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क्रिप्टोकरेंसी-बिटकॉइन आखिर है क्या? क्यों बन गई हैकर्स की पसंद? 

मन में कई सवाल होंगे- ये बिटकॉइन, इथेरियम जैसी चीजें हैं क्या? हैकर्स की पसंद क्यों बन गए हैं? सबके जवब जानिए

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हाल ही में पीएम मोदी के एक ट्विटर अकाउंट को हैकर्स ने हैक कर लिया और क्रिप्टोकरेंसी (बिटकॉइन) मांगने लगे. जुलाई में ट्विटर को एक बड़े क्रिप्टो हैक का सामना करना पड़ा था, जिसमें हाई-प्रोफाइल हस्तियों, राजनेताओं जैसे बराक ओबामा, एलन मस्क जैसी शख्सियतों के अकाउंट्स को हैक करके बिटकॉइन का प्रचार किया गया था.

पीएम मोदी के ट्विटर अकाउंट को हैक करते वक्त हैकर्स ने लिखा था-

मैं आप सभी से कोविड -19 के लिए पीएम नेशनल रिलीफ फंड में उदारतापूर्वक दान देने की अपील करता हूं, अब भारत क्रिप्टो करेंसी के साथ शुरुआत करेगा, कृपया दान करें.ईटीएच (इथेरियम).

बिटकॉइन के बाद इथेरियम मार्केट कैपिटल का दूसरा सबसे बड़ा क्रिप्टोकरेंसी प्लेटफॉर्म है.

ऐसे में आपके मन में कई सवाल होंगे- ये बिटकॉइन, इथेरियम जैसी चीजें हैं क्या? हैकर्स की पसंद क्यों बन गए हैं? इनका रेगुलेशन कैसे होता है. एक-एक करके इन सवालों के जवाब तलाशेंगे.

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वर्चुअल या क्रिप्टो करेंसी का मतलब क्या है ?

वर्चुअल या क्रिप्टो करेंसी एक तरह की डिजिटल करेंसी होती है, जिसे इनक्रिप्शन टेक्‍नोलॉजी की मदद से जेनरेट और रेगुलेट किया जाता है. इन करेंसी के क्रिएशन, निवेश, लेन-देन या फंड ट्रांसफर की प्रक्रिया में भारतीय रिजर्व बैंक या किसी भी दूसरे देश के बैंकिंग रेगुलेटर की प्रभावी भूमिका नहीं होती है. इन करेंसी पर न तो किसी देश की मुहर होती है और न ही इनके भुगतान के लिए किसी तरह की सॉवरेन यानी सरकारी गारंटी होती है.

दुनियाभर में बहुत सारी क्रिप्टो-करेंसी प्रचलित हैं, जिनमें बिटकॉइन सबसे मशहूर है.

उदाहरण से समझिए

गोल्ड एक धातु है जिसकी अपनी वैल्यू होती है. डॉलर कितना महंगा या सस्ता होगा यह अमेरिकी अर्थव्यवस्था की हालत पर निर्भर होता है.रुपए का वैल्यू हमारी अर्थव्यवस्था से जुड़ा है. पाउंड की सेहत यूके की अर्थव्यवस्था पर निर्भर जबकि येन का जापान की अर्थव्यवस्था पर. इसके अलग बिटकॉइन की कोई अपनी वैल्यू नहीं होती है. इसका इस्तेमाल सट्टेबाजी के लिए होता है, इसी आधार पर ही इसके दाम बढ़ते-घटते रहते हैं. ज्यादा सट्टेबाजी को ज्यादा उतार-चढ़ाव.

बिटकॉइन की 'हैसियत' बढ़ रही है?

बिटकॉइन के चार्ट पर नजर डालें तो अब बिटकॉइन में रिकवरी देखने को मिल रही है. 2019 की शुरुआत में अपना लो बनाने के बाद बिटकॉइन में निचले स्तरों पर अच्छी रिकवरी देखने को मिलली है. मार्च में चौतरफा बिकवाली के बीच बिटकान में भी बिकवाली देखने को मिली थे लेकिन जिस तरह शेयर बाजार में खासी रिकवरी देखने को मिली. वैसी ही रिकवरी बिटकॉइन में देखने को मिली है. मार्च में बिटकॉइन 4500 डॉलर के स्तरों से अब 12000 डॉलर के स्तरों पर पहुंच गया है. जुलाई और अगस्त के महीने में बिटकॉइन में गजब की तेजी देखने को मिली है.

एक बिटकॉइन की कीमत मौजूदा समय (5 सितंबर) में 7 लाख 50 हजार रुपये से ज्यादा है.

देश में इसकी कानूनी ‘हैसियत’ क्या है?

देश में क्रिप्टोकरेंसी के कारोबार पर किसी भी तरह का बैन नहीं है. हालांकि, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा बैंकिंग प्रतिबंध लगाया गया है. राज्यसभा में इस संबंध में पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए वित्त और कॉरपोरेट कार्य राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा था कि "वर्तमान में क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े मसलों से निपटने के लिए अलग से कोई कानून नहीं है. इस प्रकार आरबीआई, प्रवर्तन निदेशालय, आयकर प्राधिकरण जैसे सभी संबद्ध विभाग और काननू का अनुपालन करवाने वाली एजेंसियां मौजूदा कानून के अनुसार कार्रवाई करती हैं."

हैकर्स की पसंद क्यों हैं?

2009 में लॉन्च हुए बिटकॉइन हैकर्स या साइबर अपराधियों को दो फायदे देते हैं. पहला कि ये एक डिसेंट्रलाइज्ड करेंसी की तरह काम करता है और इसमें बैंक या क्रेडिट कार्ड कंपनी जैसा कोई बिचौलिया नहीं होता और इस वजह से इस्तेमाल करने वाला गुमनाम रहता है. दूसरा बिटकॉइन को वर्चुअल वॉलेट्स में रख सकते हैं, जिनकी पहचान सिर्फ एक नंबर से होती है.

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