धनतेरस और दिवाली के करीब आते ही सोने की खरीद की बातें तेज हो गई है. कुछ लोग जहां इसे शुभ मानकर इसकी खरीद करते है जबकि बाकियों के लिए ऐसे समय गोल्ड में इन्वेस्ट करने का ख्याल स्वाभाविक है. यह मेटल कम रिस्क वाला एक सुरक्षित निवेश माना जाता है. एक्सपर्ट्स के अनुसार इन्वेस्टर्स को अपने पोर्टफोलियो में 10% गोल्ड रखना चाहिए. अर्थव्यवस्था में संकट और बाजार में अनिश्चित हालातों में सोने में निवेश विशेष रूप से फायदेमंद हो सकता है.
कोरोनावायरस के एक बार फिर बढ़ते मामलों को ध्यान में रखते हुए निवेशकों का ध्यान गोल्ड में निवेश की तरफ जा रहा है. वैक्सीन के आने में देरी और फिर सबके वैक्सीनेशन में लगने वाले समय की चिंता सोने में इन्वेस्टर्स का इंटरेस्ट फिर से जगा रही है. इन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए शेयर बाजारों में भी वॉलिटेलिटी लगातार बनी हुई है.
आइए जानते है दिवाली से पहले इस मेटल (Gold) की खरीद से जुड़े अहम पहलुओं को-
क्या है अभी सोने का भाव?
अगस्त में 2050 डॉलर प्रति आउन्स (ounce) तक पहुंच जाने के बाद अभी गोल्ड 1890 डॉलर प्रति आउन्स (28.35 ग्राम) के पास है. आगे जाते हुए इन चिंताओं के दम पर इसमें बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है. रूस द्वारा वैक्सीन को लेकर अच्छी खबर के बाद दामों में कमी आयी थी लेकिन अब एक बार फिर चीजें बदल सकती है. भारत की बात करें तो यहां सोना अभी अपने 56000 के पास के सर्वोच्च स्तर से नीचे रहते हुए 52000 के आसपास व्यापार कर रहा है.
निवेश पर कितना मिल सकता है फायदा?
जानकारों के मुताबिक गोल्ड को हमेशा लांग टर्म इन्वेस्टमेंट की तरह लिया जाना चाहिए. पिछले 12-15 वर्षो के अंतराल में गोल्ड के प्राइस में 7 गुणा से भी ज्यादा वृद्धि देखी गई है. पिछले आंकड़ों को ध्यान में रखते हुए सामान्य हालातों में भी 6-10% रिटर्न की उम्मीद की जा सकती है.
इस तरह सोने में निवेश बिना किसी खास सीजन के भी करना भी फायदेमंद है. विशेषज्ञों के अनुसार गोल्ड में एक बार में बड़े निवेश के सिवाय समय समय पर (Periodic) इन्वेस्टमेंट एक बेहतर विकल्प है.
बाजार की डिमांड क्या कहती है?
सितम्बर तिमाही में भारत में गोल्ड की मांग ईयर ऑन ईयर (YoY) यानी पिछले साल के मुकाबले करीब 30% घटकर 86.6 टन रह गई. इस वर्ष दूसरे क्वाटर में कंज्यूमर सेंटीमेंट में कमी, ज्यादा प्राइस होना इस मेटल के प्राइस में कमी का कारण रहा. देखने वाली बात यह भी है कि हालांकि ज्वेलरी के लिए गोल्ड के डिमांड में कमी देखी गई, निवेश के लिए सोने की डिमांड करीब 52% बढ़कर 33.8 टन पहुंच गया.
सर्वाधिक फायदे के लिए कौन सी इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटेजी जबरदस्त?
गोल्ड में निवेश के लिए आज काफी तरीके है. सॉवरेन गोल्ड बांड और फिजिकल गोल्ड (Physical Gold) के अलावा लोग एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) के माध्यम से भी सोने में निवेश कर सकते है.
सिक्के के तौर पर गोल्ड खरीदने में जहां सुरक्षा और मेकिंग चार्ज (Making Charge) का अतरिक्त भार होता है वही सॉवरेन बांड और ETF बिना इन चिंताओं के निवेश का अच्छा मौका उपलब्ध कराता है.
सॉवरेन बांड में सोने की कीमत में बदलाव से मुनाफे के अलावा तय 2.5% कूपन इंटरेस्ट भी मिलता है. पेपर के तौर पर जारी होने वाले इस बांड का मैच्योरिटी पीरियड 8 सालों का है जिसमें निवेशकों को 5 साल के बाद निकालने का ऑप्शन भी दिया गया है. इन बांड्स पर मैच्योरिटी के बाद कैपिटल गेंस टैक्स में छूट है लेकिन इंटरेस्ट से कमाई इनकम का हिस्सा है जिसपर मामूली टैक्स लगाया जाता है. निवेश के नजरिये से गोल्ड के खरीदारों के लिए यह एक आकर्षक रास्ता है.
म्यूच्यूअल फंड कंपनियों द्वारा लाए जाने वाले गोल्ड ETF भी इस धातु में निवेश का अच्छा तरीका है. एसोसिएशन ऑफ म्यूच्यूअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) के अनुसार गोल्ड ETF के तौर पर अभी कुल निवेश 13,589 करोड़ का है.
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