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कैब में चर्चा: CAA पर क्या सोचते हैं CAB के ड्राइवर?

दूसरे देशों के नागरिकों को देनी चाहिए नागरिकता, सुनिए कैब वाले भइया क्या कहते हैं?

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कैमरा: अभिषेक रंजन

देशभर में CAA और NRC के खिलाफ प्रदर्शन चल रहा है, तो इन मुद्दों पर क्विंट ने कैब ड्राइवरों से बात कर के जानने की कोशिश की, कि वो नागरिकता संशोधन कानून के बारे में क्या जानते हैं, और उसे कैसे देखते हैं. स्तुति घोष ने प्रदर्शन और इंटरनेट शटडाउन के बीच कैब के ड्राइवर से बात की, ये जानने के लिए कि इतने शोर-शराबे की दूसरी तरफ क्या चल रहा है. कई लोगों को ये नहीं पता है कि प्रदर्शन की वजह क्या है, ड्राइवर्स का कहना है कि उन्हें सिर्फ अपनी कार को टूट-फूट से बचाना है.

‘मैं सीलमपुर में फंस गया था, मेरे पसीने छुट गए थे. मैं बस किसी तरह से वहां से निकलना चाहता था और अपनी कार को सही-सलामत रखना चाहता था और मुझे अपनी सुरक्षा की भी चिंता थी.
रिंकू कुमार, कैब चालक 

हमने जितने ड्राइवरों से बात की, उनमें से ज्यादातर लोगों का कहना था कि नागरिकता कानून धर्म के नाम पर लोगों को बांटता है. लेकिन फिर भी सालों से चला आ रहा 'मुस्लिम फैक्टर' आज भी चल रहा है. कई ड्राइवर्स का कहना है कि उन्हें डर है कि एक दिन विदेशी, देश में हिंदुओं से ज्यादा हो जाएंगे, इसलिए सभी को देश की नागरिकता देनी नहीं चाहिए.

दूसरे कैब ड्राइवर राजेंद्र मिश्रा का मानना है कि देश में पहले ही बहुत जनसंख्या है, रोजगार नहीं है, इसलिए देश में किसी भी तरह के लोगों को नागरिकता नहीं देनी चाहिए सिवाए हिंदुओं को. उनका कहना है कि उन्होंने टीवी पर देखा है कि पाकिस्तान में हिंदों पर जुल्म होता है.

जब हमने उनसे पाकिस्तान में मुसलमानों के ऊपर हो रहे अत्याचारों के बारे में जानना चाहा तो उन्होंने कहा कि- 'वो उनका देश है, मोदी जी ने इसके बारे में पहले ही सोच लिया होगा.' ऐसे कई ड्राइवर हैं जिनका मानना भी राजेंद्र जैसा ही है.

‘मैंने देखा है कई मुसलमान दिक्कतें पैदा करते हैं, वो दंगों को जल्दी खत्म नहीं होने देते, जब एक इस्लामिक देश उनको नहीं रख सकता तो हम कैसे उन्हें अपना लें? वो यहां आ सकते हैं व्यापार कर सकते हैं, लेकिन हम उन्हें नागरिकता नहीं दे सकते.
बबलू सैनी, कैब चालक 

कई ड्राइवर्स ने अपने मुसलमान दोस्तों के लिए प्रदर्शन में हिस्सा लेने से इनकार किया है तो सिर्फ एक मुसलमान ड्राइवर ने कहा है कि उनके दोस्त उनका साथ देंगे फिर भले ही सरकार उनके साथ न खड़ी हो.

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