, इंतजार करते-करते चले गए थे. अब दोबारा आए हैं, लाइन में खड़े थे तो थक गए, इसलिए जमीन पर ही बैठ गए."
दरअसल, इस सेंटर पर सीनियर सिटिजन के लिए अलग से किसी तरह का कोई इंतजाम नहीं दिखा.
‘प्रशासन से नहीं मिल रही मदद’
भीड़ की वजह से वैक्सीनेशन रोकना पड़ गया. जब हमने नोडल पदाधिकारी, डॉक्टर सौरभ सुमन से इस बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि भीड़ को रोकने के लिए हमारे पास कोई इंतजाम नहीं है, बड़े अधिकारियों को खबर की गई है, लेकिन अभी किसी भी तरह की मदद नहीं मिली है.
वैक्सीनेशन सेंटर पर मौजूद एएनएम कुमारी मीना बताती हैं,
"एक दिन में एक कैंप में 500 लोगों को वैक्सीन लगाने की कोशिश की जाती है. लेकिन भीड़ की वजह से आज सिर्फ 300 के करीब ही डोज लग सके हैं."
बता दें कि बिहार में अब तक करीब चार करोड़ कोरोना के डोज लगाए जा चुके हैं. लेकिन लगातार इस तरह की लापरवाही की खबरें सामने आती रही हैं. अभी हाल ही में सोशल मीडिया पर बिहार के गोपालगंज का एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें एक वैक्सीनेशन सेंटर पर एक आदमी लटककर खिड़की से ही वैक्सीन लगवाता नजर आ रहा था.
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